आदरणीय पाठक बंधु सादर अभिवादन स्वीकार हो। हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे। मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें। आपका सचीन्द्र मिश्र सीधी ................................................... 📱 चेहरे चर्चित चार📱 नेता अफसर - विधिक पत्रकार जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार । ................................................. 👉 जगदीश मिश्र ✍️ कांग्रेस नेता .................................. ................ आज के चर्चित चेहरों में से एक ऐसा नाम जो ब्यौहर परिवार से तालुकात रखते हैं , उन अमुख चेहरों में सुमार चेहरा जगदीश प्रसाद मिश्र का है, जिनका जन्म 2 जनवरी 1957 को खड्डी में हुआ था इन्होंने सीधी जिले से BA एवं रीवा से MA की पढ़ाई की इनके पिता शंभू प्रसाद मिश्र खड्डी अंचल के रसूखदार व्यक्ति थे और पुराने कांग्रेसी भी जिन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कुं अर्जुन सिंह के साथ में राजनीति की थी। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि सन 1981 में एक ट्रैक्टर लेकर ये ओरियंट पेपर मिल अमलाई गये थे जहां बाद में अपना व्यापार-व्यवसाय सेट करते हुए सन 1984 से विंध्या लाइम वर्क्स एवं सोनांचल लाइम इंडस्ट्री गोहपारू के नाम से 2 चूने के भट्टे की शुरुआत की गई और व्यापार जगत में भी अच्छी सोहरत हांसिल की। पिताजी चूंकी कांग्रेसी थे अतः इन्होंने भी सन 2002 में अजय सिंह राहुल के हाथों कांग्रेस की सदस्यता ली एवं राजनीति में सक्रिय हो गए। इन्होंने जिला पंचायत का चुनाव हनुमानगढ़ वार्ड से लड़ा और अपने प्रतिद्वंदी के रूप में बृजेंद्र मिश्रा एवं द्वारिका दुबे जी को परास्त किया। जीत के बाद चूंकी जिला पंचायत के अध्यक्ष की सीट आरक्षित थी इसलिए इन्हें उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ना पड़ा चुनाव में तीन उम्मीदवारों के साथ बराबर मत होने के कारण जिला पंचायत में सहकारिता और उद्योग विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। आप वर्तमान में जिला किसान कांग्रेस सीधी के अध्यक्ष हैं । इनके पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो तीन पुत्रों में एक पुत्र डॉक्टर एक इंजीनियर व एक ओरिएंट पेपर मिल अमलाई में ट्रांसपोर्टर है साथ ही उनके बड़े पुत्र संतोष मिश्र 2009 से जनपद पंचायत बुढ़ार जिला शहडोल में जनपद उपाध्यक्ष हैं एवं उनके दो भाइयों में दोनों ही बस ट्रांसपोर्टर हैं इनका उद्देश्य समाज सेवा में संलग्न रह कर गरीबों की मदद करना ही रहा है। खड्डी के ब्यौहर परिवार से तालुकात रखने वाले जगदीश मिश्र एक सरल सहज व्यक्तित्व के धनी है उनकी सहजता के चलते खड्डी क्षेत्र में आज भी उनका नाम है , गरीबों की सेवा करना वह सर्वोपरि मानते हैं कांग्रेस के इस उदारवादी नेता को अभी तक की राजनीति में कोई ऐसा मुकाम हासिल नहीं हो सका जिसके कारण वर्तमान की राजनीति में वह जाने जाएं किंतु वह आज जहां भी हैं जैसे भी हैं उनका खुद का क्षेत्र में प्रभाव हैं , एक जमाना था जब गोपद बनास हुआ करता था और तब ताला और खड्डी का बर्चस्व ही कुछ और था । श्री मिश्र अजय सिंह राहुल भैया के खासमखास हैं एवं उनके लिए समर्पित है,अंत मे यही कहा जा सकता है कि व्यापार में जितनी सफलता जगदीश मिश्र जी ने अर्जित किया उतना राजनीति में न मिलना कसक जरूर रहा होगा । ................................................... 👉 संजय मेश्राम ✍️ तहसीलदार ............. ....... .............. .......... .. आज जिक्र एक ऐसे अधिकारी की जो ऐसे इलाके से आता है जहां से उच्च शिक्षा बहुत कठिन थी, और नक्सली प्रभावित क्षेत्र, जिनकी निगाह में सरकारी अधिकारी मित्र नही शत्रु होते है, लेकिन गरीबी और कठिन परिस्थितियों से लड़ते हुए यह चेहरा अधिकारी पद पर चयनित होकर, बड़ी सरलता और सहजता से अपने पद का निर्वहन कर रहा है, और एक आदर्श चरित्र प्रस्तुत कर रहा है।आज जिक्र कुसमी तहसीलदार संजय मेश्राम का जिनका जन्म जून 1993 में बालाघाट के दक्षिणी सुदूर ग्रामीण इलाके नक्सल प्रभावित इलाके में हुआ। इनके पिता जी साधारण छोटे किसान थे और संजय मेश्राम की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा गांव के ही शासकीय स्कूल से हुई स्कूल शिक्षा के दौरान ही इनके माता जी का निधन हो गया परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन संजय मेश्राम बहुत मेधावी विद्यार्थी थे वह एक ऐसे आदिवासी अंचल से आते थे जहां शिक्षा का स्तर बिल्कुल शून्य था और नक्सलवाद की विचारधारा ने अपनी जड़े जमा रखी थी, लेकिन संजय मेश्राम देश के लिए समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते थे, आम जनमानस के लिए कुछ सेवा की चाहत उनके मन में थी स्कूल शिक्षा के दौरान उनकी माता जी का निधन हो गया, जिससे संजय मेश्राम के सामने दुखों का पहाड़ सामने आ गया, लेकिन प्रतिभावान संजय मेश्राम ने हार नहीं मानी और इंजीनियरिंग की तैयारी में जुट गए और सन 2010 में एनआईटी आईआईटी का परीक्षा उत्तीर्ण किया और इनका चयन भोपाल के मौलाना आजाद इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ, लेकिन इनकी क्षमता से ज्यादा वहां की फीस थी इसलिए दाखिला नहीं हो सका और संजय मेश्राम ने हार नहीं मानी 2011 में फिर एनआईटी की परीक्षा उत्तीर्ण की और जबलपुर के शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय में दाखिला पा लिया इलेक्ट्रॉनिक सब्जेक्ट से इंजीनियरिंग करने के बाद मन में नौकरी करने की ललक थी, उसी समय शासकीय भर्तियों में अप्लाई किया लेकिन चयन नहीं हो पाया तब संजय मेश्राम ने दिल्ली का रुख किया और वहां जाकर तैयारी शुरू कर दी सिविल सर्विस की। और 2018 में चयनित होकर तहसीलदार के रूप में सीधी जिले के रामपुर नैकिन तहसील में पदस्थ हुए उसके बाद मझौली के मड़वास तहसील में और पिछले वर्ष से कुसमी तहसील में अपनी सेवा दे रहे हैं। बेहद सौम्य स्वभाव के संजय मेश्राम बहुत अच्छे अधिकारियों में गिने जाते हैं उनकी प्रशंसा जिन क्षेत्रों में यह अपनी सेवा दे चुके हैं वहां के लोग बताते हैं कि मेश्राम साहेब का काम करने का अंदाज बड़ा सहयोगात्मक और सरल है। संजय मेश्राम साहब बताते हैं कि हमने बचपन से जिन परिस्थितियों को देखा है कि लोक साधारण से काम को लोग सालों ऑफिसों के चक्कर लगाते हैं लेकिन मैं ऐसे ही समस्याओं को देखकर तुरंत उसके सत्यता की स्थिति तक जाकर निराकरण करने की कोशिश करता हूं आगे मेंश्राम बताते हैं उनके जीवन का लक्ष्य है अधिकारी पद पर कार्य करते हुए आधिकारिक भावना न रखकर बल्कि जनसेवा का भाव रखकर उम्र भर लोगों की मदद करना चाहता हूं। अपने आगे की भविष्य में यही चाहता हूं कि लोग सबसे अधिक शिक्षित हो और सामर्थवान बने, सभी लोगों में आपसी सामंजस्य रहे कहीं कोई का किसी का विवाद ना रहे, जीवन मे जो ड्रीम प्रोजेक्ट है वो ये की शिक्षा के क्षेत्र में भी समाज सेवा के माध्यम से काम करना चाहता हूं रूढ़िवादी विचारधारा में ना रहे एक बात पर जोर देते हुए मेश्राम कहते हैं रूढ़िवादी न होना इसका मतलब यह नहीं कि संस्कार विहीन हो जाना हमारे जीवन में जो संस्कार मिले हैं उनका हमें भी बराबर सम्मान करना चाहिए शिक्षा एक स्तर सिर्फ कक्षा उत्तीर्ण कर लेना भर नहीं होता, शिक्षा हर क्षेत्र की हो सकती है धार्मिक सामाजिक भावनाओं का भी हमें कद्र करना चाहिए । सीधी जिले के बारे में मेंश्राम कहते हैं कि ये जिला बहुत अच्छा है यहां के लोग प्रगति करना चाहते हैं आगे जाना चाहते हैं, पर यहां चेतना जागृत करने वाले समाज सुधारक इस तरह के लोंगो का अभाव है जो लोंगो को न तो राजनैतिक उद्देश्य से न अन्य भाव से गुमराह किये बगैर लोंगो को सही रास्ते पर ले जाएं, जो विकाश के साथ आपसे भाई चारे वाला कोई समाज किसी भी समाज से पुराग्रह से ग्रसित न हो, और ऐसी भावना भी यहां लोंगो में है, अभी यहां आम लोंगो में एक दूसरे के प्रति सहयोगात्मक भाव है,सब में आगे बढ़ने की ललक है जो इस बात का परिचायक है कि आगे आने वाले समय में सीधी क्षेत्र काफी विकाश की ओर जाएगा, सीधी में उनका पहली पोस्टिंग थी इसलिए एक अधिकारी के रूप में काम करना जीवन में रोचकता से भरा हुआ पहला पड़ाव था जो आजीवन अविस्मरणीय रहेगा। व्यग्तिगत शौख के रूप में अच्छी ऐतिहासिक और प्राकृतिक दर्शनीय जगहों पर घूमना, और नए लोंगो से मिलना, और जो भी मानव समाज मे कुछ अच्छा कर रहे हैं, उनसे मिलना और जो भी उनकी अच्छाई हो उसको सीखना ये सब पसंद है। ................................................... 👉 अच्युत सिंह परिहार ✍️ एडवोकेट ................................................... विधि व्यवसाय में आज चर्चा एक ऐसे युवा अधिवक्ता के बारे में कर रहा हूँ जिन्हें वकालत पेशा पैतृक रूप से उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ है ऐसे ऊर्जावान अधिवक्ता है अच्युत सुरेन्द्र सिंह परिहार जिनका जन्म 18.1.1975 को शास्त्री नगर सीधी मे हुआ, इनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर कोटहा एवं माडल बेसिक स्कूल सीधी से तथा हायर सेकण्डी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीधी क्रमांक 2 पूरी हुई तत्पश्चात BA LLB की पढ़ाई संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से करके वर्ष 2005 मे वकालत का लाइसेंस लेकर जिला न्यायालय सीधी मे अपने गुरु पिता स्वर्गीय जय सिह परिहार जी के संरक्षण में वकालत का शुभारंभ किया, किन्तु महज दो वर्ष की वकालत मे पिता जी का साया सर से उठ गया तथा वर्ष 2007 मे पिता जी का निधन हो जाने के बाद उनके दिखाएं बताएं रास्ते पर चलते हुए आज भी वकालत के क्षेत्र में लगे हुए है! श्री परिहार जी हर तरह के मामलों की पैरवी के लिए तत्पर रहते हैं! जिनके परिवार की पृष्ठभूमि मजबूत रही हो रीवा जिले के ग्राम सुजवार तहसील मनगवां के मूलतः निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय श्री अबधराज सिंह परिहार जी के दो पुत्र एडवोकेट अच्युत के बड़े पिता स्वर्गीय केशव प्रसाद सिंह परिहार जी का नाम सीधी जिले मे चाहे राजनीति का क्षेत्र रहा हो या वकालत का क्षेत्र में रहा हो अथवा समाजसेवा का क्षेत्र रहा हो सभी क्षेत्रों में स्वर्गीय केशव सिंह जी का अच्छा खासा प्रभाव व पकड़ रही हैं तथा इनके पिता स्वर्गीय जय सिंह परिहार जी का वकालत के क्षेत्र में नाम काफी शोहरत भरा रहा है उस परिवार से जिन्हें वकालत पैतृक उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ हो निश्चित रूप से लायर अच्युत सुरेन्द्र सिंह के द्वारा वकालत पेशा का निर्वहन बाखूबी ढंग से किया जा रहा होगा ये किसी दल विशेष के नहीं है अपितु सभी लोगों से इनके मधुर संबंध है। ................................................... 👉 कनिष्क तिवारी ✍️ युवा पत्रकार ................................................... आज चर्चित चेहरे में जिक्र एक ऐसे मीडिया कर्मी की जिसने बघेली में समाचार की जगह ले ली है, जिसकी आवाज आज पूरे विंध्य दोनों टाइम हर घर मे आपको सुनाई दे जाएगी, खास कर विंध्य में पूरा ग्रामीण इलाके में रहने वाले सामान्य किसान मजदूर हर वर्ग के लोग बड़े उत्सुकता से इस आवाज को सुनते है। आज जिक्र बघेली भाषा के मीडिया कर्मी कनिष्क तिवारी का। जिनका जन्म जनवरी 1985 को सीधी में हुआ, स्कूल की पढ़ाई सीधी के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान गणेश विद्यालय से हुई, कॉलेज में बी टेक की पढ़ाई सतना से हुई। पढ़ाई के बाद 2008 से 2011 तक कनिष्क ने अजमेर व जयपुर में प्रोडक्शन मैनेजर के तौर पर प्राइवेट लीमेटेड कंपनी में कार्य भी किया। मझौली तहसील के टेंकर गांव के चर्चित तिवारी परिवार से तालुकात रखने वाले पिता जी जो पोस्टऑफिस विभाग में थे, उसी समय उनके स्वास्थ्य में बडी दिक्कतें उभरने लगी जिससे कनिष्क के जीवन यात्रा की पटरी बदल गई, और वापस सीधी आना पड़ा, और सीधी में ही व्यावसायिक गतिविधि में जुड़ गए । और कुछ ही समय मे पिता जी से कुदरत ने साथ छुड़ा दिया। कनिष्क का जीवन संघर्ष में तो था, पर कुछ और करने की चाहत थी, जनता के बीच एक नाम बनने की ललक थी, जनसेवा की भावना थी, और इसी भावना ने कनिष्क को जनता की आवाज बना दिया, और वाइक एजेंसी को वाय वाय कहके कनिष्क पूर्ण रूप से पत्रकारिता में समर्पित हो गए। कनिष्क ने वताते हैं कि वर्ष 2014 में विंध्य भारत के जिला प्रमुख 2016 में कीर्ति क्रांति जिला प्रमुख 2017 दबंग न्यूज़ जिला प्रमुख 2019 में न्यूज़ नेशन न्यूज़ स्टेट के जिला प्रमुख और यही दौर था जब शोषल मीडिया में मोबाइल समाचार का प्रभाव बढ़ रहा था, मौके की नजाकत को भांप कर कनिष्क ने एमपी संदेश नामक खुद के मोबाइल जनर्लीजम में सक्रिय हो गये । अपने बघेली न्यूज पोर्टल के माध्यम से कनिष्क अपने गृह जिले में काफी सक्रिय रहते है । आज कनिष्क जिले में एक अलग ही अंदाज के पत्रकारों में सुमार हैं , उनके हर बुलेटिन में अंत मे एक तकिया कलाम है "अपना पंचे आपन बहुत बहुत ख्याल रखब " अभी इसी सप्ताह कनिष्क ने यूट्यूब द्वारा प्ले बटन प्लेट प्राप्त कर सीधी का नाम रोशन किया है । हम भी कनिष्क को शुभकामना देते है कि जीवन मे और अधिक प्रगति करते हुए, सीधी जिले के जनमानस का खयाल रखते हुए उनकी आवाज बनें।