सीधी (ईन्यूज एमपी)- जिले के जनपद पंचायत मझौली क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत नौढ़िया सचिव की मनमानियां कुछ इस कदर हावी है कि प्रत्येक मंगलवार को कोई ना कोई उनके खिलाफ शिकायत लेकर कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत के सम्मुख खड़ा ही रहता है लेकिन बावजूद इसके ना तो ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो रहा है और ना ही उक्त सचिव को कोई कुछ कहने वाला है जिसके कारण सचिव के हौसले कुछ इस कदर बुलंद है कि वह खुलेआम ग्रामीणों को धमका रहा है ऐसा ग्रामीणों का आरोप है। आरोप है कि नौढ़िया सचिव कि मनमानी के किस्से तो इस तरह प्रसिद्ध है कि कभी बिना काम के राशि का आहरण कर लेता है, तो कभी विकलांगों और बच्चों को श्रमिक दिखा कर उनके नाम का मजदूरी भुगतान खुद ही निकाल लेता है, विगत जनसुनवाईओं में उसके विरुद्ध कई मामले आए हैं जहां ग्रामीणों के खाते फिनो बैंक में खुलवा कर समस्त दस्तावेज उसके द्वारा खुद ही रख लिए गए हैं और उन्ही खातों में राशि डालकर उसका आहरण कर लिया जा रहा है। जी हां बता दें कि मझौली जनपद के नौढ़िया सचिव विगत 4 वर्षों से नौढ़िया पंचायत में सचिव के पद पर लगातार पदस्थ हैं उनके विरुद्ध पंचायत में लापरवाही और वित्तीय अनियमितताओं की कई शिकायतें हो चुकी हैं ग्रामीणों द्वारा बार-बार वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगाई जा रही है कि उनके नाम से खाते खुलवा कर सचिव द्वारा उसमें मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है और खुद ही उसका अहरण भी किया जा रहा है। विगत मंगलवार को हुई जनसुनवाई में भी 2 आवेदकों द्वारा कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ के सम्मुख आवेदन देते हुए कहा गया था कि हमारे पास बुक और एटीएम कार्ड सचिव द्वारा यह कह कर रख लिए गए हैं कि मजदूरी आने पर राशि अहरण कर आपको दे दी जाएगी लेकिन मजदूरी की राशि तो दूर उनके खातों में आई किसान सम्मान निधि की राशि भी सचिव द्वारा आहरित कर ली गई है। आवेदक दर-दर भटक रहे हैं। और आज एक बार फिर नौढ़िया सचिव हिमांशु गुप्ता की शिकायत लेकर एक आवेदक कलेक्टर की जनसुनवाई में उपस्थित हुआ और उसकी शिकायत है कि सचिव द्वारा उससे पंचायत में हो रहे गौशाला निर्माण कार्य कि देखरेख (चौकिदारी) हेतु₹6000 प्रति माह की दर से रखा गया था।करीब 10 महीनों तक चौकीदारी का काम लिया गया लेकिन जब भुगतान की बात आई तो उसके द्वारा महज ₹25000 देकर उसे कार्य से पृथक कर दिया गया और 10 माह का पारिश्रमिक जो कि ₹60000 होता है उसमें से ₹35000 सचिव द्वारा हड़प लिए गए और मांग करने पर धमकाया जाता है। लगातार हर हफ्ते 60 किलोमीटर का सफर तय कर कोई ना कोई ग्रामीण यदि किसी शासकीय सेवक कि शिकायत लेकर जिला मुख्यालय पहुंच रहा है तो इसके पीछे जरूर कोई ना कोई वजह होगी बेवजह कोई क्यों इतनी भागदौड़ करेगा और तथ्यों के साथ यदि कोई किसी की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से करता है तो उसे आस रहती है कि इस पर कार्यवाही होगी लेकिन जनसुनवाई में आते आते अब ग्रामीणों कि आस भी डूबने लगी है, सचिव के हौसले इस कदर बुलंद है कि उसे किसी कार्यवाही का डर ही नहीं है वरिष्ठ अधिकारी अगर गहनता से सभी प्रकरणों की जांच करें तो सचिव के कारनामे उजागर होंगे, ग्रामीणों कि माने तो विगत 4 वर्षों में सचिव द्वारा आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित कर ली गई है और पैसे और पहुंच के दम पर मनमाने तरीके से भ्रष्टाचार किया जा रहा है वर्तमान में अगर गौर करें तो राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा भी यह आदेश पारित किया गया है कि गृह ग्राम अथवा एक ही पंचायत में 3 वर्षों से अधिक समय से पदस्थ सचिवों को स्थानांतरित किया जाएगा लेकिन उक्त नियम शायद सीधी जिले में और मझौली जनपद की नौढ़िया पंचायत में लागू ही नहीं होता, खैर अब देखना यह है कि शिकायतों का दौर कब तक जारी रहेगा प्रशासन इस पर कोई कदम उठाता है या फिर हर जनसुनवाई में लोगों की आस टूटती रहेगी ....?