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प्रधान जिला न्यायाधीश ने किया ‘‘संवेदनशील साक्षी अभिसाक्ष्य केन्द्र’’ का शुभारंभ -------

सीधी (ईन्यूज एमपी)-प्रधान जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष अमिताभ मिश्र द्वारा एडीआर सेंटर जिला न्यायालय सीधी में ‘‘संवेदनशील साक्षी अभिसाक्ष्य केन्द्र’’ का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर मुजीबुर्रहमान खान, पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार श्रीवास्तव, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण डी एल सोनिया सहित न्यायाधीशगण, अधिवक्ता एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहें।

इस अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश श्री मिश्र ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए आदेश के अनुपालन में संवेदनशील साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किये जाने हेतु संवेदनशील साक्षीगण अभिसाक्ष्य केन्द्र स्थापित किया गया है। संवेदनशील साक्षीगण के साक्ष्य संबंधित न्यायालयों में ग्रहण न की जाकर संवेदनशील साक्षीगण अभिसाक्ष्य केन्द्र ए.डी.आर. भवन सीधी में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से ग्रहण की जायेगी। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि कई बार पीड़ित व्यक्ति एवं संवेदनशील गवाह न्यायालय के वातावरण को देखकर तथा अपराधियों को देखकर भयभीत हो जाते हैं। वह सहज रहकर अपने कथन नहीं दे पाते हैं। इन सभी समस्याओं के निराकरण के दृष्टिगत माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्रिमिनल अपील क्रमांक 1101ध्2019 स्मृति तुकाराम बडेडे विरूद्ध महाराष्ट्र राज्य व अन्य के प्रकरण में दिनांक 11.01.2022 को पारित आदेश में अपराधिक प्रकरणों में संवेदनशील साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए जाने हेतु न्यायालयों में अनुकूल वातावरण की अपेक्षा की गई है, जिससे वे स्वेच्छा से कथन देने में समर्थ हो तथा स्वयं को असहज महसूस न करते हुए बिना दबाव व तनाव के आपराधिक मामलों में अपनी साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें।

प्रधान जिला न्यायाधीश ने बताया कि बाल साक्षी (जिन्होने 18 वर्ष की आयु ग्रहण न की हो), यौन शोषण अपराध एवं (354) भा.दं.सं. के पीड़ित साक्षी (सहपठित धारा 273, 327 दं.प्र.सं.), यौन शोषित लिंग के प्रति तटस्थ पीड़ित साक्षी (सहपठित धारा 2 डी पाक्सो एक्ट 2012), अप्राकृतिक यौन अपराध के लिंग, आयु के प्रति तटस्थ शोषित साक्षी (धारा 377 भा.दं.वि.), मानसिक बीमारी से पीड़ित साक्षी (धारा 2 एस मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017) सहपठित (धारा 118 भारतीय साक्ष्य अधिनियम), धमकी अथवा खतरे की संभावना से पीड़ित साक्षी (साक्षी संरक्षण स्कीम 2018), कोई मूक, बधिर साक्षी अथवा शारीरिक अक्षमता से ग्रसित ऐसा साक्षी जिसे न्यायालय द्वारा संवेदनशील साक्षी मान्य किया गया हो, को संवेदनशील साक्षी माना जायेगा। इसके साथ ही कोई ऐसा साक्षी जिसे न्यायालय द्वारा संवेदनशील साक्षी मान्य किया गया हो, उसके भी कथन इस केंद्र में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लिए जायेंगे।

कलेक्टर श्री खान ने कहा कि प्रधान जिला न्यायाधीश के मार्गदर्शन में यह एक अनुकरणीय पहल की गई है। सूचना और प्रौद्योगिकी के बेहतर इस्तेमाल से न्याय व्यवस्था सुदृढ़ होगी। संवेदनशील साक्षी को बेहतर वातावरण मिलेगा जिससे वह बिना किसी दबाव के अपने साक्ष्य देने में सक्षम होगा।

पुलिस अधीक्षक श्री श्रीवास्तव ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे पुलिस के कार्य में भी सकारात्मक असर होगा। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि कई प्रकरणों में गवाहों के दवाब में आ जाने और अपने बयान से मुकरने के कारण अपराधियों को सजा नहीं मिल पाती थी। इस अभिनव प्रयोग से अब इस प्रकार की संभावनाएं न्यूनतम हो जायेंगी। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे। अपराधियों को सजा मिलने के प्रतिशत में वृद्धि होगी जो समाज में एक अच्छा संदेश देगी।

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि न्यायपालिका में भी समय के साथ-साथ पुरानी परंपराओं में बदलाव लाए जा रहे हैं। इससे संवेदनशील साक्षियों को एक बेहतर वातावरण मिलेगा, उनके न्यायालय में उपस्थित रहने के स्थान पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी पहल है अधिवक्ता संघ इस पहल का स्वागत करता है।

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