सीधी (ईन्यूज एमपी) सोन घड़ियाल अभ्यरण्य का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है , घड़ियालों के संरक्षण के लिये सभी सरकारी संसाधन नाकाम साबित हो रहे हैं घड़ियालों के लिये संरक्षित सोननदी से सरेआम अबैध रेत की निकासी एक आम समस्या है , अभी सोननदी में कितने घड़ियाल शेष हैं इसका भी कोई रता पता नही विभाग द्वारा सर्वे कराया गया या नही ...कुछ पता नही फिर भी संजय टाइगर रिजर्व अपनी कागजी पीठ थपथपाने में पीछे नही है । उधर चंबल की बात करें तो जलीय जीव घडियाल के संरक्षण व संवर्धन हेतु बनाई गयी चंबल घडियाल अभ्यारण्य अब सार्थक होता जा रहा है । विश्व में सबसे अधिक घडियाल चंबल नदी में पाये गये है । इसकी गणना वर्ष 2019 में वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट आफ इंडिया व्दारा गोपनीय रूप से कराई गयी है । इसके अनुसार चंबल नदी में 1255 घडियाल पाये गये , वन विभाग व्दारा इसी वर्ष वार्षिक गणना के दौरान 1600 से अधिक घडियाल गिनती किये थे । विश्व में दूसरे स्थान पर बिहार पटना की गंडक नदी रही इसमें 255 घडियाल मिले थे । चंबल नदी मध्यप्रदेश की सीमा पर बहती है । यह राजस्थान तथा उत्तरप्रदेश की सीमा रेखा है । भारतीय प्रजाति के घडियालों के विलुप्त हो रहे थे उस समय वर्ष 19975-1977 में इनकी गणना विश्वभर में हुई ।विश्व में 200 घडियाल पाये गये । इसमें 96 घडियाल भारत में तथा चंबल नदी में 46 घडियाल पाये जाने पर नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को 1980 में चंबल घडियाल अभ्यारण्य घोषित किया गया था । चार दशकों के दौरान घडियाल के संरक्षण व संवर्धन का कार्य तेजी से हुआ है । हालांकि देश की अनेक नदियों में घडियाल पाये जाते है पर उनकी संख्या दहाई तक नही है । हांसिल जानकारी के मुताबिक घडियाल शुध्द तथा गहरे पानी में ही विचरण करता है ।यह वेहद शर्मीली प्रजाति का है आम जनजीवन से दूर लेकिन झुण्ड (समूह) में रहता है ।चंबल में घडियाल पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहे है ।