रायपुर(ईन्यूज एमपी)- राज्य सरकार से नाराज सरपंच संघ अब प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। सरपंचों ने सरकार से मानदेय देने, निर्माण की राशि सीधे पंचायतों के खाते में देने जैसी कई मांगें की थीं जिसे सरकार ने पूरा नहीं किया है। इससे आक्रोशित सरपंच कह रहे कि सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर अमलीजामा हम पहनाते हैं और जनता का आक्रोश भी हमें ही झेलना पड़ता है। जब सबकुछ हमें ही करना है तो सरकार भी हम ही क्यों न चलाएं। सोशल मीडिया में सरपंचों की मुहिम चल रही है। पांच मई को बस्तर में चुनाव लड़ने के मुद्दे पर बैठक बुलाई गई है। अगर सरपंच संघ चुनावी मैदान में उतरा तो कांग्रेस, भाजपा, जोगी कांग्रेस सभी का समीकरण गड़बड़ा सकता है। छत्तीसगढ़ में 10 हजार 971 पंचायतें हैं। इन पंचायतों में इतने ही सरपंच और इसके कई गुना पंच हैं। यह सभी स्थानीय जनप्रतिनिधि एक हो गए तो सरकार की मुसीबत बढ़ सकती है। कबीराम जिले के सरपंच तथा राज्य सरपंच संघ के आयोजनकर्ता प्रदीप चंद्रवंशी ने मिडिया से बताया कि सरपंचों ने पांच-पांच जिलों का संभाग बनाकर हर संभाग का प्रभारी बना दिया है। बस्तर मेें महेश कश्यप, बेमेतरा में राजेश दुबे, बिलासपुर में जानकी राठिया, सूरजपुर में त्रिभुवन टेकाम और महासमुंद संभाग में रूपलाल पटेल को चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। रायपुर से हिम्मत चंद्राकर और बालोद से लेखन चंद्रवंशी संरक्षक बनाए गए हैं। संगठन ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सरपंच कह रहे हैं-भाजपा-कांग्रेस छोड़ो पंचायती राज का अधिकार जोड़ो। चंद्रवंशी ने कहा कि सरकार त्रिस्तरीय पंचायती राज का अधिकार हमें नहीं दे रही है। सरपंच संघ चुनाव के लिए अलग पार्टी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा लेकिन एक गुट बनाएगा जिसमें पंचायत शब्द जुड़ा रहेगा।