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अपनी आय बढ़ाने के लिए किसान, व्यावसायिक दृष्टिकोण से करें पशुपालन - कलेक्टर

खण्डवा(ईन्यूज़ एमपी) |.पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें घाटे की संभावनाएं बहुत कम रहती है। यदि पशुपालन का व्यवसाय शासन से अनुदान प्राप्त करने के स्थान पर, व्यावसायिक दृष्टिकोण से किया जाये तो यह एक सफल व्यवसाय सिद्ध हो सकता है। यह बात कलेक्टर श्री अभिषेक सिंह ने गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जिले के किसानों एवं पशुपालकों की बैठक में संबोधित करते हुए कही। कलेक्टर श्री सिंह ने इस अवसर पर जिले के बड़े पशुपालकों के अनुभव भी सुने तथा पशुपालकों को आश्वस्त किया कि पशुपालन व्यवसाय के लिए उन्हें हर संभव मदद जिला प्रशासन स्तर से हमेशा दिलाई जायेगी। बैठक में पुलिस अधीक्षक श्री नवनीत भसीन, उपसंचालक पशुपालन डॉ. जितेन्द्र कुल्हारे, एसडीएम श्री शाश्वत शर्मा व लीड बैंक अधिकारी, दुग्ध संघ के प्रबंधक तथा नाबार्ड के प्रबंधक भी मौजूद थे।
कलेक्टर श्री सिंह ने बैठक में कहा कि यदि पशुपालन को शासन की किसी योजना से अनुदान प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है तो यह व्यवसाय उतना सफल नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि यदि लाभ कमाने के व्यवसाय के रूप में पशुपालन किया जाये तो उन्नत नस्ल के पशु अधिक संख्या में पालना जरूरी है। इन पशुओं को अच्छा पोषण आहार देना तथा समय पर उनका टीकाकरण, उपचार व पशुओं के लिए शेड की सही व्यवस्था की जाये तथा पशुओं का बीमा समय पर कराया जाये तो दुग्ध उत्पादन बहुत अधिक होता है और पशुपालन का धंधा काफी लाभदायक सिद्ध होता है।
कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिले का दुग्ध उत्पादन 20 हजार लीटर प्रतिदिन से दुगुना कर 40 हजार लीटर प्रतिदिन करने के लिए जरूरी है कि बड़े व सम्पन्न किसान खेती के साथ साथ पशुपालन के व्यवसाय में शामिल हो। उन्होंने कहा कि पहले चरण में इसके लिए बैंकों से आवश्यक ऋण तथा पशुपालन विभाग से पशुपालन का प्रशिक्षण व उपचार की व्यवस्था अच्छी तरह से की जायेगी। उन्होंने कहा कि पशुपालकों के दुग्ध उत्पादन को उचित मूल्य पर खरीदने के लिए दुग्ध संघ व्यवस्था करेगा। पशुपालकों की समस्या के निराकरण के लिए जिला व विकासखण्ड स्तर पर एक कॉल सेंटर स्थापित किया जायेगा, जिसमें पशुपालकों की समस्याएं सुनी जायेगी एवं उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन दिया जायेगा। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिले के पशुपालकों का एक संघ भी गठित किया जाये। द्वितीय चरण में पशुओं के गोबर का उपयोग कर गोबर गैस संयंत्र स्थापित करने में उन्हें मदद दी जायेगी ताकि वे दुग्ध उत्पादन के साथ साथ गोबर गैस का प्रयोग ईंधन व विद्युत उत्पादन में कर सके। इसके बाद तृतीय चरण में पशुपालकों को गोबर से जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिलाकर उनके इस खाद को बाजार में बेचने के लिए भी जिला प्रशासन मदद करेगा ताकि उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके।
बैठक में ग्राम टिगरिया के किसान व पशुपालक जगन्नाथ यादव तथा ग्राम सोनखेड़ी के रमाशंकर पटेल ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किये तथा उपस्थित किसानों को समझाया कि पशुपालन को यदि सही ढंग से व्यावसायिक दृष्टिकोण से किया जाये तो इस धंधे से काफी लाभ प्राप्त हो सकता है।

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