सीधी (ईन्यूज एमपी)- जिले में अफसरशाही का आलम इन दिनों पूरे शबाब पर है और मनमानी के मामले में जिला पंचायत का तो कोई मुकाबला ही नहीं है, लेकिन इन सब बातों का खामियाजा कहीं न कहीं गरीबों व आम जन को भुगतना पड़ रहा है। जी हां जिला पंचायत के अधिकारियों कर्मचारियों कि बदौलत करीब 43 हजार से अधिक मजदूरों को अपनी मजदूरी से हाथ धोना पड़ा है। वहीं जिला पंचायत सदस्य मनोज भारती ने भी पूरे मामले में अधिकारियों को दोषी ठहराया है। जिला पंचायत के सदस्य मनोज भारती ने बताया है कि मनरेगा से कराएं गए विभिन्न कामों कि मजदूरी लम्बे समय से लटकी हुई है,और अपनी मजदूरी के लिए भटकने के बाद मजदूरों ने हार मान ली है। मनरेगा के तहत जिले भर में कराए गए कामों में 43547 मजदूरों की करीब एक करोड़ कि मजदूरी लम्बे समय से अटकी पड़ी हुई हैं, लेकिन इस ओर किसी अधिकारी कर्मचारी की नजर नहीं जा रही है मजदूरों द्वारा मजदूरी के भुगतान के लिए कई बार मिन्नतें कि गई लेकिन सुनवाई न होने से निराश होकर मजदूरी का मोह छोड़ चुके हैं जबकि चैन कि कुर्सी में आसीन अधिकारियों का आलम ये है कि उन्हें इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता बस बजट का रोना रो कर सब को दर किनार कर रहे है,जबकि बजट आने पर वेंडरो के भुगतान तो कर दिए गए हैं लेकिन मजदूरों की मजदूरी भगवान भरोसे....