भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मध्य प्रदेश के 29 सांसदों को अहम जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं, जिसमें राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों को डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटियों में जगह मिली है। इस सूची में राज्य के कई बड़े नाम शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह कमेटी 31 सांसदों के साथ देश के शिक्षा और सामाजिक कल्याण संबंधी नीतियों पर काम करेगी। महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ: 1. दिग्विजय सिंह को शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल से संबंधित संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इस समिति में 21 लोकसभा सांसद और 10 राज्यसभा सांसद शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, होशंगाबाद के सांसद दर्शन सिंह चौधरी भी इस समिति के सदस्य होंगे, जो राज्य के लिए एक और अहम भूमिका साबित हो सकती है। 2. बीजेपी सांसद सुमित्रा बाल्मिकी मध्य प्रदेश की एकमात्र ऐसी सांसद हैं जिन्हें दो संसदीय समितियों में जगह दी गई है। उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता समिति और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण समिति का सदस्य बनाया गया है। जबलपुर से आने वाली सुमित्रा बाल्मिकी को राज्यसभा के लिए चुना गया था और अब उन्हें केंद्र की नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिला है। 3. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय समिति में मध्य प्रदेश के चार सांसदों को शामिल किया गया है। इस समिति में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, और देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को शामिल किया गया है। यह समिति 31 सांसदों के साथ देश की कानून व्यवस्था और न्याय प्रणाली पर नीतिगत सलाह देगी। अन्य प्रमुख सांसदों की जिम्मेदारियाँ: मध्य प्रदेश के अन्य प्रमुख सांसदों को भी विभिन्न संसदीय समितियों में जगह मिली है। इनमें वीडी शर्मा, डॉ. राजेश मिश्रा, हिमाद्री सिंह, शंकर लालवानी, आलोक शर्मा, अनिल फिरोजिया, जनार्दन मिश्रा, गणेश सिंह, सुधीर गुप्ता, माया नरोलिया, और राहुल सिंह लोधी जैसे नाम शामिल हैं। राज्य के कुल 40 सांसदों में से 29 सांसदों को इन संसदीय समितियों में विभिन्न जिम्मेदारियाँ दी गई हैं। ये समितियाँ केंद्र सरकार की नीति निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं और इन्हें विभिन्न विभागों के लिए योजनाओं और कार्यान्वयन पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी दी जाती है। इनमें से 5 लोकसभा और 2 राज्यसभा सांसद पहले से ही मोदी सरकार में मंत्री पद पर कार्यरत हैं। संसदीय स्थायी समितियाँ केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं और नीतियों की समीक्षा करती हैं और सांसदों को इनमें भाग लेने का अवसर देती हैं। इसके माध्यम से सांसद देश की शासन प्रणाली में सीधे तौर पर जुड़ते हैं और अपने-अपने क्षेत्रों की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर उठाते हैं। मध्य प्रदेश के सांसदों को इस बार मिली जिम्मेदारियाँ राज्य के विकास और नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।