enewsmp.com
Home सीधी दर्पण श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण ही मानव जीवन के उद्धार की सीढ़ी- बाला व्यंकटेश महाराज

श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण ही मानव जीवन के उद्धार की सीढ़ी- बाला व्यंकटेश महाराज

सीधी (ईन्यूज एमपी)-स्थानीय पूजा पार्क में शुक्रवार 10 जनवरी 2020 को श्रीमद्भागवत कथा के पॉचवें दिन कथा प्रारंभ के पूर्व व्यास पीठ पर शुसोभित पं. बाला व्यंकेटेश महाराज का भक्तों के द्वारा अभिषेक एवं पुष्प माला अर्पित कर
विध विधान के पूजा अर्चना की गई। कथा के मंगलाचरण में व्यास महाराज ने
कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण ही मानव जीवन के उद्धार की सीढ़ी है,
शर्त सिर्फ इतनी है कि श्रोता की श्रद्घा कितनी गहरी है, क्योंकि उसी
गहराई के अनुसार ही भक्ति का फ ल मिलता है।

आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह में पं. बाला व्यंकेटेश महाराज ने
श्रोताओं को काम, क्रोध, मद, मोह, से दूर रहने की सलाह दी। आगे उन्होंने
कहा कि हृदय से किया गया प्रभु स्मरण मनुष्य के मोक्ष के द्वार खोलने का
काम करता है। इसलिए अपने मन को काबू में रखते हुए अपने हृदय को प्रभु
चरणों में स्मृत रखिए। साथ ही उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता का महत्व
समझाते हुए कहा कि भगवत गीता में मनुष्य के जीवन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण
सार समाहित है। भागवत पुराण को सुनने और उसका अनुसरण करने से मनुष्य का
जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने कहा, अगर आप बीमार हैं तो बिना दवा के
ठीक नहीं होंगे, ठीक इसी प्रकार जब तक शास्त्र संगत अच्छा सत्संग नहीं
करेंगे, तब तक मन का इलाज नहीं होगा। उत्तरकांड में गरुण जी ने पूछा कि
प्रभु शरीर के रोग तो होते हैं जिनको मैं जानता हूंए लेकिन क्या मन के
रोग भी होते हैं। तब उन्होंने गरुण जी को बताया, मनुष्य को मन के रोग
जीवन भर तमाम भ्रांतियों में रखते हैं ऐसे में मन को काबू में रखना स्वयं
के स्वास्थ्य को ठीक करने के बराबर है।

कथा के प्रारंभ में व्यासपीठ एवं कथा व्यास महाराज पंडित वाला व्यंकटेश
का माल्यार्पण से स्वागत कथा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष गणेश सिंह चौहान
डेम्हा, सुरेन्द्र सिंह बोरा, श्रीमती कुमुदिनी सिंह, श्रीमती सीमा सिंह,
अशोक सिंह, बी.के. सिंह, ए.पी.सिंह, अंकुर सिंह, अशोक सोनी, बाबूलाल
ङ्क्षसंह सहित आदि भक्तों ने किया। वहीं मंच का सफल संचालन चिंतक विचार
अंजनी सिंह शौरभ करते हुए बतायें कि यह कथा निरंतर 12 जनवरी तक पूजा
पार्क में दोपहर 02 बजे से निरंतर की जायेगी।

Share:

Leave a Comment