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Home विंध्य प्रदेश आखिर क्यों भड़क गए कलेक्टर साहब: EE, SDO, CEO समेत APO को थमाया करारा नोटिस..

आखिर क्यों भड़क गए कलेक्टर साहब: EE, SDO, CEO समेत APO को थमाया करारा नोटिस..

(ईन्यूज़ एमपी): कलेक्टर साहब ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर शिकंजा कसते हुए RES विभाग के कार्यपालन यंत्री (EE), उपखंड अधिकारी (SDO), जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों (CEO) और सहायक परियोजना अधिकारी (APO) समेत कई बड़े अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस थमा दिया है।

आपको बता दे की मऊगंज जिले में जल गंगा संरक्षण अभियान को लेकर हड़कंप मच गया है। अभियान की सुस्त प्रगति से नाराज कलेक्टर ने सख्त चेतावनी दी है कि अगर 28 अप्रैल तक जवाब नहीं मिला तो होगी कड़ी कार्रवाई।

आखिर क्या है ये पूरा मामला? आइए, खबर की तह तक जाते हैं।
मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में जल गंगा संरक्षण अभियान को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इस महत्वाकांक्षी योजना, जिसे 30 मार्च से 30 जून 2025 तक चलाया जाना है, में भारी लापरवाही का मामला सामने आया है। कलेक्टर कार्यालय ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए जिले के बड़े अधिकारियों को निशाने पर लिया है। RES विभाग के कार्यपालन यंत्री पी.बी. रावत, सहायक यंत्री अंकित सोहगौरा, रामप्रसाद मिश्रा, जगदीश राजपूत, मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती कल्पना यादव, रामकुशल मिश्रा, और हनुमना जनपद पंचायत के प्रभारी CEO को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

क्या है मामला?
जल गंगा अभियान के तहत खेत तालाब, कूप रिचार्ज, अमृत सरोवर और पूर्व वर्षों से लंबित जल संरक्षण कार्यों को तय समय में पूरा करना था। लेकिन 23 अप्रैल 2025 की रिपोर्ट (R.6.12) ने अधिकारियों की पोल खोल दी। कुल 449 खेत तालाबों में से मात्र 34 (7.57%) पूरे हुए, 156 कूप रिचार्ज में से सिर्फ 6 (3.85%) पर काम हुआ, और 1214 लंबित कार्यों में से केवल 75 (6.18%) ही पूरे हो सके। अमृत सरोवर में 71.43% प्रगति दिखी, लेकिन कुल मिलाकर प्रगति "शर्मनाक" रही।

कलेक्टर का गुस्सा, अधिकारियों की लापरवाही:
कलेक्टर ने नोटिस में साफ कहा कि यह लापरवाही "मध्य प्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965" के खिलाफ है और दंडनीय अपराध है। नोटिस में अधिकारियों पर "कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही, वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना और स्वेच्छाचारिता" का संगीन आरोप लगाया गया है। कलेक्टर ने सख्त लहजे में कहा कि 28 अप्रैल 2025 तक मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, रीवा के समक्ष स्पष्टीकरण के साथ प्रगति रिपोर्ट पेश करनी होगी, वरना "कानूनी कार्रवाई" का सामना करना पड़ेगा।

इस नोटिस ने जिले के प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री स्तर पर इस अभियान की नियमित समीक्षा हो रही है, और प्रगति की कमी ने सरकार की किरकिरी कराई है। स्थानीय लोग भी गुस्से में हैं। एक किसान, रामलाल ने कहा, "जल संरक्षण का सपना दिखाया गया, लेकिन अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सो रहे हैं।" विपक्ष ने भी इस मुद्दे को लपक लिया है और सरकार पर "योजनाओं को कागजों तक सीमित रखने" का आरोप लगाया है।

आगे क्या?
अधिकारियों के पास अब केवल 3 दिन बचे हैं। अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो निलंबन से लेकर विभागीय जांच तक की तलवार लटक रही है। कलेक्टर की इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि अब लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। क्या अधिकारी समय पर अपनी सफाई दे पाएंगे, या फिर मऊगंज में प्रशासनिक भूचाल आएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

जल संरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लापरवाही ने सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है। जनता की नजर अब कलेक्टर साहब की अगली कार्रवाई पर टिकी है।

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