सीधी(ईन्यूज एमपी)- करोना वायरस संक्रमण के फैलाव को रोकने सम्पूर्ण लाॅक डाऊन की थ्योरी आखिरी सप्ताह में फेल होती नजर आ रही है। सीमावर्ती ब्योहारी तहसील के ओदारी गांव में 60 वर्षीया कुबरिया कोल की रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद से सीधी जिला प्रशासन सकते में है। इसकी प्रीवियस हिस्ट्री में सागर के खुरई में गेंहूं की कटाई कर लौटना बताया जा रहा है। सीधी जिले के कुसमी अंचल के दुबरी कला गांव में क्वारेंटाईन में आत्म हत्या करने वाले राजभान बैगा व उसके साथ आये अन्य 21 मजदूर सागर में ही गेंहूं कटाई का काम करके सम्पूर्ण लाक डाऊन की स्थिति में पैदल ही आये थे। लगातार ग्रीन जोन में बने रहने के कारण यहां का जनमानस व प्रशासन, सभी ने राहत की सांस ली थी। लेकिन चोरी छिपे आने वाले प्रवासी मजदूरों ने खतरे की आशंका को बल दे दिया है। ऊपर से प्रदेश सरकार महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगााना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा, दमन दीव, जम्मू-कश्मीर एवं प्रदेश के ही अन्य जिलों में फंसे लोगों को वापस लाने में जुटी है। इन राज्यों में फंसे तथाकथित 1191 श्रमिक, सीधी जिला प्रशासन के पास फोन कर उन्हें वापसी की गुहार लगा चुके हैं। इसमें गोवा को छोड़ शेष सभी राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। विंध्य में रीवा के चिकित्सक डा.राजेश सिंघल की दिल्ली में रिपोर्ट पाॅजिटिव आने तथा सीधी जिले के चुरहट से -2, रामपुर नैकिन-1, अमिलिया के-1 व्यक्ति के डा. सिंघल की सम्पर्क लिस्ट में आने के बाद से ही प्रशासन उहापोह की स्थिति में था कि शहडोल जिले के भारत सिंह व मोनिका बैगा के करोना संक्रमण की रिपोर्ट पाॅजिटिव आई और तत्पश्चात ब्योहारी के पपोढ़ थाना अंतर्गत ओदरी गांव की कुबरिया कोल ने कई संभावनाओं की ओर इशारा कर दिया है। भारत सिंह व मोनिका बैगा को क्वारेंटाईन में 14 दिन रखने के बाद घर जाने की अनुमति दी गई थी। क्वारेंटाईन के समय लिये गये जांच के नमूनों की रिपोर्ट उनके घर जाने के उपरांत आई। रिपोर्ट आने के पहले ही इस बीच यह लोग गोहपारू, जयसिंह नगर, बुढ़ार, सोहागपुर, कोतमा, छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले व विदिशा गोहपारू के बरमनिया छात्रावास के कर्मचारियों सहित कुल 165 लोगों के सम्पर्क में आ चुके थे। ब्योहारी की कुबरिया कोल की सम्पर्क सूची अभी अप्राप्त हैं। सीधी जिले के सरकारी आंकड़े कहते हैं कि 29 अप्रैल तक कुल 8474 प्रवासी श्रमिक लौटे हैं। सभी के परीक्षण उपरांत 715 श्रमिकों में अस्वस्थ्यता का लक्षण पाया गया। उनमें से 7067 लोगों को उनके घरों में व 2258 लोगों को सरकारी तौर पर बनाये गये क्वारेंटाईन सेंटरों में रखा गया। उनमें से मात्र 143 लोगों के ही सेम्पल लिये गये, 137 की जांच रिपोर्ट निगेटिव रही है व 4 की आना शेष है। यह तो सरकारी आंकड़ों से परे लोगों का कहना है कि सीधी जिले में काम के अभाव में तकरीबन 40 हजार से अधिक लोग रोजी-रोटी की तलाश में बाहर गये थे और लौटे भी हैं। प्रशासन ने अपने अमले से सर्वे भी करवाया है। किन्तु वह आंकड़े जमीदोज किये जा चुके हैं। कागजों में वही संख्या है जिसने वापसी के बाद प्रशासनिक अमले के समक्ष प्रकट कर दिया या वह चोरी छिपे वाहनों से आने पर पुलिस द्वारा पकड़े गये हैं। सम्पूर्ण लॉक डाऊन के बावजूद संक्रमण के फैलाव के बाद अन्य राज्यों से प्रवासी श्रमिकों को सीधे सीधी भेजने का निर्णय उचित नहीं कहा जा सकता। वाजिब तो यह होगा कि उन्हें सीमावर्ती जिलों में ही क्वारेंटाईन कर सेम्पल लिये जायें व रिपोर्ट निगेटिव आने के उपरांत ही गृह ग्राम भेजा जाये। क्योंकि यहां संदिग्धों की जांच व्यवस्था कितनी चौकस है ? सरकारी आंकड़े खुद अपनी स्थिति बयां कर रहे हैं। विजय सिंह सीधी