सीधी(ईन्यूज एमपी)- आपसी फूट सभी को ले डूबती है, संगठन में शक्ति है, एकता में बल है इसी तरह के उदाहरण प्राय: बच्चो को,नासमझो व नादानों को समझाए जाते हैं, लेकिन जब बात बड़ो कि आये वो भी उनकी जो जिले का प्रतिनिधित्व करते हो जिनके दल का शासन विगत कई वर्षो से प्रदेश में रहा हो और जिले में भी जिनके दल का बहुमत वर्तमान में हो, लोग जिन पर भरोसा करते हो कि हमारी बात और समस्याओ को उचित स्थान पर रखेगे जब वो ही नादानी करे संगठन को तोड़ते हुए नादानी करे और आपस में गुटबाजी करे तो अब उन्हें कौन समझाए....? जी हां हम बात कर रहे है जिले में वर्तमान भाजपा की जहां कि गुटबाजी धीरे धीरे अपने पैर पसार रही है, जिनके कार्यकर्ताओं में धीरे धीरे सामजस्य खत्म होता जा रहा है,बड़े और छोटे की खाई गहराती जा रही है, और हर मौके पर कुछ चेहरे अनुपस्थित रहते है फिर चाहे पार्टी कार्यालय हो या कोई सार्वजानिक कार्यक्रम हर जगह पर कार्यकर्ताओ में मतभेद व मनमुटाव कि झलक दिख जाती है । लम्बे समय बाद प्रदेश में भले ही कांग्रेस का शासन लौट आया हो लेकिन गौर करे तो सीधी जिले में भाजपा को इसके बाद भी बढ़त मिली है पहले जिले की सीटो पर दोनों दलों का अनुपात सामान था लेकिन इस चुनाव के बाद भाजपा का पलड़ा भारी रहा और 4 में से तीन पर भाजपा का परचम लहराया बावजूद इसके भाजपा में सामंजस्य व पार्टी के प्रति एकजुटता कि जगह स्वहित के लिए कार्य करने वालों की भीड़ ज्यादा है,विपक्ष के ज्यादा सक्रिय न होने के बावजूद भी आपसी फूट ने पूरे माहौल को दूषित कर रखा है । यही कारण है कि आपकी राजनीति दो - चार हो रही हे और सत्ता अकेले दम पर प्रदेश भर में अपना परचम लहराने में कामयाब है । यानी कहावत के मुताबिक " अकेला चना भाड़ नही फोर सकता " यह गल्त है । बल्कि यह सरेआम भाजपा के मुंह में तमाचा है ...? जी हां हमे पता है कि आपको यह सच्चाई स्वीकार नही होगी चूंकि सच्चाई सीधे सीधी को स्वीकार नही होती ...? " सबके साथ .. सचके साथ "