दिल्ली(ईन्यूज एमपी)-सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकारी नौकरी में प्रमोशन में आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण देना जरूरी नहीं है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही था, इसलिए फिर से विचार सही नहीं है. यानी इस मामले को दोबारा 7 जजों की पीठ के पास भेजना जरूरी नहीं है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये साफ है कि नागराज फैसले के मुताबिक डेटा चाहिए. लेकिन एक राहत के तौर पर राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करना जरूरी नहीं है. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की दलील स्वीकार की हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार के लिए झटके के तौर पर माना जा सकता है. इससे पहले कई बार सरकार इसके पक्ष में अपनी दलील दे चुकी है. पहले भी सरकार SC/ST समुदाय का आक्रोश झेल रही है ऐसे में कोर्ट का ये आदेश सरकार की चिंता बढ़ा सकता है. दरअसल, 2006 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सरकारी नौकरियों में प्रमोशन पर आरक्षण को लेकर फैसला दिया था. उस वक्त कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इस तरह की व्यवस्था को सही ठहराया था. हालांकि, 12 साल बाद भी न तो केंद्र और न राज्य सरकारों ने ये आंकड़े दिए. इसके बजाय कई राज्य सरकारों ने प्रमोशन में आरक्षण के कानून पास किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते ये कानून रद्द होते गए. एससी/एसटी संगठनों ने प्रमोशन में आरक्षण की मांग को लेकर 28 सितंबर को बड़े आंदोलन का ऐलान कर रखा है.