सीधी (आदित्य सिंह ) विश्व के प्रथम उपन्यास कादम्बरी का लेखन महाकवि बाणभट्ट ने अपनी तपोस्थली मध्य प्रदेश के उत्तर पूर्व छोर में स्थित सिद्ध भूमि सीधी के 972 ईस्वी पुराने ऐतिहासिक चन्दरेह शिव मंदिर में किया था । देश और प्रदेश को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाली इस उपन्यास की जन्मस्थली प्राचीनतम् ऐतिहासिक पुरातात्विक धरोहर चन्दरेह को उस स्तर पर पहचान नहीं मिल सकी । प्रशासनिक स्तर पर कई बार इस पुरातात्विक धरोहर को पर्यटन से जोड़ने और विकास के प्रयास किए गए और किए जा रहे हैं, लेकिन इसके संरक्षक विभाग भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भोपाल मंडल एवं सरकार द्वारा इसे अपने विशेष कार्य योजना में शामिल नहीं करने से आज यह धरोहर पहचान के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं को मोहताज है । सीधी जिले की आकर्षक मनोहारी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण सोन ,महान , बनास तीन नदियों के संगम स्थल और पहाड़ियों के नजदीक स्थित चन्दरेह शिव मंदिर एवं विहार चेदि वंश (850- 1015) ईस्वी के प्रारंभिक काल का है ।यह प्रबोध शिव के गुरु द्वारा बनाया गया था। इसके बगल में दो मंजिला विहार भी स्थित है ।विहार के अभिलेख के अनुसार इसका निर्माण कार्य 972 ईस्वी में पूर्ण हुआ था । यह मंदिर एवं विहार अपने विशिष्ट स्थापत्य व शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। चन्दरेह महाकवि बाणभट्ट की तपोस्थली भी रही है। विश्व का पहला उपन्यास कहे जाने वाले कादम्बरी जो कि बाणभट्ट की अमर कृति है ।जिसका लेखन बाणभट्ट ने सातवीं शताब्दी में चन्दरेह में किया था । इस तरह से कादम्बरी की जन्मस्थली यही पौराणिक स्थल है, लेकिन सार्थक और समुचित पहल के अभाव में विश्व में पहचान रखने वाली कादम्बरी उपन्यास की जन्मस्थली को देश क्या अपने प्रदेश में समुचित पहचान नहीं मिल सकी । विन्ध्य के पर्यटन का केन्द्र बन सकता है चन्दरेह सीधी, रीवा, सतना और शहडोल चार जिलों की सीमा से लगा ऐतिहासिक चन्दरेह मंदिर विन्ध्य के पर्यटन का केंद्र बन सकता है ।चन्दरेह से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर शिकारगंज रेस्ट हाउस है। इसके अलावा देशी-विदेशी पर्यटक जो रीवा -सतना क्षेत्र के भ्रमण में आते हैं उनके लिए भी चन्दरेह की दूरी आसान रहेगी । मुकुंदपुर टाइगर सफारी से जहां चन्दरेह 50 किलोमीटर है । वहीं परसिली रिसार्ट से 15 किलोमीटर नजदीक है। इसके साथ-साथ चन्दरेह से महज 15 किलोमीटर में गुलाब सागर बांध और शहडोल जिले का बाणसागर बांध 25 किलोमीटर की दूरी में है । जिले की पुरातात्विक धरोहर चन्दरेह के पर्यटन विकास के लिए प्रमुख दरकार की ओर नजर दौड़ाई जाए तो यहां मूलभूत सुविधा बिजली की पर्याप्त सुविधा के साथ-साथ मंदिर मठ का जीर्णोद्धार के अलावा मंदिर परिसर क्षेत्र के चारों तरफ बाउंड्री और कायाकल्प होने के साथ शुद्ध पेयजल और पर्यटकों के लिए कुछ समय ठहरने बैठने वाहन पार्किंग की व्यवस्था होनी आवश्यक है। चन्दरेह क्षेत्र से लगे गांवों की लोक कलाओं को विशेष सांस्कृतिक आयोजन कर महत्त्व देने के साथ यहां की ग्रामीण हस्तकला और क्षेत्र से लगे भरतपुर हथकरघा केंद्र में निर्मित खादी के वस्त्रों की यहां देश -प्रदेश स्तर की प्रदर्शनी का आयोजन होना चाहिए ।इस क्षेत्र को पर्यटन विकास से जोड़ने के लिए शासकीय व निजी स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार की दरकार है ।