सीधी (सचीन्द्र मिश्र) रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून,पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून, रहीमदास जी का यह दोहा जिला पंचायत में एक दम से बदल गया है, यहां तो आलम यह है कि,रहिमन गांधी राखिए,बिन गांधी सब सून, अर्थात जिला पंचायत सीधी पूरी तरह से गांधी जी पर आधारित हो गई है और हो भी क्यों न भाई पंचायती राज कि परिकल्पना भी तो गांधी जी ने ही कि थी लेकिन रुकिए यहां गांधी से अभिप्राय उन गांधी(गांधी जी के विचारों)से नही बल्कि उस गांधी (रुपए) से है जिस पर वर्तमान की व्यवस्था टिकी हुई है और जिसके बिना मजाल क्या कि कोई काम हो जाए... बात करें जिला पंचायत कि तो यहां इन दिनों गांधी जी का ही बोलबाला है और इन्हीं कि सब माया है काम छोटा हो या बड़ा,सही हो य गलत,अफसर हो या कर्मचारी सभी इन दिनों बस गांधी जी के ही पुजारी है,किसी काम का भले ही श्री गणेश न हुआ हो पर लक्ष्मीपूजन अनिवार्य है,काम के पहले और बाद दोनों व्यवस्थाएं है, हां काम करवाने वाले पर निर्भर है कि कैसा काम चाहते हैं, व्यवस्था कब और कैसे बदली ये तो नहीं पता लेकिन वर्तमान व्यवस्था अत्यंत ही बिगड़ी हुई है ये तय है बस आओ,लाओ और जाओ अर्थात हवन चालू है, आहूती दो और प्रसाद पाओ....?