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Home मध्य प्रदेश इंजीनियरिंग छोड़ खेती कर रहे इस युवा किसान की आलीशान जिन्दगी देख उड़ जायेंगे आपके होश.....

इंजीनियरिंग छोड़ खेती कर रहे इस युवा किसान की आलीशान जिन्दगी देख उड़ जायेंगे आपके होश.....

(ईन्यूज़ एमपी)- परम्परागत और उन्नत खेती का फर्क अगर देखना हो तो हरदा जिले के सौताड़ा गाँव में देखा जा सकता है। इस गाँव के युवा किसान अतुल बारंगे ने अपनी आधा एकड़ जमीन में उन्नत खेती के नये प्रयोग से सफलता हासिल की है। अतुल की गाँव में लगभग 30 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर परिवार जन कई वर्ष से पारम्परिक खेती करते थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे अतुल का मन तो गांव के खेतों में भटक रहा था जहां खेती पिता संभाल रहे थे। एक दिन पढ़ाई छोड़कर खुद किसान बन गए। जबकि दूसरे किसान खेती में नुकसान का रोना रो रहे थे। उन्होंने उपलब्ध साधनों से उन्नत खेती शुरू की। मध्यप्रदेश सरकार के उद्यानिकी मिशन से सन 2015 में 50 प्रतिशत अनुदान पर 25-25 डिसमिल के दो पॉलीहॉउस बनवाए। एक पालीहाउस पर नौ लाख 35 हजार रूपए का खर्च आया था। मध्यप्रदेश सरकार की उद्यानिकी मिशन की संरक्षित खेती योजना के माध्यम से 50 प्रतिशत अनुदान प्राप्त हुआ। अतुल कहते है कि प्राप्त अनुदान मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। मैं निरंतर इटेलियन खीरे की फसल लगा रहा हूं। 25 डिस्मिल में 2500 से 2800 खीरे का बीज लगता है। जिसका मूल्य लगभग 15 हजार रूपए है। इतना ही खाद और स्प्रे का खर्च आता है। खीरा बीज लगाने से 45 दिन बाद मार्केट में बेचने लायक हो जाता है। उत्पादन भी 45 से 50 दिन तक होता है। बीज अपने पूरे समय में कम से कम 800 किलो और अधिकतम 1200 किलो का उत्पादन देता है। बाजार भाव 12 से 30 रुपये तक का मिलता है। कम समय में और कम जमीन में अच्छा उत्पादन और मुनाफा होता है। मेरा अनुभव कहता है कि नौकरी के लिए हर दिन आठ घंटे खपाने से बेहतर उतना समय अपनी खेती को दिया जाए तो सफलता निश्चित ही मिलती है। मैने भी यही सोचा अंत में खेती को अपना धंधा बनाया। आज मैं 30 एकड़ में मिश्रित खेती करता हूँ। जिसमें मैं सब्जी और अन्य फसल लगता हूँ। कोशिश रहती है कि रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का ही प्रयोग किया जाए। आज गाँव में इस परिवार का आलीशान घर है। खेती के सभी आधुनिक साधन हैं। खुद का गोबर गैस प्लांट तथा गौ-वंशीय पशु है। पूरा परिवार सम्पन्न तथा खुशहाल जिन्दगी जी रहा है।

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