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बालाघाट | साइकिल से गश्त करते हैं आईजी

भोपाल। नक्सल इलाका हो, तो पुलिस को आधुनिक हथियारों के साथ-साथ पॉवरफुल वाहनों की जरूरत भी होती है। हर कदम पर जहां नक्सली खतरा हो, वहां जान खतरे में डालकर मप्र के बालाघाट के आईजी डीसी सागर साइकिल से गश्त करते हैं। आईजी साहब ने जिले के पुलिसवालों को अब रात में साइकिल से ही गश्त करने के निर्देश दिए हैं। कभी वे खुद साइकिल से गश्त करने निकल जाते हैं, कभी बंदूक तानकर जंगल में जवानों के बीच पहुंच जाते हैं, तो कभी खुद चेक पोस्ट पर चेकिंग करने लगते हैं।
1992 बैच के आईपीएस अधिकारी और बालाघाट रेंज के आईजी डीसी सागर का काम करने का यही तरीका है। वे बताते हैं, 'दफ्तर में बैठकर पुलिसिंग नहीं हो सकती। मैदानी अमले को दुरुस्त रखने के लिए साहब बनकर काम नहीं किया जा सकता, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना पड़ता है।' किसी कार्यक्रम में सुरक्षा के लिए खूंटा गाढ़ना हो या बस में चढ़कर सामान की चेकिंग करना, आईजी सागर यह सभी काम कई दफा खुद करते हैं। वे अकसर मैदानी अमले के काम का औचक निरीक्षण करने पहुंच जाते हैं।
साइकिल से काम ज्यादा आसान होगा
आईजी डीसी सागर का मानना है कि साइकिल से गश्त करने पर अपराधियों पर ज्यादा बेहतर तरीके से लगाम लगाई जा सकती है। सागर कहते हैं, 'साइकिल से गश्त करने से पुलिस वाले बीट में ज्यादा समय बीता सकेंगे, पतली गलियों में घूम सकेंगे। साथ ही अपराधियों को गाड़ी की आवाज सुनकर भागने का मौका नहीं मिलेगा। साइकिल पर गश्ती से पर्यावरण की रक्षा भी होगी। मैं खुद हर महीने एक बार रात में साइकिल से गश्त करूंगा। वहीं हमारे एसपी दो बार रात में गश्त करेंगे।'

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