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Home मध्य प्रदेश दिग्विजय सिंह समेत छह कांग्रेस नेताओं को एक-एक साल कारावास की सजा......

दिग्विजय सिंह समेत छह कांग्रेस नेताओं को एक-एक साल कारावास की सजा......

इंदौर (ईन्यूज एमपी)- दस साल पुराने मारपीट के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित छह लोगों को इंदौर विशेष न्यायालय ने एक-एक साल कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोपितों पर पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। दिग्विजय सिंह व अन्य पर 17 जुलाई 2011 को उज्जैन में भाजयुमो कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट का आरोप था। खास बात यह कि एफआइआर में दिग्विजय सिंह का नाम ही नहीं था लेकिन बाद में अभियोजन ने धारा 319 के तहत एक आवेदन देकर उनका नाम जुड़वाया गया था। प्रकरण का विचारण भोपाल के विशेष न्यायालय में चल रहा था लेकिन पिछले दिनों जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज प्रकरणों की सुनवाई के लिए इंदौर में विशेष न्यायालय गठित होने के बाद प्रकरण भोपाल से इंदौर विशेष न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था। शनिवार को विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ ने मामले में फैसला सुनाया। सजा सुनाने के कुछ ही देर बाद दिग्विजयसिंह और अन्य को 25-25 हजार के मुचलके पर जमानत भी दे दी गई।


घटना 17 जुलाई 2011 की है। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उज्जैन आए थे। भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय सिंह और अन्य कांग्रेसी नेताओं को काले झंडे़ दिखाए थे। इससे नाराज होकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भाजयुमो कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट कर दी। घटना में भाजयुमो के अमय आप्टे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस मामले में जीवाजी गंज पुलिस थाने में कांग्रेस नेताओं पर जानलेवा हमले की कोशिश का प्रकरण दर्ज हुआ था। एडवोकेट कमल गुप्ता के अनुसार प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने एक आवेदन दिया था कि मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भी संलिप्तता है। उनका नाम भी एफआइआर में जोड़ा जाए। कोर्ट ने इस आवेदन को स्वीकारते हुए सिंह का नाम एफआइआर में जोड़ लिया।


आरोपितों ने कोर्ट में तर्क रखा था कि सिंह को 2011 में जेड सुरक्षा मिली थी। ऐसे में संभव नहीं है कि वे सुरक्षा घेरा तोड़कर जाए और किसी के साथ मारपीट करें। कोर्ट ने दलीलों को खारिज कर दिया था।प्रारंभिक रूप से कांग्रेस नेताओं पर एफआइआर में जानलेवा हमले की धारा 307 भी लगाई थी। हालांकि गुड्डु व अन्य नेता हाई कोर्ट पहुंचे थे और कोर्ट के निर्देश पर धारा हटाना पड़ी थी। निर्णय के बाद सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील की जाएगी। पूर्व सांसद गुड्डु ने कहा कि इस घटना से एक दिन पहले 16 जुलाई को भी कुक्षी में भाजपा के लोगों ने दिग्विजय सिंह के काफिले पर हमला किया था। 17 को उज्जैन में घटना दोहराई लेकिन वहां पुलिस ने हमारी रिपोर्ट भी नहीं लिखी।


केस में नौ नामजद आरोपित थे

मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, तराना से विधायक महेश परमार, दिलीप चौधरी, जय सिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा, मुकेश भाटी और हेमंत चौहान को आरोपित बनाया गया था।

छह को सजा, तीन बरी

विशेष न्यायालय ने मामले में मुकेश भाटी, हेमंत चौहान और तराना विधायक महेश परमार को बरी कर दिया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू, दिलीप चौधरी, जयसिंह दरबार, असलम लाला, अनंत नारायण मीणा को एक-एक साल की सजा और पांच-पांच हजार रूपये अर्थदंड की सजा से दंडित किया।


दो घंटे कोर्ट रूम में बैठे सिंह

दस साल से जारी इस प्रकरण के निर्णय से पहले जिला कोर्ट मं आखिरी तारीख पर दिग्विजयसिंह, गुड्डु व अन्य नेता खुद पेश हुए। कोर्ट ने पहले सुनवाई के लिए 3.30 बजे का वक्त तय किया था। सिंह पहुंचे तो वकीलों ने 4.50 बजे का समय दिया। बाद में शाम करीब 6.15 बजे कोर्ट ने निर्णय सुनाया। इस दौरान दिग्विजयसिंह करीब दो घंटे तक कोर्ट रूप में ही बैठकर इंतजार करते रहे। सजा सुनाने के बाद फैसले की प्रति लेने और फिर जमानत की प्रक्रिया चलती रही। इस दौरान कोर्ट रूम के बाहर बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता मौजूद रहे। शाम 7 बजे तक जिला कोर्ट में गहमा-गहमी थी।

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