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Home सीधी दर्पण सीधी-घंटे भर की बारिश से सड़कें बनी तालाब, रोड के गड्ढों से लोग हो रहे परेशान.....

सीधी-घंटे भर की बारिश से सड़कें बनी तालाब, रोड के गड्ढों से लोग हो रहे परेशान.....

सीधी (ईन्यूज एमपी)- भारी गर्मी के बीच आज उमड़े बादलों ने मौसम को तरबतर कर दिया और दोपहर बाद से उमड़ घुमड़ करने के बाद शाम से हुई जोरदार बारिश ने मौसम के मिजाज को ठंडा कर दिया लेकिन इस ठंडक के बीच जगह जगह इकट्ठा हुए पानी में नपा के कामों और लापरवाही की पोल भी खोल दी।

जी हां कहने को तो सीधी स्मार्ट होता जा रहा है, मिनी स्मार्ट सिटी के तहत जगह जगह शहर में कार्य हो रहे हैं लेकिन आज हुई बरसात ने स्मार्ट सिटी की असलियत सामने लाकर रख दी जो हाल पिछले मानसून में था आज भी वही बरकरार है शहर में जगह-जगह सड़कों पर पानी जमा है कालोनियों में जर्जर हुई सड़कें तालाबों की शक्ल ले चुकी हूं गड्ढों में इकट्ठा हुआ पानी दुर्घटना का कारण बन रहा है लोग परेशान हैं की करे तो करे क्या....?

जी हां बता दें कि कहने को तो नपा में कर्मचारियों की भरमार है लेकिन काम के नाम पर देखा जाए तो सब काम बेकार है बात करें नपा कार्यालय के बाहर हॉस्पिटल चौक की तो स्मार्ट सिटी की यह सड़क हल्की बारिश के बाद ही मिनी तालाब बन जाती हैं। स्टेडियम से कालेज को जाने वाले रास्ते पर गौर करें तो सूखा नदी पर बनी पुल के गड्ढे लंबे समय से दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहे हैं बारिश में तो यह समस्या और भी बढ़ जाती है इसी सड़क पर आदिवासी विभाग के संचालित हास्टल के पास का गड्ढा तो जैसे सीधी की पहचान ही बन गया है और बारिश में यह तालाब का रूप ले लेता है आने जाने वालों को कीचड़ और पानी से दो चार होना पड़ता है और बरसात में तो दोपहिया वाहनों का जहां पर गिरना आम बात है पुराने बस स्टैंड से नए बस स्टैंड जाने वाले रास्ते पर स्थित पुराना सूखा नदी का पुल भी कम दुखदाई नहीं है लेकिन इन रास्तों से आम आदमी की गुजरते हैं इसलिए यह जर्जर ही पड़ा है और अधिकारियों की नजर से छुपा हुआ है।

कहने को तो शहर स्मार्ट हो रहा है लेकिन अधिकारियों कर्मचारियों की उदासीनता कहीं ना कहीं लोगों के जहान में वार कर रही है , नई सड़कें और इमारतें बनाने से शहरवासियों का भला नहीं होगा बल्कि पूर्व की व्याप्त समस्याओं का समाधान अधिकारियों के जहन में होना चाहिए बजट का रोना रोने वाले सड़क के गड्ढे तो भरी सकते हैं और लंबे समय से चिन्हित समस्याओं का समाधान हो ही सकता है । जरूरत है तो जागरूकता की जिससे लोगों में स्थानीय प्रशासन को लेकर संतोष रहे यह भी बात सही है कि सबको संतुष्ट नहीं किया जा सकता लेकिन जीवन के लिए जो कष्टप्रद है उसका समाधान तो नितांत आवश्यक है अभी अगर शहर का यह हाल है तो मानसून में क्या होगा और यह बात भी किसी से नहीं छुपी है कि मानसून में ज्यादातर कालोनियों की सड़कें नाले का रूप ले लेती है ।

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