शहडोल (ईन्यूज़ एमपी): बीते दिन ब्यौहारी में आयोजित कोल जनजातीय सम्मेलन अब सांस्कृतिक से अधिक राजनीतिक सुर्खियों का विषय बन गया है। जहां एक ओर विंध्य के कोल समाज को साधने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल और अन्य दिग्गज नेता मंच पर मौजूद रहे, वहीं इस कार्यक्रम से जुड़ा एक बड़ा सियासी संकेत मंत्री विजय शाह को लेकर चर्चा में है। पोस्टर से गायब चेहरा, मंच से 'नो कमेंट्स': जनजातीय कार्य मंत्रालय के इस आयोजन में मंत्री कुंवर विजय शाह का चेहरा पोस्टरों से पूरी तरह नदारद रहा, जबकि आयोजन उनके ही विभाग के अंतर्गत हुआ था। यह बात न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि राजनीतिक संदेशों से भरी भी लगती है। वहीं दूसरी ओर, विवादों में घिरे विजय शाह पहली बार किसी मंच पर नजर आए, लेकिन जब उनसे कर्नल सोफिया प्रकरण को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा — > "नो कमेंट्स।" उनका यह रुख साफ संकेत देता है कि वे अभी भी राजनीतिक दबाव और असहजता के दौर से गुजर रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह सम्मेलन जनजातीय कार्य विभाग के बैनर तले ही आयोजित किया गया, बावजूद इसके विभागीय मंत्री विजय शाह का चेहरा प्रचार सामग्री में नजर नहीं आया। राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि क्या यह रणनीतिक दूरी है या भीतरखाने कोई असहमति? जबकि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल, सीधी के सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह, विधायक शरद कोल, कोल प्राधिकरण अध्यक्ष रामलाल रौतेल जैसे कई नेता शामिल हुए। विजय शाह बीते दिनों कई विवादों में रहे हैं, जिसके चलते उनकी छवि पर असर पड़ा है। ऐसे में उन्हें अपने ही विभाग के मेगा जनजातीय कार्यक्रम से 'पोस्टर से बाहर' करना, सवालों के घेरे में है। राजनीतिक जानकारों का मानना है, कि यह एक साफ संकेत है कि सरकार या संगठन स्तर पर उनके प्रति भरोसा कमजोर पड़ा है, या फिर आगामी रणनीति के तहत उन्हें मंच से सीमित किया गया है।