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"पोषण सभा" मे बताया गया खान-पान का तरीका.....

बच्चों एवं महिलाओं का हुआ एनीमिया परीक्षण
मझौली(ईन्यूज एमपी)-महिला बाल विकास परियोजना मझौली के द्वारा शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एनीमिया मुक्त भारत के उद्देश्य को पूर्ण करने के लक्ष्य से सितंबर माह को पोषण माह घोषित किया गया है उसी के तहत पोषण माह अंतर्गत परियोजना स्तरीय "पोषण सभा" का आयोजन किया गया।जिसमें परियोजना अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में पदस्थ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व पर्यवेक्षक उपस्थिति रहीं। बताया गया कि आंगनबाड़ी केंद्र में दर्ज 0 से 5 वर्ष तक के बच्चे व किशोरी बालिका एवं धात्री व गर्भवती महिलाओं का लालिमा कार्यक्रम के तहत एनीमिया परीक्षण (रक्त की कमी की जांच) स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई। जिसमें कुल 165 हितग्राहियों की जांच हुई। जिसमें 30 गर्भवती महिला,50 धात्री महिला ,50 किशोरी बालिका एवं 0 से 5 वर्ष तक के 35 बच्चों की जांच की गई। जिसमें दो एनीमिया ग्रसित मरीज पाए गए। जिनमें खून की कमी पाई गई।उन्हें विशेष सुझाव और दबा दी गई। बांकी को भी स्वास्थ विभाग के द्वारा आयरन एवं कैल्शियम (फोलिक)का सिरप एवं टेबलेट वितरण किया गया। स्वास्थ्य विभाग की टीम में डॉक्टर दिव्यांशु तिवारी मेडिकल ऑफिसर,सागर जायसवाल फार्मासिस्ट, राजीव गौतम एवं अनिल गौतम लैब टेक्नीशियन, उमाशंकर गौतम, रामवती सिंह एएनएम ,रागिता सिंह एएनएम, सहित अन्य अस्पताल कर्मी शामिल रहे। डॉ दिव्यांशु तिवारी द्वारा एनीमिया के लक्षण, कारण और निदान पर विस्तार पूर्वक बताया गया।वही सीधी से आए अदनां सपवे द्वारा पोषण सभा में स्वच्छता की जानकारी और मानव जीवन में स्वच्छता क्यों जरूरी है। जिस पर विस्तार से बताया गया।
परियोजना अधिकारी ललिता मिश्रा द्वारा जहां सही खानपान को लेकर विस्तार से बताया गया कि संतुलित पोषण आहार न मिलने के कारण छोटे-छोटे बच्चों में एवं किशोरी बालिकाओं और गर्भवती एवं धात्री महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया )हो जाती है।जिससे उनके स्वास्थ्य में तरह-तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं और छोटे बच्चे व किशोरी बालिकाओं का शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।जिस कारण संतुलित आहार सबके लिए बहुत जरूरी है। जिसके लिए जागरूकता जरूरी है।क्योंकि बहुत सारी फल फूल एवं खाद्य सामग्री ऐसी हैं जिन्हें किसान मजदूर अपने घरों के आसपास खुद पैदा कर सकते हैं।और बिना पैसा ख़र्च किए ही उसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।वही सेक्टर सुपरवाइजर रत्ना पटेल के द्वारा भी महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण आहार के बारे में विस्तार से बताया गया। कार्यक्रम में महिला बाल विकास के द्वारा लगाए गए पोस्टर में लिखे स्लोगन
"जीवन के प्रथम 1000 दिन हैं खास।
देखरेख व खानपान से होगा बच्चों का सही विकास।
सितंबर है राष्ट्रीय पोषण माह।
होगा हर घर पोषण का त्यौहार। इन स्लोगन के भावार्थ को भी बताया गया कि 0 से 3 वर्ष तक के बालक- बालिकाओं में पोषण का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है। अगर इस अवधि में इन्हें सही पोषण आहार प्राप्त हो जाता है। तो भविष्य में ऐसे बालक- बालिका शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे। जिससे स्वस्थ समाज की रचना हो सकती है।
कार्यक्रम में शामिल विशिष्ट जनों ने रमेश तिवारी प्राचार्य उत्कृष्ट विद्यालय ,पी एन मिश्रा प्राचार्य मॉडल विद्यालय, सिद्धार्थ तिवारी कोऑर्डिनेटर ई सी टी ई ,ऊषा रौतिया एवं अनीता मिश्रा पर्यवेक्षक आदि।कार्यक्रम का सफल संचालन राजेश सर्मा शिक्षक के द्वारा किया गया।।

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