दिल्ली (ईन्यूज एमपी)-एमपी में पंचायत चुनाव में रोटेशन प्रक्रिया सहित अन्य प्रक्रिया का पालन न करने को लेकर आज शुक्रवार 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा पक्ष रखेंगे। एमपी हाईकोर्ट में याचिका पर अर्जेंट हियरिंग न होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने इसे स्वीकार करते हुए आज शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय की है। याचिकाकर्ताओं के साथ ही मध्यप्रदेश सरकार सहित अन्य पक्षकारों को भी अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशित किया है। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार 16 अक्टूबर को स्पष्ट कर चुका है कि एमपी में होने वाला त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आदेश के अधीन होगा। मामले में गुरुवार को नाटकीय मोड़ आया सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुरुवार को याचिकाकर्ताओं ने जबलपुर हाईकोर्ट में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के रोटेशन सहित अन्य प्रक्रियाओं में नियमों का पालन न करने का मामला उठाते हुए चुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ से अर्जेंट हियरिंग की मांग की थी। पर हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए तीन जनवरी अगली तारीख तय कर दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। जहां याचिका स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई तय की है। पंचायत चुनाव की वैधानिकता, अध्यादेश, रोटेशन और परिसीमन को लेकर लगी हैं याचिकाएं एमपी में पंचायत चुनाव को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दायर हुई हैं। पहले ग्वालियर खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई। वहां से प्रकरण मुख्य खंडपीठ पहुंची। वहां नौ दिसंबर को एक साथ सभी याचिकाओं की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से मना कर दिया। तब याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट में चले गए। सुप्रीम कोर्ट में 15 को हाईकोर्ट और 16 को हाईकोर्ट द्वारा अर्जेंट हियरिंग से मना करने पर फिर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। पंचायत चुनाव की वैधानिकता को दी है चुनौती भोपाल के मनमोहन नायर और गाडरवाडा के संदीप पटेल सहित पांच अन्य याचिकाकर्ताओं ने तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है राज्य सरकार ने 2014 के आरक्षण रोस्टर से चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है,जो असंवैधानिक है। 2019 में राज्य सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से नए सिरे से आरक्षण लागू किया था। बिना इस अध्यादेश को समाप्त किए, दूसरा अध्यादेश लाकर 2022 का पंचायत चुनाव 2014 के आरक्षण के आधार पर कराने का निर्णय लिया गया है, जो असंवैधानिक है।