सीधी(ईन्यूज एमपी)- प्रशांत कुमार पाण्डेय मीडिया सेल प्रभारी (लोकअभियोजन) सीधी द्वारा बताया गया कि दिनांक 09/01/15 को समय दोपहर 1:30 बजे कोष एवं लेखा लिपिक राजेन्द्र तिवारी सहायक ग्रेड 03 जिला कोषालय सीधी जिला सीधी के पद पर पदस्थ होकर लोकसेवक की हैसियत से जिला सीधी अंतर्गत आरक्षी केंद्र विशेष पुलिस स्थापना भोपाल में फरियादी धनेश साह के पिता की मृत्यु के पश्चात् माता श्रीमती शोभरानी साह की पारिवारिक पेंशन स्वीकृत करने के लिए फरियादी धनेश साह से 5000 रू. की मांग अवैध पारितोषिक के रूप में किया, जिसकी लिखित शिकायत फरियादी धनेश साह द्वारा पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त रीवा को किया। दिनांक 09/01/15 को दोपहर 1:30 बजे जिला कोषालय सीधी में अभियुक्त राजेन्द्र तिवारी द्वारा उपरोक्त कार्य करने के लिए अवैध पारितोषिक के रूप में 2000 रू. प्राप्त किया। इसप्रकार अभियुक्त राजेन्द्र तिवारी द्वारा लोकसेवक होते हुए भ्रष्ट एवं अवैध साधनों से स्वयं के लिए अवैध पारितोषिक के रूप में 2000 रू. प्राप्त कर आर्थिक धन प्राप्त किया। पुलिस अधीक्षक रीवा के निर्देशानुसार दिनांक 09/01/15 को लोकायुक्त रीवा टीम के द्वारा लोकायुक्त निरीक्षक विद्या वारिधि तिवारी, लोकयुक्त निरीक्षक अरविंद तिवारी, लोकायुक्त निरीक्षक मनोज सोनी, प्र. आर. रविशंकर मिश्रा, आर. उमाकांत तिवारी, आर. शैलेन्द्र मिश्रा, आर. सुभाष पाण्डेय द्वारा दिनांक 09/01/15 को जिला कोषालय सीधी के कार्यालय में 2000 रू. की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। प्रकरण में 02/05/16 को माननीय विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सीधी के तहत 02/05/16 को चालान पेश किया गया, जहां अभियोजन की ओर से 13 साक्षी पेश किए गए। विशेष सत्र प्रकरण क्र. 02/16 में श्रीमती भारती शर्मा जिला अभियोजन अधिकारी के कुशल निर्देशन में श्री अतुल शर्मा अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी की सशक्त पैरवी, श्री प्रशांत कुमार पाण्डेय सहायक जिला अभियोजन अधिकारी के मौखिक अंतिक तर्क एवं श्रीमती रीना सिंह सहायक जिला अभियोजन अधिकारी के प्रभावी सहयोग के परिणाम स्वरूप आरोपी राजेन्द्र तिवारी को दोषी प्रमाणित कराया गया। उक्त प्रकरण में दिनांक 30/09/19 को माननीय विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) सीधी द्वारा निर्णय पारित कर आरोपी राजेन्द्र तिवारी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 में 03 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2000 रू. अर्थदंड एवं धारा 13(2) में 04 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2000 रू. के अर्थदंड से दंडित किया।