सीधी(ईन्यूज एमपी)- बड़े जोर शोर से शुरू हुए रेत के व्यापर ने कब गोरख धंधे का रूप ले लिया पता ही नही चला देखते ही देखते जिले में रेत के व्यापारियों की भीड़ सी लग गई और रेत ने जिले का नाम प्रदेशभर में रोशन कर दिया अब ये अलग बात है कि मामला निगेटिव था या पाजिटिव.....? बात करे जिले में रेत के गोरख धंधे कि तो पंचायतो के नाम पर बाहर से आये व्यापारियों कि कारगुजारिया तो जगजाहिर थी लेकिन अब इन बाहरी लोगो द्वारा खुद को इतना मजबूत बना लिया गया है कि रेत के व्यापर में अग्रणी बने रहने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, और तो और जिनके संरक्षण में इन्होने दबे पांव सीधी में प्रवेश किया था अब उन्ही का पत्ता साफ करने कि फ़िराक में है । बतादे कि जिले में रेत के कारोबार को गति देने या यूं कंहे कि रेत के कारोबार को नई पद्धति से शुरू करने श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह हैं गौरव अग्रवाल ...? जी हाँ हो सकता है कुछ लोगो के लिए यह नाम अनसुना सा हो लेकिन जिले में रेत के कारोबार में आज जितने भी लोग है कंही न कंही यह नाम उन सब के लिए प्रेरणा श्रोत है या यूं कहें कि मार्गदर्शक है, सीधी के लोगो को रेत के काले कारोबार को जायज तरीके से चलाने की प्रेरणा यदि किसी ने दी है तो वह है गौरव अग्रवाल , गौरव अग्रवाल सीधी कब और किसके माध्यम से आया यह तो कह पाना कठिन है लेकिन अब वह सब पर भारी पड रहा है, और उसी के संरक्षण में चल रही डोल खदान कि तो इन दिनों चंडी है जबकि अगल-बगल संचालित पंचायत खदानों में सन्नाटा है अब सन्नाटा क्यूं है इसकी वाजिब वजह तो बता पाना थोडा कठिन है पर, दबी जुबान से गौरव अग्रवाल की दादागिरी के किस्से जरूर लोगो तक पंहुच रहे है, बहर हाल जो भी हो पर इन सब से एक बात तो तय है कि रेत के लिए बदनाम जिला असल में बाहरी लोगो कि रियासत बना हुआ है और जिले के जो धुरंधर है वो सब कठपुतली...?