(ईन्यूज़ एमपी स्पेशल) - नोटबंदी के बाद बाजार में सिक्कों की संख्या में बेहताशा वृद्धि हो गई थी। पहले जहां सिक्कों की कमी के कारण दुकानदार लोगों को चॉकलेट दे दिया करते थे। नोटबंदी के बाद स्थिति ठीक विपरीत हो गई है। बाजार में सिक्के इतने बढ़ गए हैं कि आम जनजीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें 1,2, 5, या 10 या किसी भी मुद्रा का सिक्का लेने से कोई भी बैंक या व्यापारी इनकार नहीं कर सकता। अगर कोई बैंक या व्यापारी मना करता है, तो उसके खिलाफ कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने में भारतीय मुद्रा अपमान अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करवा सकता है। RBI पहले ही दे चूका है वार्निंग:- इससे पहले शिकायत आयी थी की बैंक सिक्के नहीं लेते हैं जिसके बाद रिज़र्व बैंक ने एक आदेश जारी कर चेताया था की सभी बैंक और उनकी शाखाएं अपने खाताधारक को आरबीआई की निर्दिष्ट सेवाएं देने को बाध्य हैं। इनमें सभी नए और साफ-सुथरे नोट एवं सिक्के जारी करने, कटे-फटे और गंदे नोट बदलने और किसी भी ट्रांजेक्शन और बदलाव में सिक्कों को स्वीकार करने के लिए बाध्य है। प्रतिदिन प्रति खाताधारक एक हजार रुपए कीमत तक के एक रुपए और उससे अधिक मूल्य वर्ग के सिक्के जमा कर सकता है। सरकार ने सिक्कों की वारे में साफ़ की स्थिति:- सरकार ने 1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्कों को चलन से बाहर करने का कोई निर्णय नहीं किया है। वित्त राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन ने मंगलवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फिलहाल 50 पैसे के छोटे मूल्य वर्ग के सिक्कों के अतिरिक्त बाजार में 1, 2, 5 और 10 रुपए मूल्य वर्ग के सिक्के परिचलन में हैं और ये सभी वैध मुद्रा हैं। उन्होंने बताया कि कुछ क्षेत्रों में कुछ मूल्य वर्गों के सिक्के स्वीकार करने की कुछ लोगों की अनिच्छा बारे भारतीय रिजर्व बैंक ने 20 नवम्बर, 2016 को एक विज्ञप्ति के जरिए स्पष्ट किया है कि विभिन्न आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषय वस्तु को प्रकट करने के लिए समय-समय पर विभिन्न डिजाइन में सिक्के चलाए जाते हैं। एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने बताया चूंकि सिक्के लंबे समय तक परिचलन में रहते हैं। इसलिए सामान्यत: विभिन्न डिजाइन और आकार के सिक्के भी एक ही समय में परिचलन में रहते हैं।