भोपाल (ईन्यूज एमपी)- मध्यप्रदेश के छिदवाडा जिले में हुए एक जमीनी फैसले से प्रदेश के ज्यादातर भू माफिया सकते में आ गए होगे और आना भी चाहिए बिना किसी परवाह के नियमो की धज्जिया उड़ाने वाले भू माफिया हर जगह हावी है और तो और विंध्य क्षेत्र में भी ऐसे लोगो की कमी नहीं है जो एनकेन प्रकरेण गरीब और आदिवासियों की जमीन को हड़पने में लगे रहते है और अपने धन और वर्चस्व का उपयोग कर गरीबो की जमीन के मालिक बन जाते है लेकिन उन्हें शायद इस बात का आभास नहीं रहता की यदि कोई इमानदार अधिकारी अपने पे आ जाये तो इनके होश उड़ा देगा.... गौरतलब है कि छिदवाडा जिले में एसडीम द्वारा मिशाल पेश करते हुए 52 साल पहले हुई रजिस्ट्री में गड़बड़ी पर बीते दिनों बड़ा फैसला सुनाते हुए रजिस्ट्री निरस्त करते हुए आदिवासी किसान को फिर से जमीन वापस करने के आदेश जारी किए गए हैं। उक्त पूरा मामला छिंदवाड़ा अनुविभाग के सोनारी मोहगांव का है। जहां इसके पहले भी कर्ज के बदले जमीन हड़पने से लेकर किसानों की जमीन पर जबरन कब्जा करने के मामले सामने आते रहे हैं। जानकारी के मुताबिक 1969 में बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के सोनारी मोहगांव निवासी आदिवासी किसान दमड़ी खडिय़ा की 8.781 हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री सालिकराम पिता शोभाराम रघुवंशी के नाम पर कर दी गई। जबकि नियमों से स्पष्ट है कि बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति और शासकीय प्रक्रिया को पूर्ण किए बगैर किसी भी आदिवासी की जमीन की रजिस्ट्री जनरल कैटेगरी के व्यक्ति को नहीं की जा सकती। सालों पहले हुई इस गड़बड़ी का मामला छिंदवाड़ा अनुविभागीय कार्यालय में आया। लंबी सुनवाई के बाद एसडीएम अतुल सिंह ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विक्रय पत्र को खारिज कर रजिस्ट्री निरस्त कर दी गई धारा 170(ख) के तहत ये आदेश एसडीएम न्यायालय द्वारा जारी किए गए। मध्यप्रदेश के अन्य जिलों में यदि गौर करे तो पता चलता है कि विगत कुछ वर्षों में जमीन की दलाली का गोरख धंधा तेजी से फैला है, और कुछ दलाल तो ऐसे है कि गरीबो को कर्ज देकर या फिर अपनी दादागिरी के दम पर उनकी जमीन के जबरन मालिक बन बैठे है महज कुछ रुपयों में उनकी जमीन को गिरवी रखकर ब्याज पर ब्याज बढाकर उन्हें कर्ज तले दबा देते है और फिर दबंगई के दम पर जबरन उनकी जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम पर करा लेते है कई बार तो उक्त मुद्दे सामने ही नहीं आ पाते और यदि आये भी तो रसूखदारों के दम पर गरीबो की आवाज अधिकारियो के कानो तक ही नहीं पंहुच पाती है लेकिन छिदवाडा में हुए इस ऐतिहासिक फैसले से जिले के अधिकारियो को भी सबक सीखना चाहिए कि नियम सर्वोपरि होते है और इनके पालन के लिए ही अधिकारियो को रखा जाता है|और इन्हें अपनी कार्यवाही से माफियाओं को सावधान कर देना चाहिए की अगर गलत करोगे तो किये कराये पर पानी फिर सकता है ।