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Home सीधी दर्पण महापंचायत का फैसला, सरकार को अधिग्रहित भूमि वापस करने को किया जाएगा मजबूर.....

महापंचायत का फैसला, सरकार को अधिग्रहित भूमि वापस करने को किया जाएगा मजबूर.....

* नवंबर में कलेक्ट्रेट सीधी एवं दिसंबर में विधान सभा सचिवालय का किया जाएगा  घेराव*

पथरौला/सीधी (ईन्यूज यमपी):-- मझौली तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भुमका में टोंको-रोको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के अयोजकत्त्व में उर्जा व उसके वित्त विषय पर 27 एवं 28 सितंबर को कार्यशाला का आयोजन किया गया।जिसमें विंध्य क्षेत्र के कई संघर्ष, जल जंगल और जमीन को लेकर चल रहे हैं।जिसमें साथियों ने लड़ाई  जारी रखी है। इसमें विशेष तौर पर पॉवर परियोजनाओं को और सीमेंट प्लांट को भारी मात्रा में अधिग्रहित की गई भूमि, पानी विस्थापन और प्रदूषण आदि मुद्दों पर संघर्षों को आगे कैसे लेकर जाएं। जिससे कि हमारे संघर्ष मजबूत हों और आगे बढ़े। इस हेतु उर्जा व वित्त के मुद्दे की गहराई से  समझाने एवं समझ रखने वाले देश के अलग-अलग कोने से पहुंचे विशेषज्ञों द्वारा शिविरार्थियोंं को ऊर्जा और वित्त विषय पर गहराई से जानकारी दी गई।

 वहीं 29 सितंबर को "अधिग्रहित भूमि वापसी संकल्प महापंचायत" का आयोजन भी उसी स्थान में किया गया। जहां नारा दिया गया "गांव छोड़ब नहीं,जंगल छोड़ब नहीं।

मायमाटी छोड़ब नहीं,लडाई छोडब नहीं ।

महापंचायत में देश एवं प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा मंच साझा किया गया और महापंचायत पर अपना समर्थन व्यक्त किया गया।

 जिसमें रविदत्त सिंह प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ,रामनारायण कररिया प्रदेश अध्यक्ष मध्य प्रदेश किसान सभा, कामरेड विजय कुमार राज्य सचिव भाकपा माले, कामरेड लाल मणि त्रिपाठी राज्य उपाध्यक्ष अखिल भारतीय नौजवान सभा, सौम्या दत्ता पर्यावरणविद और ज्ञान-विज्ञान जत्था दिल्ली, इंजीनियर राज बहादुर सिंह सचिव भारतीय किसान यूनियन, रिष्वेशर सोनी सामाजिक कार्यकर्ता सिंगरौली, राजेश जी ऊर्जा एवं वित्त विशेषज्ञ दिल्ली, कामरेड उर्मिला अध्यक्ष अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन मध्य प्रदेश, कामरेड सुंदर सिंह बघेल जिला सचिव मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, सरोज सिंह जिला समन्वयक एकता परिषद, ईश्वर चंद्र त्रिपाठी प्रदेश सचिव भारतीय किसान यूनियन,कार्तिकानंद सोनी वरिष्ठ साहित्यकार बघेली, श्रीनिवास साकेत सामाजिक कार्यकर्ता, शिव कुमार सिंह प्रभावित किसान एवं कार्यकर्ता क्रांतिकारी मोर्चा, सालिक द्विवेदी सामाजिक कार्यकर्ता सहित काफी लोगों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। महापंचायत की अध्यक्षता कर रहे क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि भाजपा व कांग्रेस के दोनों दल के सरकारों के हाथ किसान व मजदूरों के खून से रंगे हैं।दिल्ली का प्रधानमंत्री व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस महापंचायत के माध्यम से यह  चेतावनी है कि किसान व मजदूरों की मांग पर विचार नहीं करते हैं तो ऐसी सरकारों को जड़ से उखाड़ कर फेंक दिया जाएगा। वहीं ग्राम मूसामूड़ी व भुमका में  आयरन पावर प्लांट के नाम पर, महुआगांव जिला सिंगरौली में डीवी पावर प्लांट के नाम पर एवं सिंगरौली के चितरंगी तहसील के  नवानगर में रिलायंस पावर प्लांट के नाम पर 5 वर्ष पूर्व अधिग्रहित की गई जमीनों को वापस किसानों को दिलाने के लिए भी यह महापंचायत की गई है। वहीं प्रदेश सरकार को आगाह किया गया कि कांग्रेस इस मुगालता में ना रहे कि उसे लोकप्रियता के चलते प्रदेश की सत्ता मिली है। जबकि हकीकत यह है कि मंदसौर गोलीकांड की वजह से कांग्रेस को 3 राज्यों में राजतिलक हासिल हुआ है।अगर वादा पूरा नहीं होता है तो प्रदेश में यह कांग्रेस की अंतिम सरकार होगी। इसकी घोषणा भी महापंचायत करती है। अधिग्रहण को विकास का नाम दिया गया है। जबकि कर्जमाफी में हो रही देरी पर भी यह महापंचायत अपना फैसला देगी। किसान सम्माननिधि की घोषणा की राशि भी अभी किसानों के खाते में नहीं आई है ,कुल लागत का डेढ़ गुना फसल का दाम देने का वादा केंद्र सरकार द्वारा किया गया था लेकिन उसे अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। इस पर भी महापंचायत अपना निर्णय देगी।

वही अन्य वक्ताओं में कामरेड सुंदर सिंह बघेल, श्रीनिवास साकेत, विनय मिश्रा, कामरेड बलराज सिंह ,कुसुम कली सिंह ,कामरेड बलराज सिंह ,सालिक द्विवेदी ,कामरेड बलजीत सिंह, शिव कुमार सिंह एवं सरोज सिंह द्वारा स्थानीय मुद्दों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए गए। वहीं दिल्ली से आए ऊर्जा एवं वित्त विशेषज्ञ राजेश द्वारा सरकारों और उद्योगपतियों के बीच किस तरह साठगांठ कर मजदूरों व किसानों के जमीन एवं अधिकारों का शोषण किया जाता है। जिस पर गहराई से जानकारी दी गई और  आगाह किया गया कि जब तक किसान मजदूर संगठित होकर खुद आवाज नहीं उठाएगा तब तक इसी तरह सरकारों और उद्योगपतियों द्वारा शोषण और लूट होता रहेगा। वही रविदत्त सिंह द्वारा कहा गया कि सरकार और उद्योगपतियों के बीच जो गठजोड़ चल रहा है और शोषण का खेल खेला जा रहा है। उसके लिए किसान मजदूरों को एक

होकर संघर्ष के रास्ते पर आना होगा तभी उनके अधिकारों व हितों की रक्षा होगी। और किसान मजदूर अपने संगठन के दम पर देश में क्रांतिकारी नीति का मसौदा तैयार कराने के लिए सरकारों को बाध्य करेंगे तब हमारे हित और अधिकारों की रक्षा होगी। वही कामरेड विजय कुमार ने कहा की अपने क्षेत्र में कई जगह यहां जैसी स्थित और अधिग्रहण की कार्रवाई की गई है। इसलिए सभी मामलों को एकजुट करके एक बड़ा संगठन संयुक्त रूप से तैयार कर उसे एक जनांदोलन का रूप दिया जाए। और सरकार और उद्योग पतियों को जन आंदोलन के माध्यम से चेतावनी दी जाएगी इस तरह शोषण व लूट  बर्दाश्त नहीं होगी। कामरेड उर्मिला  ने महिला सशक्तिकरण के विषय को उठाते हुए कहा  कि महिलाओं का भी संघर्ष अपने देश के लिए कम नहीं है।और आधुनिक नारियों को भी संघर्ष की राह पर आने की जरूरत है तभी समाज की भलाई है।और समाज के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी। सरोज सिंह द्वारा कहा गया कि शोषण और अत्याचार ऊपर से लेकर नीचे तक है लेकिन जिसे जहां अत्याचार और शोषण दिखे उसे वहीं पर आत्मविश्वास के साथ आवाज उठानी चाहिए ताकि ऐसे लुटेरों को हतोत्साहित किया जाए। और उन्हें कानून के हवाले किया जाए तब जाकर एक स्वस्थ समाज की व्यवस्था कायम हो पाएगी। रीवा से आए लालमणि त्रिपाठी द्वारा भी क्रांतिकारी उद्बोधन देते हुए कहा गया कि जिसने लड़ा है उसकी जीत हुई है। यह इतिहास कह रहा है। इसलिए अब समय आ गया है कि संघर्ष की राह पर चलना चाहिए। कामरेड विजय कुमार द्वारा केंद्र व प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा गया कि यह सरकारें उद्योगपतियों की पोशक हैं।और किसान मजदूर की शोषक है। इसलिए हमें संघर्ष के बल पर अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए संकल्प लेना पड़ेगा। 

 उमेश तिवारी द्वारा महापंचायत के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा गया कि ग्राम भुमका एवं मूसामूड़ी में कुल 11 सौ एकड़ जमीन में किसान पूरी जमीन में काश्त करेंगे जिसका प्रस्ताव किया जाता है। खसरा में कब्जेदार के कालम में किसान का नाम लिखा जाना चाहिए और अगर नहीं लिखा जाता है तो दिसंबर में कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव कर कब्जा लिखने को मजबूर किया जाएगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ को ज्ञापन दिया जायेगा कि अपने वादा के मुताबिक किसानों का नाम भूमि स्वामी के रूप में दर्ज किए जाने हेतु विधेयक पास आदेश जारी करें जो कि उनके संगठन का चुनाव पूर्व वचन पत्र का वादा था। अगर प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने भोपाल जाता है और मुलाकात का समय नहीं दिया जाता है तो जब विधानसभा सत्र चालू होगा तब विधानसभा का घेराव किया जाएगा। एवं "एक पांव रेल में ,एक पांव जेल में" के नारा के साथ महारैली का आगाज किया जाएगा। नवंबर माह में जिला सरकार जिसका सचिव कलेक्टर होता है जहां मूसामूड़ी और भुमका के किसानों के जमीन में  किसानों को भूमि स्वामी दर्ज करने के लिए जिला सरकार का घेराव कर मजबूर किया जाएगा। वही ईश्वर चंद त्रिपाठी ने सुझाव दिया कि अगर जिला सरकार के घेराव से संतोषप्रद समाधान नहीं निकलता है तो संभागायुक्त कार्यालय रीवा का घेराव किया जाना चाहिए।  पूरे आयोजन में सहयोगी कार्यकर्ता कुसुम कली सिंह सरपंच सेंधवा ,श्रीपाल सिंह सेंधवा, भूपेंद्र कुशवाहा सामाजिक कार्यकर्ता भुमका, विजय बहादुर सिंह सामाजिक कार्यकर्ता, राजेश कुशवाहा ,पंपी  सिंह ,विजय बहादुर सिंह मूसा मुड़ी ,कमलेश सिंह ,धनी सिंह,अनीता सिंह सरपंच भुमका ,रामकली सिंह, सशिकला सिंह ,रामबाई सिंह,धनी सिंह, श्यामकली सहित काफी तादाद में स्थानीय किसान मजदूर एवं सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे। तथा यसडीओपी कुशमी पीयल प्रजापति ,चौकी प्रभारी मडवास तेजभान सिंह अपनी टीम के  साथ पूरे समय मुस्तैद रहे। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार तिवारी के द्वारा किया गया।

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