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Home सीधी दर्पण *आदर्श आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं बने सौचालय, जिम्मेदार मौन*

*आदर्श आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं बने सौचालय, जिम्मेदार मौन*

*मामला आदिवासी जनपद पंचायत कुशमी का*

पथरौला/सीधी (ईन्यूज यमपी):-केन्द्र सरकार द्वारा देश भर में चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन के तहत जहां हर घर व सरकारी दफ्तरों में ग्राम पंचायत के माध्यम से शौचालय निर्माण कराये जाने का प्रावधान बनाया गया था। वहीं शौचालय निर्माण कराने वाले हितग्राहियों को प्रोत्साहन के रूप में 12 हजार रुपए दिया जाना तय किया गया था। साथ ही ग्राम पंचायत अन्तर्गत सत् प्रतिशत शौचालय निर्माण कार्य पूरा कर ग्राम पंचायत को खुले में सौच मुक्त ग्राम पंचायत घोषित किया जाना था। जिसके तहत पूरे जिला को खुले में सौच मुक्त घोषित करते हुए जिम्मेदारों ने वाहवाही तो लूट लिया। किन्तु यदि स्वच्छ भारत मिशन की जमीनी हकीकत पर गौर किया जाए तो आलम ये है कि जिनके कंधे पर स्वच्छता अभियान की जिम्मेदारी थी। उनकी ही संस्था में शौचालय का अभाव अभी भी बना हुआ है। जिससे स्वच्छ भारत मिशन के सच का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। ऐसा ही एक मामला आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत कुशमी अन्तर्गत शासकीय संस्थाओं का प्रकाश में आया है। जहां महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित किये जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय का अभाव अभी भी बना हुआ है। इतना ही नहीं जिन आंगनबाड़ी केंद्रों को विभाग द्वारा "आदर्श" बना दिया गया है। उन आंगनबाड़ी केंद्रों में अभी भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है। लिहाजा आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाली कर्मचारी महिलाओं, किशोरी बालिकाओं सहित बच्चों को सौंच के लिए खुले में जाने की मजबूरी सी बन गई है। गत दिवस भ्रमण के दौरान कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा केन्द्र में पूर्व से बने शौचालय का हाल दिखाते हुए बताया कि केन्द्र में आने वाले छोटे बच्चे सौच के लिए आसपास के खेतों में चले जाते हैं। जिससे ग्रामीणों द्वारा भला बुरा कहते हुए अभद्र व्यवहार किया जाता है। भ्रमण के दौरान देखा गया कि कुछ केन्द्र में भवन निर्माण के समय शौचालय का निर्माण कराया तो गया है। किन्तु कहीं तो शौचालय में सीट नहीं लगाई गई है। तो कहीं टैंक का निर्माण ही नहीं कराया गया है। इतना ही नहीं कुछ केन्द्र ऐसे भी देखने को मिले जहां शौचालय का निर्माण ही नहीं कराया गया है। तो कई केन्द्रों में महज ढांचा ही खड़ा किया गया है। जिसमे पूरक पोषण आहार रखा देखा गया है। अब सबसे विचारणीय विषय यह है कि इन्हीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से प्रशासन द्वारा सुबह 4 बजे से गांव में फेरी लगाकर कर स्वच्छता संबंधी नारे लगवाए जाते थे। किन्तु यही कर्मचारी खुले में शौच करने मजबूर हैं। फिर स्वच्छ भारत का सपना कैसे पूरा होगा। यह बात आम आदमी के समझ से परे है।

रंग रोगन तक सीमित:-क्षेत्र अन्तर्गत संचालित किये जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्र महज रंग रोगन तक ही सीमित नजर आते हैं। जिसमें भी विभाग द्वारा लाखों रुपए की राशि का बजट खपाया जाता है। और यह राशि भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। किन्तु केन्द्रों में साफ सफाई का अभाव बना रहता है। देखा जाए तो आज भी ऐसे केन्द्र हैं जो किराये के खपरैल मकान के छोटे से कमरे में संचालित किये जा रहे हैं। जिस केन्द्र के पास अपना भवन है भी वहां बाउण्ड्रीवाल नहीं होने के कारण केन्द्र सहित बच्चे भी असुरक्षित रहते हैं। कई भवन तो ऐसे भी हैं जो बनकर खण्हर में तब्दील हो गये हैं। लेकिन उनका उपयोग नहीं किया गया है। लेकिन कुछ केन्द्र ऐसे हैं। जो विद्यालय के अतिरिक्त में संचालित किये जा रहे हैं। जिनका रखरखाव न तो शाला प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है। और ना ही महिला बाल विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। और खण्हरनुमा भवन में औपचारिकता के बीच केन्द्र का संचालन किया जाता है। और जिम्मेदार मौन है। 

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