सीधी (ईन्यूज एमपी)- जिले के कई शासकीय कार्यालयों में पदस्थ दैनिक वेतन भोगी एवं कलेक्टर दर के कर्मचारी अफसरों की चाकरी बजाने में लगे हुए हैं जिन्हें वेतन तो सरकार से मिल रहा है लेकिन गुलामी अधिकारियों की कराई जा रही है कागजों पर इनकी हाजिरी लेकर अफसर उनसे निजी कार्य ले रहे हैं। जी हां जिले के नगर पालिका, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग , उद्यानिकी, पीएचई सहित कई ऐसे शासकीय कार्यालय हैं जहां कागजों पर तो दर्जनों कर्मचारी आमजन की सेवा के लिए नियुक्त किए गए हैं लेकिन यदि वास्तविकता में जाकर निरीक्षण किया जाए तो गिनती के कुछ ही कर्मचारी इन विभागों में अपनी सेवाएं देते पाए जाएंगे कारण की कुछ रसूखदारों की सेवा में उनके घरों में तैनात है तो कुछ साहब की चाकरी बाजा रहे हैं , नपा पर गौर करें तो यहां भारी संख्या में कई श्रेणी के कर्मचारी तैनात हैं जिनमें सफाई कर्मियों से लेकर चपरासी एवं कंप्यूटर ऑपरेटर तक के पदों पर भर्ती की गई है और उनकी संख्या भी इतनी है कि सरकार का लाखों का बजट उनकी सैलरी पर खर्च हो रहा है लेकिन जिन मकसद के लिए इन्हें रखा गया है और इन्हें तनख्वाह दी जा रही है वह उद्देश्य कहीं से भी पूर्ण होता दिखाई नहीं देगा कारण कि रसूखदारों के घर इन्हें तैनात कर दिया गया है और जो बचे कुचे हैं उनसे अफसर अपनी अफसरी चमका रहे हैं नाम मात्र के कर्मचारी सड़कों पर एवं नपा में कार्यरत देखे जाते हैं रजिस्टर में तो बकायदा उनकी तैनाती नपा के अलग-अलग वार्ड हो उद्यान में दिखाई जा रही है लेकिन इनका दर्द वही बयां कर सकते हैं दिन रात बराबर रसूखदारों और अफसरों का हुकुम बजाते बजाते इनकी जिंदगी भर हो गई है और तो और कई रसूखदार ऐसे भी हैं जिनका नाम तो रजिस्टर में लिखा है लेकिन वे कभी नौकरी पर ही नहीं जाते महज दस्तखत कर वह सरकार से वेतन लाभ ले रहे हैं और ऐसे कर्मचारियों की भरमार नपा, पीएचई एवं पीडब्ल्यूडी, सिंचाई समेत बिजली विभाग में भी भारी मात्रा में है। कहने को तो यह सरकारी कर्मचारी हैं लेकिन सरकारी काम में इन्हें शर्म महसूस होती है और हो भी क्यों ना रसूखदार जो ठहरे लेकिन जिले का प्रशासन कुछ इस तरह मदहोश है कि अधीनस्थ विभागों की इन गलतियों पर कभी भी इनकी नजर ही नहीं पड़ती और इनके मनमानियां लंबे अर्से से चल रही है। खैर लंबे समय से जो भ्रष्टाचार और लीपापोती चल रही है वह चलती ही रहेगी लेकिन यदि जिला प्रशासन इस ओर गौर करता है तो हो सकता है कि कुछ शोषित मजदूर और कर्मचारियों का भला हो जाए इसके लिए जरूरत है कि सभी विभागों में तैनात दैनिक वेतन भोगी कर्मियों एवं श्रमिक मजदूरों की सत्यता की जांच कराई जाए और कौन कहां सेवा दे रहा है इसका वास्तविक आकलन किया जाए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।