भोपाल(ई न्यूज एमपी )सोमवार को सूर्य ग्रहण लगेगा। यह इस साल का आखिरी और दूसरा सूर्य ग्रहण है। इससे पहले 21 जून को पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था। 2020 का अंतिम सूर्य ग्रहण इस बार पूर्ण ग्रहण होगा। भारत में यह नहीं देखा जा सकेगा और शेष दुनिया के भी कुछ ही हिस्सों में दिखेगा। यह ग्रहण 14 दिसंबर, सोमवार को लगेगा। विदेशोंं में पूर्ण ग्रहण की अवधि सुबह 9ः43 बजे से 9ः45 बजे के बीच दो मिनट दस सेकंड की होगी। भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का समय शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगा और इसकी समाप्ति मध्यरात्रि में यानी 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की रहेगी। तिथि अनुसार यह ग्रहण अगहन कृष्ण अमावस्या को घटित होगा। यह खंडग्रास प्रकार का ग्रहण होगा एवं यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी धार्मिक एवं ज्योतिष मान्यता नहीं है। पूर्ण ग्रहण के दौरान सूर्य के कोरोना के अध्ययन के लिहाज से यह घटना खगोल विज्ञानियों के लिए अहम होनी जा रही है। आर्यभटट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल (एरीज) के वरिष्ठ सौर विज्ञानी डा. वहाबउददीन के अनुसार सूर्य के कोरोना के आज भी कई गुत्थियां हैं, जिन्हें अभी तक समझा नही जा सका है। ऐसे मौकों का सौर विज्ञानियों को इंतजार रहता है और इस बार भी विज्ञानी तैयारी में हैं। यह ग्रहण 14 दिसंबर को लगेगा। भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का समय शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगा और इसकी समाप्ति मध्यरात्रि में यानी 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की रहेगी। तिथि अनुसार यह ग्रहण अगहन कृष्ण अमावस्या को घटित होगा। यह खंडग्रास प्रकार का ग्रहण होगा एवं यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी धार्मिक एवं ज्योतिष मान्यता नहीं है।जानिये कहां दिखाई देगा यह सूर्य ग्रहण वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसका समय विदेशों के लिए है। इस ग्रहण को दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत महासागर सहित दक्षिण अमेरिका एवं मैक्सिको के कुछ इलाकों में देखा जा सकेगा। इसके अलावा यह सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में भी दिखाई देगा।चूंकि यह ग्रहण भारत में नज़र नहीं आएगा इसलिए गत चंद्र ग्रहण की तरह इस सूर्य ग्रहण का भी कोई सूतक काल नहीं होगा एवं इसका यहां कोई प्रभाव नहीं होगा। यह चिली व अजेर्टीना के अलावा प्रशांत महासागर में रहेगा। इस ग्रहण का अधिकांश हिस्सा महासागर में पडने जा रहा है। आंशिक सूर्य ग्रहण बोलेविया, पेरू, ब्राजील, उरुग्वे व एक्वाडोर से नजर आएगा। यह इस साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। इस साल कुछ 6 ग्रहणों का संयोग है। इनमें दो सूर्य ग्रहण और चार चंद्र ग्रहण हैं। अभी तक कुल 5 ग्रहण हो चुके हैं। पिछला सूर्य ग्रहण 21 जून, रविवार को लगा था जो खंडग्रास था और उसे देश के कई शहरों में देखा गया था। यह साल आकाशीय, खगोलीय घटनाओं से भरपूर रहा है। इस साल सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के अलावा कई बार एस्टेरॉयड के आने की घटनाएं हुईं। दुर्लभ धूमकेतु भी दिखाई दिया था और इसी साल आकाश में एक ही सीध में कई ग्रह एक साथ आए थे। ब्लू मून जैसी दुर्लभ घटना भी इस साल देखने को मिली। लेकिन ग्रहण का प्रभाव समूची सृष्टि पर एक साथ पड़ता है इसलिए ग्रहण काल के दौरान कुछ चीजों की मनाही है। ग्रहण काल में भोजन करना, कुछ पीना, तेज आवाज से बोलना, शुभ कार्य, मांगलिक कार्य आदि नहीं किए जाते हैं। इस अवधि में गर्भवती महिलाओं को भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिये। ऐसा करने पर गर्भस्थ शिशु पर बुरा असर पड़ सकता है। धार्मिक दृष्टि के अनुसार इस दौरान नकार शक्तियां जाग्रत होती हैं एवं वैज्ञानिक दृष्टि से इस समय सूर्य से निकलने वाला रेडिऐशन बहुत घातक होता है। इसलिए दोनों दृष्टियों के अनुसार ग्रहण काल में बाहर जाना बाधित है। धातुओं में तुलसी के पत्तों को रख देना चाहिये। ग्रहण के समय स्नान ना करें लेकिन समाप्त होने पर अवश्य स्नान करना चाहिये। इससे शुद्धिकरण हो जाता है। चूंकि इस समय प्रकृति बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए हर बात का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। जहां तक सूतक की बात है, यह सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों के समय लगता है। बस घटना के समय भौगोलिकता को देखकर इसका समय तय किया जाता है। इस बार भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जाएगा इसलिए यहां इसका सूतक नहीं लग रहा है। ग्रहण के पहले मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण खत्म होने पर शुद्धिकरण के बाद खोले जाते हैं। वर्ष 2020 में जो ग्रहण लगेंगे उनमें केवल एक ही दिखाई देगा। इस साल 4 उप ग्रहण होंगे, जिसमें उपछाया चंद्रग्रहण पड़ेगा। इन ग्रहणों का भारत में कोई असर नहीं पड़ेगा 10 जनवरी को लगा चंद्रग्रहण उपछाया था, जिसका कोई सूतक नहीं गा। इसलिए मंदिरों के पट भी बंद नहीं हुए। भारत में सिर्फ दो ग्रहण ही दिखाई देंगे। जिसमें पहला आज 21 जून को लगा सूर्यग्रहण है। दूसरा आगामी 14-15 दिसंबर को लगने वाला खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। ये दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई देंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार उपछाया ग्रहण वास्तव में चंद्रग्रहण नहीं होता है।