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मिलिट्री ने सभी सांसदों को फेंका संसद से बाहर...

माले(ई न्यूज एमपी )-मिलिट्री ने बुधवार को सभी सांसदों को संसद भवन के बाहर फेंक दिया। मेंबर्स को बाहर फेंकने की तस्वीरें विपक्षी मालदीवन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) ने ट्वीट की हैं। बता दें कि मालदीव में पिछले 13 दिनों से राजनीतिक संकट चल रहा है। बता दें कि मालदीव के मौजूदा प्रेसिडेंट अब्दुल्ला यामीन ने देश में इमरजेंसी का एलान कर रखा है। सेना ने मंगलवार को संसद को घेर लिया था और मेंबर्स को भीतर दाखिल होने से रोक दिया था।

सांसदों को बाहर फेंकने पर क्या बोली MDP?

- न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, MDP के सेक्रेटरी जनरल अनस अब्दुल सत्तार ने कहा, "सिक्युरिटी फोर्सेस ने वाकई सांसदों को पार्लियामेंट बिल्डिंग से बाहर फेंक दिया। चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद भी अपने ऑफिस में सच बयां कर रहे थे, जब उन्हें उनके चैम्बर से जबरन घसीट लिया गया था।"

मालदीव में राजनीतिक संकट क्यों?
- 2008 में मोहम्मद नशीद पहली बार देश के चुने हुए राष्ट्रपति बने थे। 2012 में उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद से ही मालदीव में संकट शुरू हुआ।
- एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर एक मामले को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इन नेताओं की रिहाई के आदेश भी दिए थे। कोर्ट ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पार्टी से अलग होने के बाद बर्खास्त किए गए 12 विधायकों की बहाली का भी ऑर्डर दिया था।
- सरकार ने कोर्ट का यह ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया था, जिसके चलते सरकार और कोर्ट के बीच तनातनी शुरू हो गई।

मालदीव के राष्ट्रपति ने क्या कदम उठाया, क्या दलील दी?
- लोग राष्ट्रपति अब्दुल्ला के विरोध में सड़कों पर आए थे। विरोध देखते हुए सरकार ने 5 फरवरी को देशभर में 15 दिन की इमरजेंसी का एलान कर दिया।
- अब्दुल्ला ने इमरजेंसी पर दलील दी थी कि उनके खिलाफ साजिश रची जा रही थी और इसकी जांच के लिए इमरजेंसी लगाई दी गई।

पूर्व प्रेसिडेंट मो. नशीद ने इमरजेंसी पर क्या कहा?
- 2008 में मालदीव में लोकतंत्र की स्थापना के बाद मो. नशीद प्रेसिडेंट बने थे। 2015 में उन्हें आतंकवादी विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया था और तब से वे निर्वासित हैं। नशीद भारत के करीबी माने जाते हैं और उन्होंने राजनीतिक संकट से उबरने के लिए मालदीव में भारत से सैन्य दखल की अपील की थी।

मालदीव पर किसका क्या स्टैंड है?
भारत:नरेंद्र मोदी ने मालदीव के मसले पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से बात की थी। व्हाइट हाउस ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा था कि दोनों नेता चाहते हैं कि मालदीव में कानून और लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होनी चाहिए। हलांकि, इस दौरान ये भी रिपोर्ट आई कि भारतीय सेना मालदीव में दखल देने के लिए तैयार है।

चीन:मालदीव को लेकर चीन का स्टैंड बदलता रहा है। पहले चीन ने कहा कि भारत और उसके बीच मालदीव विवाद की वजह नहीं बनेगा। लेकिन, मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स ने संपादकीय में लिखा- "यूएन की इजाजत के बिना, कोई भी ऑर्म्ड फोर्स किसी भी देश में दखल नहीं कर सकती। चीन मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देगा। इसका मतलब यह नहीं कि बीजिंग उस वक्त चुप बैठा रहे, जब नई दिल्ली नियम-कायदों को तोड़े। भारत यदि एकतरफा कार्रवाई करते हुए मालदीव में सेना भेजता है तो चीन भी उसे रोकने के लिए जरूरी एक्शन लेगा।"

यूनाइटेड नेशंस: UN में ह्यूमन राइट्स हाईकमिश्नर जिया राद अल हुसैन ने मालदीव में इमरजेंसी लगाए जाने को लोकतंत्र की हत्या बताया था। UN सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने मालदीव की सरकार से जल्द इमरजेंसी हटाने की मांग की थी। बता दें कि यूरोपियन यूनियन ने भी राष्ट्रपति अब्दुल्ला से मुलाकात की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया था।

भारत के लिए अहम क्यों है मालदीव?
- मालदीव की आबादी 4.15 लाख है। यह भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति की वजह से मालदीव, भारत के लिए अहम है।
- चीन मालदीव के डेवलपमेंट पर पैसे लगा रहा है। 2011 तक चीन की यहां एंबेसी भी नहीं थी, लेकिन अब यहां मिलिटरी बेस बनाना चाहता है। राष्ट्रपति यामीन को चीन का करीबी माना जाता है। मालदीव अब चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। इनके बीच ट्रेड एग्रीमेंट भी हुए हैं।

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