सीधी (सचीन्द्र मिश्र)- जिले में कल फिर उलटफेर देखने को मिला कई परिवर्तन दिखे कोई यहां गया कोई वहां,हालांकि आदेश के ऊपर तो इस उथल-पुथल को तय शब्दों में प्रशासनिक दृष्टि का नाम दिया गया लेकिन क्या वास्तव में कप्तान साहब ने स्वतंत्रता पूर्वक व प्रशासनिक कसावट कि जरूरतों के हिसाब से यह स्थानांतरण किया है या एक बार फिर खादी ने खाकी पर सत्ता का भार डाल कर कलम कि धार को मोड़ दिया और धार भी दो धारी है....? वहरहाल यह 16 खाकी की सूची जल्द ही खाख दिखाई देगी और फिर नये सिरे से चलने वाली ट्रांसफर की तलवार तटस्थ रहेगी। जी हां बीते दिनों हुए तबादले का समीकरण कुछ इस कदर उलझा है कि सुलझने का नाम ही नहीं ले रहा,कहने को तो कलम सत्तासीनो के इशारे पर घूमी है लेकिन सत्तासीनो में भी दोहरा खिंचाव देखने को मिल रहा है नहीं तो मजाल क्या कि सत्तासीनो के आधीनो पर कहर ढाने के बाद भी कोई वहां पहुंच जाए जहां जाने कि सब जुगत में जुड़े हैं,और तो और कलमकारो को भी षड्यंत्र कर कटघरे में खड़ा करने वाले सब इंसपेक्टर रामदीन सिंह को मनचाही मंजिल मिल गई...? बात करे कल हुए तबादले कि तो कई लोगों कि वापसी हुई है जबकि कइयों को पूर्व स्थापित मनमानी जगह से खदेड़ा गया है,वहीं कुछ नए चेहरों को भी उचित जगह भेजा गया है लेकिन इस उथल-पुथल व तबादलों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही जनप्रतिनिधियों का वर्चस्व भी बदल जाता है और बदले वर्चस्व भी जब आपस में टकराते हैं तो नतीजे कुछ यूं ही होते हैं जैसे कि कल के तबादलों में दिखे हैं। एकरूपता व संगठन कि दुहाई देने वालो के आपसी मनमुटाव तो कई बार उभर कर सामने आ चुके हैं लेकिन अपने ही लोगों को आघात पहुंचाने वालों को चंद अर्थो के मार्फत अभयदान देना व उनका संरक्षण करना ये कहा तक उचित है.....?