भोपाल(ईन्यूज एमपी)-- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भोपाल में हार्ट ट्रांसप्लांट सुविधा शुरू करने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। आपको बता दें कि अगले तीन से चार महीनों में यहां हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। प्रदेश में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए सबसे बड़ी चुनौती अंगदान के प्रति लोगों की कम जागरूकता है। मध्य प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले कम लोग अंगदान के महत्व को समझते हैं और इसके लिए तैयार हैं। देश में सबसे ज्यादा हार्ट ट्रांसप्लांट चेन्नई में किए गए हैं। हालांकि, एम्स प्रबंधन इस मुद्दे पर काम कर रहा है और लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करने की लगातार कोशिश कर रहा है। इसके तहत जगह-जगह शिविर लगाए जा रहे हैं और विशेषज्ञों द्वारा लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में बताया जा रहा है। इससे अधिक से अधिक लोग इस नेक कार्य में भाग लें और दूसरों की जिंदगी बचाने में मदद करें। इस दिशा में चार डॉक्टरों और तीन नर्सों की एक टीम अगले सप्ताह चेन्नई रवाना होगी, जहां वे एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल में 15 दिनों तक हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण लेंगे। प्रदेश में इंदौर के एक निजी अस्पताल में पहले ही एक बार हार्ट ट्रांसप्लांट हो चुका है, लेकिन एम्स में यह सुविधा मरीजों के लिए बहुत सस्ती होगी। यहां हार्ट ट्रांसप्लांट का खर्च मात्र तीन लाख रुपए होगा, जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए 35 से 40 लाख रुपए खर्च करने होते हैं। प्रशिक्षण में टीम हार्ट ट्रांसप्लांट की सर्जरी, पहले की आवश्यक सावधानियों और सर्जरी के बाद मरीज की देखभाल के बारे में सीखेगी। इसके साथ ही टीम को आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर में ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदुओं का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि सर्जरी के दौरान और बाद में मरीज की स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला जा सके। एम्स भोपाल में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए पूरी तरह से एक यूनिट तैयार की जा चुकी है। इस यूनिट में आधुनिक मशीनों की व्यवस्था की गई है, जिनमें एक्मो मशीन, हार्ट-लंग्स मशीन, आईएडीपी मशीन और एडवांस कैथलैब जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इसके साथ ही आईसीयू भी बनकर तैयार हो चुका है, जो हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया और मरीज की देखभाल के लिए पूरी तरह से तैयार है। हार्ट-लंग्स मशीन: इस मशीन पर मरीज का हार्ट ट्रांसप्लांट किया जाता है। आईएडीपी मशीन: जब हार्ट ट्रांसप्लांट के दौरान मरीज का हृदय कमजोर होता है, तो उसे इस मशीन में रखा जाता है। एडवांस कैथलैब: यह विशेष रूप से ऑपरेशन के बाद मरीजों के लिए उपयोग किया जाएगा। यहां बायोप्सी की जाती है, जिससे यह जांचा जाता है कि हार्ट ठीक से काम कर रहा है या नहीं। इसके अलावा हृदय के रिजेक्शन का पता भी इस मशीन से लगाया जाता है। देश में सबसे ज्यादा हार्ट ट्रांसप्लांट चेन्नई में किए गए हैं। हालांकि, एम्स प्रबंधन इस मुद्दे पर काम कर रहा है और लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करने की लगातार कोशिश कर रहा है। इसके तहत जगह-जगह शिविर लगाए जा रहे हैं और विशेषज्ञों द्वारा लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में बताया जा रहा है। इससे अधिक से अधिक लोग इस नेक कार्य में भाग लें और दूसरों की जिंदगी बचाने में मदद करें।