सिंगरौली (ईन्यूज़ एमपी): जिले का निगरी स्थित जेपी पावर प्लांट एक बार फिर मौत का अड्डा साबित हुआ। गुरुवार को यहां 42 वर्षीय मजदूर सुग्रीव साकेत की दर्दनाक मौत हो गई। कोयले के विशाल ढेर में दबकर उसकी सांसें थम गईं और मौके पर ही उसने दम तोड़ दिया। हादसे की खबर फैलते ही पूरे इलाके में सनसनी मच गई। परिजनों ने गंभीर आरोप लगाया कि कंपनी प्रबंधन ने हादसे को छुपाने की कोशिश की। न तो परिवार को समय पर जानकारी दी गई और न ही पारदर्शिता बरती गई। घायल को सीधे जिला अस्पताल सीधी भेजा गया और मौत के बाद शव एंबुलेंस से घर पहुंचा दिया गया। अचानक शव देखकर परिजनों का आक्रोश फूट पड़ा। गुस्साए परिजन और ग्रामीणों ने शव को सरई-सीधी मुख्य मार्ग पर रखकर घंटों चक्काजाम कर दिया। सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा। ग्रामीणों का साफ कहना था कि मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाली इस कंपनी के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। हादसे के बाद कंपनी के पीआरओ नीरज श्रीवास्तव सामने आए और कहा कि मृतक परिवार को उचित मुआवजा दिया जाएगा और जांच होगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हर हादसे की कीमत केवल मुआवजा ही है? स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन कंपनी प्रबंधन की ढाल बनकर खड़ा रहता है। मजदूरों की सुरक्षा व्यवस्था पर कभी भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता। यह पहला हादसा नहीं है— जिले में पहले भी कई मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन हर बार मामला मुआवजे और आश्वासन के दम पर दबा दिया जाता है। यह हादसा एक बार फिर उस कड़वे सच को सामने लाता है कि बड़े उद्योगों में मजदूरों की सुरक्षा अब भी भगवान भरोसे है। सवाल यह है कि जब तक प्रशासन और प्रबंधन जिम्मेदारी से काम नहीं करेंगे, तब तक ऐसे हादसे कब तक मासूम जिंदगियों को निगलते रहेंगे?