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*ऊर्जाधानी सिंगरौली जिले के वासियों में विरोध और प्रतिरोध की ऊर्जा कब पैदा होगी ?*

सीधी (ईन्यूज एमपी)-तब की सिंगरौली जब यह मसल कही जाती थी कि "भय चुरियन के आस बालम बैढ़न (सिंगरौली का जिला मुख्यालय) से लौटे" अब सिंगरौली ऊर्जाधानी बन गई। सिगरौली गैरों को उर्जाधानी हुई पर यहां के लोगो की जिंदगी अंतहीन अंधी सुरंग में समा गई। सिंगरौली को ऐसे ही देश की उर्जाधानी नही कहा जाता, यहाँ स्थापित पॉवर प्लांट जो यहाँ पीढ़ियों से आवाद, चालाकी से अबूझ, ठेठ ग्रामीणों को उनके पुरखों की जमीनों से बेदखल कर 25 हजार मेगावाट बिजली स्थापित पॉवर प्लांटों से पैदा की जा रही है।1 मेगावाट बिजली माने 10 लाख वाट। हमारे यहां आम बिजली उपभोक्ता औषत 400 से 500 वाट बिजली का उपयोग करता होगा इससे 25 हजार मेगावाट बिजली से कितने महानगर, नगर, गांव सिंगरौली की बिजली से रोशन होते होंगे ? परंतु सिंगरौलीवासियों के जिंदगी में घुप्प अंधेरे का कौन है जिम्मेदार ?
जब सरकार जनता के प्रति जबावदेह नही तो जिला प्रशासन से क्या उम्मीद की जा सकती है। क्या-क्या सपने दिखाए जाते है भूमि अधिग्रहण के पहले विकास, विकास और विकास। लेकिन ये विकास है कि विनास ? हाँ विकास हुआ है नेता, मंत्री, जिला प्रशासन और दलालों का। विस्थापितों और किसानों का तो विनास ही हुआ है। किसानों को मुआवजा वितरण में घपला, विस्थापितों को नौकरी देने में घपला, पुनर्वास कालोनी में, स्कूल, सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा में घपला, ऐस डैम बनाने में घपला। सबकी मार कौन झेल रहा किसान, ग्रामवासी। कोई पूंछे कलेक्टर सिंगरौली से की जब वर्ष 2019 में ग्रामीणों ने डैम के संबंध में लिखित रूप से आवेदन देकर भविष्य में डैम के टूटने का अंदेशा जताया था उस आवेदन पर कलेक्टर ने क्या किया और अगर नही किया तो कलेक्टर के खिलाफ कार्यवाही क्यों न होनी चाहिए ? जब एस्सार का डैम टूटा तो उससे कलेक्टर ने सबक क्यों नही लिया ? अभी हिंडाल्को के लोग गुहार लगा रहे हैं लेकिन कौन सुननेवाला ? अब जब बड़ा हादसा हो गया तो कमिश्नर, आईजी, डीआईजी पीड़ितों को मरहम का ढोंग करने और रिलायंस कंपनी की सुरक्षा चाक चौबंद करने पहुंच गए।

*निहायत तौर पर यह होना ही चाहिए :-*
• कलेक्टर सिंगरौली समय रहते ग्रामीणों के आवेदन पर कार्यवाही नही किये इस लिए कलेक्टर को सेवा से पृथक कर उनके खिलाफ पुलिस में आपराधिक प्रकरण कायम किया जाय।
• मृतकों के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाय।
• घायलो को मुफ्त दवा व 10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाय।
• जिनके घर बर्वाद हुए है उनको अन्यत्र मकान बनाकर वसाय जय।
• ऐस डैम निर्माण के ठेकेदार, रिलायंस के जिम्मेदार अधिकारी, जिला प्रशासन के जिम्मेदार कर्मचारी, अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण काम किया जाय।
*उमेश तिवारी सीधी (म.प्र.)*

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