मझौली(ईन्यूज एमपी)-जनपद क्षेत्र मझौली अंतर्गत निजी विद्यालयों में निर्धारित शिक्षा का अधिकार अधिनियम की शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है।बावजूद इसके प्रत्येक वर्ष दर्जन भर से ज्यादा संस्था एक या दो कमरों में विद्यालय प्रारंभ कर देते हैं।जहां सभी मापदंडों को दरकिनार कर कागजी घोड़ा दौड़ा जाते हैं।ताज्जुब तो तब होता है जब विभाग द्वारा अधिकृत अधिकारी कर्मचारी भी निगरानी के समय जांच करने के बजाय उनको बराबर संरक्षण दे रहे हैं। नतीजन जिम्मेदारों की जांच कार्यवाही ढाक के दो पात साबित हो रहा है।ऐसे में कहना गलत ना होगा कि शिक्षा के व्यापारीकरण में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की पूरी मिलीभगत है। जिसका ताजा उदाहरण ग्राम पंचायत पाण्ड में संचालित विद्या कौटिल्य पब्लिक स्कूल में देखा जा सकता है।जहां गत 5 वर्षों से बिना मान्यता के संस्था का संचालन हो रहा है।जिसमें केजी वन से आठवीं तक संचालित है। जबकि जहां शाला संचालित है वहाँ किसी भी मायने में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के शर्तों का पालन नहीं हो रहा है। और ना ही वहां ऐसी व्यवस्था दिख रही है। फिर भी संचालन जारी है। इसी तरह ग्राम पंचायत मडवास में 3 विद्यालय मनमानी तौर पर संचालित हैं जहां न तो खेल का मैदान है और ना ही कक्षा में समुचित हवा व प्रकाश की व्यवस्था है। इसी तरह ग्राम पंचायत ताला में दो विद्यालय संचालित है।वही खंड मुख्यालय नगर परिषद मझौली अंतर्गत संचालित मीना पब्लिक स्कूल एवं संकल्प ज्योति पब्लिक स्कूल का कमोवेश यही हाल है।सवाल तब उठते हैं जब खंड मुख्यालय से लगे क्षेत्र में इस तरह शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन निजी विद्यालयों के द्वारा किया जा रहा है तो दूर दराज के ग्रामों में संचालित निजी विद्यालयों का हाल कैसा होगा।सोचा जा सकता है। हकीकत तो यह है कि पूरे जनपद क्षेत्र में लगभग 200 से ज्यादा निजी विद्यालय संचालित हैं। जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के दायरे में संचालित विद्यालयों की संख्या 4 या 6 है।मैंने बीआरसीसी की हैसियत के कई निजी विद्यालयों के संबंध में प्रतिवेदन देकर मान्यता निरस्त करने का प्रस्ताव दिया था।लेकिन न तो उन संस्थाओं में सुधार हुआ और ना ही उनकी मान्यता समाप्त हुई।अब क्या किया जाए। अरविंद सिंह गहरबार विकास खंड शिक्षा अधिकारी