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*सीधी-चेहरे चर्चित चार, नेता अफसर - विधिक पत्रकार*

आदरणीय पाठक बंधु
सादर अभिवादन स्वीकार हो।
हम आपके लिए एक ऐसा धारावाहिक लेख प्रस्तुत कर रहे है, जिसमे चार ऐसे लोंगो की जानकारी विशेष है , जिन्होंने विभिन्न अलग अलग क्षेत्रो पर बहुत अच्छा कार्य करके लोंगो का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है, जैसा कि आप हेडिंग से उन कार्यक्षेत्रों के बारे में समझ गए होंगे।
मेरी पूरी कोशिश होगी कि उनलोंगो के जीवन के कुछ रोचक, सुखद, और संघर्ष के बारे में जानकारी इकट्ठा करके लिख सकूं, और सहज शब्दो के माध्यम से उस भाव को आपके सामने प्रकट कर सकूं, जिससे आप किसी भी घटना क्रम को पूर्ण रूप से सही समर्थन दे सकें।
आपका
सचीन्द्र मिश्र
सीधी

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📱 चेहरे चर्चित चार📱
नेता अफसर - विधिक पत्रकार
जिनकी कहानी कलम लिखेगी " समाजसेवी " व्यापारी और वैद्य रचनाकार ।



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👉 बद्री प्रसाद मिश्र✍️
भाकपा माले
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सीधी जिले ने भले ही बड़े बड़े जनप्रतिनिधि दिए हो लेकिन आज जिस सख्स की हम बात कर रहे है वह वास्तव में गैर निर्वाचित जनप्रतिनिधि है जो पद और सत्ता से दूर फक्कडपन में मस्त आम लोगो के हितो को साधने में विगत कई वर्षो से जुटा हुआ है और अनवरत उसी में मस्त है, वेशभूषा एक दम सादगीपूर्ण या यूं कहें की दरिद्रो वाला पर उनके कारनामे और आन्दोलन ऐसे की प्रदेश के मुखिया भी उनके वजूद को नकार न सके बिना किसी समर्थन और धन के मुख्यमंत्री के घर में धरना और एक नही कई मुख्यमंत्रियों को झिकझोड़ देने वाले आज गैर निर्वाचित जनप्रतिनिधि है चुरहट के बद्री प्रसाद मिश्र ......


आमजन की आवाज को बुलंद करने वाले इस सख्स का जन्म चुरहट तहसील के पडखुरी 586 ग्राम में 18 दिसम्बर 1964 को हुआ, इनके पिता राम कृष्ण शर्मा शिक्षक थे , इन्होने टीआरएस कालेज रीवा से BA, LLB की पढाई के उपरांत इन्होने 1983 से बाम पंथी छात्र संगठन से अपनी शुरुआत की इसके बाद 1988 में सी पी आई की सदस्यता ली और इसी दौरान भूख से तीन लोगो की मौत से आंदोलित होकर तत्कालीन मुख्य मंत्री श्री अर्जुन सिंह जी के निज निवास साड़ा (शिवराज पुर) में 12 मई 88 से18 मई 1988 तक आमरण अनशन पर बैठे रहे । इसके उपरांत काम खोलने व् मजदूरों को भुगतान के लिए हर माह चक्का जाम करना इनका विरोध का तरीका बन गया | 1991 मे इनके द्वारा बढ़ौरा मे किये गए चक्का जाम में लाठी चार्ज के दौरान दर्जनों पुलिस वाले चोटिल हुए यंही नही 2005 में चुरहट में शासकीय भूमि में भूमिहीनों को भूमि बांटने का धरना दिया गया जिसमे पुलिस ने इन्हें माओवादी का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया ।

बद्री मिश्र के धरनों व प्रयासों या यूं कहे की इनकी उपलब्धियों की सूची काफी लम्बी है फिर चाहे वों चंदरेह में भूमि जोतो आन्दोलन हो या चंदरेह से सीधी पैदल मार्च या फिर 2009 में सीधी कलेक्टर कार्यालय में निर्माण मजदूरों को लेकर18 दिन का धरना सब एक से बढ़कर एक है, गौर तलब है की इन्होने नौकरी का प्रस्ताव भी बड़ी सहजता से ठुकरा दिया और अपनी मौज में लोगो से जुड़े रहे ।

भगत सिंह वा मार्क्स बाद से प्रभावित होकर ये रोटी की लड़ाई को आम आदमी तक ले गए और इनका ये प्रयास आज भी जारी है| इनके द्वारा 1988से 2014 तक सीधी सिंगरौली जिले मै सैकड़ों आन्दोलन किये गए साथ ही ये आज भी भूमिहीनो व मजदूरों को संगठित करना भविष्य में समाजवाद के सपने को साकार करने के लिए संघर्ष करने की मुहीम में लगे हुए है ।

बद्री मिश्र 2002 में सी पी आई छोड़ कर भारतीय मार्क्स बादी लेनिन बादी पार्टी रेड फ्लैग में सदस्य हो गए इसके बाद 2005 से लेकर अब तक एम एल पी आई रेड फ्लैग के राज्य सचिव है ।

इन्होने बताया की जब मै राजनीति की शुरुआत किया तब हमारे गांव में बैल से अनाज की मिजाई का काम हुआ करता था और दलित आदिवासी उनका गोबर धोकर अनाज खाते थे,तब इनके द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जी से इस प्रथा को समाप्त करने का आन्दोलन किया गया और मजदूरों को काम दो भुगतान दो गोबरी खाना बंद करने का नारा भी दिया गया और 2005 में रोजगार गारंटी योजना बनाई गई जिसके बाद इनकी यह लड़ाई ख़त्म हुई ।

इन जन आंदोलनों के कारण इन पर चुरहट सीधी रामपुर नैकिन के थानों में करीब 15 पुलिस प्रकरण दर्ज हुए थे जो वर्तमान में सभी समाप्त हो चुके है । , 4 प्रकरण मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा वापस लिए गए। कभी कोई सजा नहीं हुई। एक रात पड़रा जेल 4 बार में चार दिन थाने के लॉकअप में।2009 में भोपाल पत्रकार भवन में पार्टी के विशेष राष्ट्रीय सम्मेलन में तत्कालीन मुख्य मंत्री शिवराज सिंह द्वारा सेना तैनात कर आतंकवादी संगठन कहना। पुलिस के डी जी पी एस के राउत द्वारा संगठन को जनतांत्रिक कहकर सेना की तैनाती वापस लिए। बद्री वाकई संतोषी प्राणी हैं जरूरत युक्त आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये अपनों के सामने हांथ फैलाने में कतई संकोच नही करते किंतु गैरों के सामने कभी जुर्रत नही की ।


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👉 शिवशंकर शुक्ल ✍️
तहसीलदार

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आज हम बात कर रहे है जिले में पदस्थ युवा उर्जावान अधिकारी की जिसने अपनी सेवा की सुरुआत सीधी जिले से ही की और अभी भी अपनी अलग कार्यशैली के साथ सीधी जिले में लगातार सेवा दे रहे है, जो कभी अपनी तेज तर्रार कार्यशैली के लिए चर्चित रहते है तो कभी अपने अनोखे अलग स्टाईल के लिए ..जी हाँ हम बात कर रहे है जिले में पदस्थ युवा अधिकारी शिवशंकर शुक्ल की जो वर्तमान में सीधी जिले के रामपुर नैकिन में बतौर तहसीलदार पदस्थ है ।
इनका जन्म 7 दिसंबर 1992 को एक सामान्य परिवार में सतना के नागौद में हुआ इनकी शुरूआती पढाई सतना में हुई जबकी उच्च शिक्षा इंदौर से संपन्न हुई वंहीं इन्होने इंदौर से BE (Bechlor of engineering) करने के बाद वर्ष 2013 में प्रथम प्रयास में ही राज्य प्रसासनिक सेवा परीक्षा पास कर ली और 24 वर्ष की उम्र मे वह कार्यपालिक मजिस्ट्रेट बन गए ।

5 दिसम्बर 2016 में बतौर नायब तहसीलदार सिहावल में सेवा की शुरुआत की, इसके बाद इन्होने चुरहट और अब तहसीलदार के रूप में रामपुर नैकिन में सेवारत है | बात करे इनकी प्रशासनिक उपलब्धियों की तो इन्होने चुरहट में 2018 विधानसभा एवं 2019 लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया , इसके अतिरिक्त चुरहट नायब तहसीलदार के रूप में वर्ष 2018-19 एवं 2019-20 में कैम्प लगाकर राजस्व प्रकरणों का निराकरण करवाया। इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद सरल रही है इनके पिता एक किसान व माता जी गृहणी है, हाँ इनके दादा जी हिंदी साहित्य के कवी थ ।| और शायद इसी का प्रभाव है की इन्हें भी हिंदी साहित्य में कविताएँ व् कहानियाँ लिखने का शौक है ।

तहसीलदार साहब को बचपन से ही भाषण देने का शौक भी रहा है और यही नही इन्हें 2005 और 2006 में बालदिवस पर भोपाल में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में प्रदेश भर में प्रथम आने पर दो- दो बार राज्यपाल से पुरुस्कार भी मिल चुका है । कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की शक्तियों से ओतप्रोत शिव शंकर शुक्ल अहम की परछाईयों से कोशों दूर हैं अपने नैतिक , दायित्वों के प्रति सजग वह सहज हैं करण की शिष्टाचार और संस्कार अपने पिताम्बर पिता से हांसिल हुआ है ।


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👉 अरुणोदय द्विवेदी ✍️
एडवोकेट

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जब युवा मन समाज में कुछ अच्छा करने के इरादे को लेकर कानून की पढ़ाई करके कानून का जानकर होकर कुछ नया सोचे तब उसकी चर्चा लाजिमी है जी हाँ मै बात कर रहा हूँ विधि क्षेत्र मे युवा अधिवक्ता अरुणोदय प्रसाद द्विवेदी जी की जिनका जन्म 01-08-1978 को ग्राम बम्हनी मे एक सामान्य परिवार में हुआ था, इन्होंने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सेमरिया से हायर सेकण्डी की पढ़ाई पूरी कर संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से BA LLB की डिग्री प्राप्त कर वर्ष 2005 मे काली कोट धारण कर जिला न्यायालय सीधी में वकालत प्रारंभ किया जो निरंतर आज भी मेहनत परिश्रम कर अपने पक्षकारों की पैरवी कर उन्हें न्याय दिलाने में लगे हुए हैं, श्री द्विवेदी जी इलाहाबाद बैंक के पैनल लायर है तथा बैंक से सम्बंधित मुकदमों की पैरवी कर रहे हैं , पढाई के दौरान ये क्रिकेट खेल के प्रेमी रहे तथा क्रिकेट खेलते भी रहे लेकिन वकालत पेशा मे जाने के व्यस्तता के चलते खेल की ओर समय नहीं दे पाते। बतौर अधिवक्ता इन्होंने विनोद सिंह चंदेल के जूनियर के रूप में जिला न्यायालय में शुरूआत कि तथा वर्तमान में ये उनके साथ फौजदारी मामलो कि पैरवी करते हैं,इसके अतिरिक्त ये इलाहाबाद बैंक के पैनल एडवोकेट के रूप में 2014 से सभी मामलों कि पैरवी कर रहे हैं।

बतौर रुचि इन्हें 1985 से 2000 तक क्रिकेट से अच्छा खासा लगाव रहा बाद में अपने पेशे के कारण इन्हें इसे अलविदा कहना पड़ा। लेकिन जिस तन्मयता के साथ वकालत पेशा मे लगे हुए है निश्चित रूप से अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब होगे । एडवोकेट श्री द्विवेदी भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा से जुड़े हैं तथा सीधी विधायक पंडित केदारनाथ शुक्ल जी के समर्थक माने जाते हैं । और उनके बेटे गुरुदत्त "मालिक " की विचारधारा से ओतप्रोत होकर भविष्य संवारने में लगे हुये हैं ।


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👉 अखिलेश पाण्डेय✍️
आंचलिक पत्रकार

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आज जिस कलम के सिपाही की बारे में बात करने जा रहे है उसने अपने छात्र जीवन से ही पत्रकारिता को अपना आगे का साथी चुन लिया और इस दौरान उन्हें दो दो बार सरकारी नौकरी करने का भी अवसर मिला पर कलम के सिपाही का मोह कलम से कुछ इस कदर रहा की बाकी कुछ मन को ही न भाया ।

जी हां आज हम बात करने जा रहे है चुरहट क्षेत्र में अपनी पत्रकारिता की अलग पहचान बनाने वाले आंचलिक पत्रकार अखिलेश पाण्डेय की जिन्होंने अपने जीवन में भले ही धन न कमाया हो पर पत्रकारिता के सम्मान के साथ अपना सम्मान भी बरकरार रखा |चुरहट नगर परिषद के वार्ड क्रमाक 3 निवासी 46 वर्षीय पत्रकार अखिलेश पाण्डेय ने महाविद्यालय में बी ए प्रथम वर्ष का छात्र होते ही पत्रकारिता जगत में प्रवेश किया इसके बाद इन्होने संजय गांधी महाविद्यालय सीधी से हिन्दी साहित्य में एम ए तक की पढाई के बाद पत्रकारिता को ही अपना सर्वस्व मान कर काम किया गया । इनकी माने तो इन्होने पत्रकारिता को कभी धन अर्जन का साधन व आधार नही बनाया हाँ अपनी मेहनत के बल पर निष्पक्ष पत्रकारिता को अपना लक्ष्य माना जिसके चलते जिले के अन्य वरिष्ठ पत्रकारों का निरंतर प्रेम व् सहयोग मिलता रहा ।यही नही इनकी माने तो इन्हें दो दो बार नौकरी करने का मौका भी मिला लेकिन पत्रकारिता के आलावा इन्हें यह रास नही आई और इन्होने उसे ठुकरा दिया | इन्होने बतौर पत्रकार जिले के कई समाचार पत्रों में अपनी कलम का जादू बिखेरा है और वर्तमान में दैनिक जागरण और नवभारत समाचार पत्र से जुड़ कर चुरहट में अपनी सेवा दे रहे है | बात करे इनके व्यक्तित्व की तो चुरहट जैसे क्षेत्र में निडर पत्रकारिता इनके व्यक्तित्व का बखान भलीभांति कर रही है ।

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