सीधी (ईन्यूज़ एमपी): जिले में मलेरिया और अन्य मच्छरजनित बीमारियों पर स्वास्थ्य विभाग की सख्त निगरानी और सक्रिय प्रयासों के चलते बड़ा सुधार देखने को मिला है। जिला मलेरिया अधिकारी हरिओम सिंह ने बताया कि मलेरिया विभाग द्वारा निरंतर रूप से फीवर सर्वे, लार्वा सर्वे, लार्वा विनष्टीकरण और आवश्यकतानुसार फाॅगिंग व कीटनाशक छिड़काव जैसे उपायों से संक्रमण की रोकथाम की जा रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2022 में जहां 172 मलेरिया केस दर्ज हुए थे, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 58 रह गई और 2024 में सिर्फ 39 प्रकरण ही सामने आए। सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि पिछले कई वर्षों से मलेरिया से किसी की मृत्यु नहीं हुई है। यह सफलता जिले की आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और एमपीडब्ल्यू के समर्पित सर्वे कार्यों से संभव हो सकी है। आशा कार्यकर्ताओं के पास उपलब्ध रैपिड डायग्नोस्टिक किट के माध्यम से बुखार के मरीजों की तत्काल जांच की जा रही है और पॉजिटिव पाए जाने पर तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाता है। मच्छरों की रोकथाम के लिए बीटीआई पाउडर और लिक्विड जल स्रोतों में डलवाया जा रहा है। साथ ही चिन्हित क्षेत्रों में 5% सिंथेटिक पायरेथ्राइड का छिड़काव कराया जा रहा है। जनता से अपील: कूलरों का पानी हर सप्ताह बदलें। घरों के आसपास पानी जमा न होने दें। मच्छरदानी या मच्छररोधी जाली का प्रयोग करें। ग्रामीण इलाकों में नीम की पत्ती का धुआं करें। बुखार आने पर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र या आशा कार्यकर्ता से संपर्क कर जांच कराएं। जिले में मलेरिया, डेंगू और चिकुनगुनिया की स्थिति इस समय सामान्य बनी हुई है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।