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चेहरे चर्चित चार, शिक्षक - चिकित्सक - संविदकार और कलाकार.......

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उन लोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
शिक्षक - चिकित्सक - संविदकार और कलाकार.......

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📱डॉक्टर आर.एम. त्रिपाठी ✍️
वरिष्ठ चिकित्सक

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चेहरे चर्चित चार के इस अंक में आज हमारे साथ एक ऐसी शख्शियत है जो बेहद विषम परिस्थितियों को पार कर बुलंदियों तक पहुची और धनार्जन की जगह मानव सेवा और एक चिकित्सक के मूल रूप और कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए सीधी जिले में अपनी अमिट झाप झोड़े हैं ,ग्रामीण परिवेश में गिल्ली डंडे और कंचे के साथ पले बढ़े,लालटेन की रोशनी में ज्ञानार्जन कर गांव की कीचड़ भरी गलियों से विद्यालय का सफ़र तय कर एक सफल और हर दिल अजीज बाल्य रोग चिकित्सक डांक्टर हमारे आज के मेहमान हैं डाक्टर राजेन्द्र मणि त्रिपाठी जिन्हें हम बच्चा वाले डाक्टर आर एम त्रिपाठी जी के नाम से जानते है ।

अक्सर यही होता है कि किसी कि वर्तमान स्थिति देखकर लोग यह अंदाजा नही लगा पाते कि इनका अतीत कैसा रहा होगा, जो वर्तमान है वो कैसे अतीत से संघर्ष कर इस मुकाम पर पंहुचा है, ऐसा ही हाल आज के हमारे ख्याति प्राप्त डांक्टर त्रिपाठी जी कि कहानी है ... इनका जन्म रीवा जिले के रायपुर कर्चुलियाँन में हिनौता ग्राम में 22 जुलाई 1955 में हुआ, इनकी प्राथमिक शिक्षा इनके ननिहाल के प्राथमिक शाला गोड़हर में संपन्न हुई इसके बाद स्कूली शिक्षा 9 वी से 11 तक विज्ञान समूह से मार्तण्ड स्कूल क्रामंक 1 रीवा से पूर्ण हुई है ।इसके बाद टीआरएस कालेज रीवा से इन्होने बीएससी की पढाई की |विज्ञान समूह होने के नाते इन्होने एक डाक्टर बनने का लक्ष्य रखा और PMT में इनका चयन हो गया और मेडिकल कालेज रीवा से ही पहले MBBS और बाद में MD शिशुरोग की डिग्री हासिल की| सन 1979 से शासकीय सेवा में लग गए|

उक्त उपलब्धियों और डिग्रियों का विवरण जितना सरल अंकित है वास्तव में ये उतनी थी नहीं, जानकारी मिली और हमने उल्लेख कर दिया बस ये ही सत्य नही है, डाक्टर त्रिपाठी कि माने तो उनका सफ़र थोडा कठिन था लेकिन समस्याए सुनकर आज की युवा पीढ़ी के होश ही उड़ जायेगे कि एक डाक्टर जो चिकित्सा क्षेत्र में इतना बेहतर और सफल है उसका अतीत ऐसा था ... जी हाँ, डाक्टर त्रिपाठी कि माने तो वो सामान्य परिवार से थे और उनकी प्रारंभिक से लेकर हायर तक की पढाई लालटेन में ही हुई जी हाँ लालटेन और घर से स्कूल तक का सफ़र भी पैदल ही गुजरा डाक्टर साहब धूल और कीचड़ भरे रास्तो से विद्यालय और घर का सफ़र करीब 6 से 7 किलो मीटर तय करते थे, और रात्रि की पढाई लालटेन की रोशनी में करते थे, बिजली के दर्शन इन्हें PMT के बाद ही हुए......

डाक्टर त्रिपाठी का बचपन एक बेहद धार्मिक परिवार से जुड़ा हुआ है, इनके दादा रामायण और भगवत गीता में ही लीन रहे पिता भी बेहद धार्मिक थे किंतु कड़क स्वाभाव के रहे हैं और शायद यही वजह है कि उनके कार्यो में बेहद मार्मिकता देखी जाती है, बतौर डाक्टर इनकी पहली पोस्टिंग शहडोल से हुई और फिर रीवा जिले के कई जगहों पर इन्होने अपनी सेवाए दी लेकिन सीधी जिले में इनकी जन सेवा के कार्य जो हमारे सामने अभी भी है वो बेहद मार्मिक है शासकीय चिकित्सालय में जिस मनोभाव से बच्चो के प्रति इन्होने सेवा दी वो सराहनीय है, बच्चो को लेकर ये सदैव ही बेहद एक परिजन की भूमिका में ही नजर आए जिला चिकित्सालय में आये दिन कई ऐसे बच्चे जिनके माता पिता बेहद गरीब थे उन बच्चो के लिए डाक्टर साहब मेडिकल से खुद दवा खरीदते नजर आए, अपने निजी क्लिनिक में भी इनके द्वारा कभी फीस को लेकर किसी पर दवाब नहीं बनाया गया बच्चे के स्वास्थ्य को इन्होने सदैव प्राथमिकता दी एवं उचित इलाज और सलाह से न जाने कितने बच्चो को इन्होने स्वस्थ्य जीवन की सौगात दी, समय समय पर शिशु हित को लेकर जिला चिकित्सालय के जिम्मेदारो से भी इनके तेवर तल्ख हुए और कमियों को सुधारने हेतु ये प्रयासरत रहे हां ये बात अलग है कि बच्चो के लिए प्रयासरत ये खुद ही अपने स्वास्थ्य से हार गए और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को चलते इन्होने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली । लेकिन बच्चो के लिए ये फिर भी सक्रिय रहे और जिले में यथा संभव अपना समय देते रहे, कोरोना जैसी महामारी में अपना व्यक्तिगत नम्बर सार्वजानिक कर इनके द्वारा शिशु स्वास्थ्य से जुडी सलाह लोगो को दी गई और वर्तमान में भी ये एक सक्रिय चिकित्सक के तौर पर बने हुए है ।


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📱 प्रेमशंकर पाण्डेय✍️
रिटायर्ड प्राचार्य


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चर्चित चेहरे चार में आज हम बात करेगे शिक्षा जगत से प्रेम शंकर पाण्डेय का , इनका जन्म 8 अगस्त 1956 को एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ । आप की आरंभिक शिक्षा मप्र के शहडोल जिले में हुई उसके पश्चात हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए आप 1971 में रीवा आ गए वहां से आपने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण की, आपने स्नातक की पढाई रीवा के ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय से 1975 में उत्तीर्ण की तत्पश्चात आगे की पढ़ाई के लिए आप वाराणसी गए वहां इन्होंने पूरे विश्वविद्यालय में द्वितीय स्थान अर्जित करते हुये इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री 1978 में प्राप्त की इस दौरान आपका लगाव अध्यात्म जैसे विषयों से भी था । अपने वाराणसी से ही संस्कृत और ज्योतिष शास्त्र जैसे विषयों की पढ़ाई भी की साथ ही उस दौरान यह प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय, मुंगेर से योग शिक्षक की भी ट्रेनिंग प्राप्त किए ।
तत्पश्चात आप ने पी.एच.डी. की पढ़ाई काशी विद्यापीठ से जारी रखी साथ ही वहां आप अध्यापन कार्य भी करते रहे किंतु पारिवारिक और आर्थिक परिस्थितियों की वजह से वह अपनी पी.एच.डी. पूरी न कर सके और 1981 से व्याख्याता के तौर पर सीधी जिले के हनुमानगढ़ स्कूल से जुड़े । इन दिनों ही आपके पास बैंक की सर्विस ज्वाइन करने का भी ऑफर प्राप्त हुआ लेकिन आप ने शिक्षक का दायित्व निर्वहन करने को ही चुना ।
1986 में B.Ed. करने के पश्चात आपकी पदस्थापना जिला मुख्यालय सीधी के शासकीय स्कूल क्रमांक 2 में व्याख्याता के रूप में हुई ।
1997 तक व्याख्याता के तौर पर अपनी सेवा देने के पश्चात आपकी पदोन्नति हाई स्कूल प्राचार्य के पद पर हुई और आपका स्थानांतरण सीधी जिले के पोस्ता के शासकीय हाईस्कूल में प्रचार्य के तौर पर हुआ । आप के कार्यकाल के दौरान ही स्कूल का उन्नयन हायर सेकेंडरी तक हुआ । साथ ही 2007 में आपकी पदोन्नति हायर सेकेंडरी प्राचार्य के पद पर हुई, आपके दायित्व निर्वहन के दौरान आपके कई कार्य प्रासंगिक थे चाहे वह स्कूल के भवन निर्माण के लिए बजट हेतु प्रशासनिक पहल करना रहा हो या फिर स्कूल परिसर को अतिक्रमण मुक्त कराते हुए बाउंड्री वाल का निर्माण करवाना या नकल जैसी शिक्षा की कुरीति पर लगाम लगाना । आपके कार्यकाल में पोस्ता स्कूल को जिले में शतप्रतिशत बोर्ड रिजल्ट की वजह से मुख्यमंत्री द्वारा भोपाल में सम्मानित भी किया गया । स्वभाव से सरल और मृदुभाषी व्यक्तित्व के साथ आप की छवि हमेशा सख्त, ईमानदार शिक्षक एवं प्रशासक की रही ।

आप शासकीय सेवा से अगस्त 2018 को सेवानिवृत्त हुये । आपका स्थायी निवास सीधी जिले के ग्राम गौरदह में है । आपका मानना है कि एक शिक्षक अपने दायित्वों से कभी सेवानिवृत्त नही होता वह अपना सहज योगदान सदैव समाज को देता रहता है । इन दिनों शासकीय सेवानिवृत्त के बाद आप कई सामाजिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़े हुए है और समाज में अपना योगदान अनवरत दे रहे हैं ।

गुरु घराना आज भी त्रिकाल पूजा पाठ व आध्यात्म का केन्द्र ग्राम गौरदह निवासी आदर्श शिक्षक अनुशासन प्रिय कर्तव्यनिष्ठ प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त श्री प्रेम शंकर पाण्डेय जी शिक्षा के क्षेत्र में चर्चित चेहरा रहा है ।



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📱 सरदार अजीत सिंह✍️
वरिष्ठ संविदकार

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सीधी जिले में संविदाकारो की बात हो और सरदार अजीत सिंह का नाम न आए ये भला कैसे संभव है, अलग प्रांत से , अलग बोली अलग रहन सहन के साथ सीधी आए सरदार जी सीधी के ही होकर रह गए और उनकी चर्चा में भी उनके मूल स्थान की जगह सीधी का जिक्र ही हमेशा बना रहता है, सीधी जिले कि मिट्टी में रम चुके सरदार जी को अब सीधी ही भा रहा है, और जिले के हर क्षेत्र के बारे में उन्हें जानकारी है यंहा की राजनीति और सस्कृति अब पूरी तरह उनमे रच बस चुकी है ।



पंजाब राज्य के अभियाणा नामक गांव जिला रोपड़ रूपनगर से सीधी पंहुचे सरदार अजीत सिंह कि कहानी भी बेहद अलग है इनका जन्म पंजाब प्रान्त में रोपड़ जिले के अभियाणा ग्राम में 21 जनवरी 1953 को हुआ था,इन्होने 10th तक की पढाई पंजाब में की उसके बाद मध्यप्रदेश आ गए और भोपाल से स्नातक की पढाई पूरी की, इसके बाद ये 1978 से संविदकार गुरुदेव सिंह ज्ञानी के साथ भोपाल में ठेकेदारी के काम में लग गए जो कि 1985 तक चली इस दौरान इन्होने पहले काम के रूप में खरगोन जिले में सेंधवा के पास डैम बनाया फिर धार जिले में सकलदा में डैम का निर्माण कराया , खण्डबा जिले में सोक्ता डेम वनाया । इसके वाद 1982 में ये सीधी आ गए और विंध्य क्षेत्र के वहुचर्चित ठेकेदार पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के पिता श्री भैयालाल शुक्ल के सानिध्य में आ गये और सिंगरौली में कोयला ढुलाई करने लगे । फिर धीरे धीरे कारवां बढ़ता गया और इन्होने यंहा भी कई निर्माण कार्य कराये जिसमे सीधी जिले के वकिया डैम का निर्माण भी शामिल है और सरदार जी 1982 से निरंतर अब तक सीधी जिले में ही रमे हुए हैं ।

सरदार अजीत सिंह की माने तो सीधी ने हमेशा उनका सम्मान बरकरार रखा सन 1984 के दंगो में भी सीधी जिले में इन्होने खुद को महफूज पाया । और इन्होने स्थायी रूप से यही रहने का मन बना लिया इन्होने सीधी में कई तरह के काम किये- नहरो के काम किए, बिल्डिंगों के काम किए हैं, अस्पतालों के काम किए, सड़कों का काम किए । सरदार जी की माने तो वो समाज के लिए ज्यादा कुछ नही कर पाए पर जहां तक संभव हुआ कुछ करने की कोशिस बनी रही उन्होंने 1988 से लोगों को फ्री में किडनी स्टोन की दवाई दी, उनकी माने तो यहाँ के पानी में चूना ज्यादा होने की वजह से किडनी में पथरी बहुत होती है। अपने बारे में बताते हुए सरदार जी कहते है कि मेरे बच्चे यहीं पले बढ़े,पढ़े और लायक बने बेटी इंग्लिश लिटरेचर है, बेटा मुंबई में जॉब कर रहा हैं ।


मूलतः कांग्रेस विचारधारा से जुड़े सरदार अजीत सिंह सभी राजनीतिक दलों के साथ सामान रूप से जुड़े हुए है उनका किसी दल या नेता से कोई विरोध नहीं है हाँ ये जरूर है कि सरदार अजीत सिंह और उनका पूरा परिवार काग्रेस विचारधारा से जुडा़ हुआ है । सीधी के बारे में सरदार जी कहते है कि सीधी हर किसी व्यक्ति के लिए बड़ा शांति जिला है, यहां वायलेंस नहीं है, खाना पीना अच्छा है, इतना फ़र्टिलाइज़र यूज़ नहीं होता लोगों में बोलने चलने का सलीका है, और मैंने यहां हर्ष पूर्वक काम किया और सीधी जिले ने मुझे बहुत सम्मान दिया और 1982 से अब तक सीधी जिले का नमक खा रहा हूं.....



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📱 मान्या पाण्डेय✍️
बाल कलाकार

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प्रतिभा और कला कोई उम्र और परिचय की मुहताज नही होती वह तो मां सरस्वती की कृपा और मेहनत लगन से ही आती है इस बात को सीधी जिले की बाल कलाकार मान्या पाण्डेय ने सर्वदा सत्य साबित कर दिया है।
जी हां चर्चित चेहरे मे आज की हमारी मेहमान हैं बघेली लोकगीतों की शान और बड़ी प्यारी सी मुस्कान कि धनी सीधी कि बिटिया मान्या पाण्डेय...
मान्या पाण्डेय जिले का एक ऐसा नाम है, जिसने बेहद कम उम्र में जिले भर में अपनी कला के दम पर अपनी अलग पहचान बना ली है, और शासकीय अशासकीय संस्थाओं द्वारा इन्हें अब तक करीब 63 सम्मान प्राप्त हो चुके हैं उनके द्वारा केंद्र एवं प्रदेश सरकार की कई योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी अपनी कला के माध्यम से किया जा चुका है।


सीधी जिले के वरिष्ठ पत्रकार साथी अखिलेश पाण्डेय व पूर्व जिला पंचायत कृषि स्थाई समिति की अध्यक्ष श्रीमती आराधना पाण्डेय की पुत्री मान्या का जन्म 17 सितंबर 2010 को हुआ है, महज 5 वर्ष की उम्र से ही इनके स्वरों ने कुछ ऐसा जादू जिले में डाला की 2015 से लेकर अब तक कई लोकगीतों की मंचीय प्रस्तुति इनके द्वारा दी जा चुकी है, साथ ही देशभर में 148 बड़े मंचो में भी इन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा है।

पांचवी कक्षा में जिले के गांधी हाई स्कूल में अध्ययनरत मान्या पाण्डेय बघेली लोकगीत के गायन और हारमोनियम वादन में बेहद निपुण हैं, छोटी सी उम्र में ही इन्होंने जो ख्यति और उपलब्धि हासिल की है वह बड़े बड़ों के लिए एक स्वप्न मात्र होता है। इनके द्वारा अब तक करीब 257 लोग गीतों की रिकॉर्डिंग की जा चुकी है एवं केंद्र व प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे मतदाता जागरूकता, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नारी सुरक्षा और नारी सम्मान जैसे अभियानों में इन्होंने सहभागिता निभाई है। सरल शब्दों में कहे तो इस नन्ही कलाकार ने सीधी जिले का नाम प्रदेश व देश में मंच के माध्यम से उजागर किया है। निश्चित ही मान्या एक दिन विंध्य क्षेत्र की अपनी प्रिय भाषा बघेली का मान बढायेगी और पिता श्री का नाम रोशन करेगी ।

💐 शुभकामनाएं मान्या 💐

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