सीधी(ईन्यूज एमपी)-अपर जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सीधी मनीष कुमार श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुये बताया कि दिनांक 14 सितम्बर 2019 को आयोजित नेशनल लोक अदालत मे राजीनामा योग्य प्रकरणों के निराकरण के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक प्राधिकरण सीधी के अध्यक्ष नरेन्द प्रताप सिंह के द्वारा 24 खण्डपीठों का गठन किया गया है। उक्त न्यायिक अधिकारियों की खण्डपीठांे में सीधी में प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय सीधी सुनील कुमार जैन, प्रथम अपर जिला न्यायाधीश डी.एल. सोनिया, प्रथम अपर अतिरिक्त न्यायाधीश अजय कान्त पाण्डेय, द्वितीय अपर जिला न्यायाधीश आर.पी. कतरौलिया, तृतीय अपर जिला न्यायाधीश योगराज उपाध्याय, चतुर्थ अपर जिला न्यायाधीश राजेश सिंह, पंचम अपर जिला न्यायाधीश उमेश कुमार शर्मा, मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट जय सिंह सरौते ,न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी संजय वर्मा अजय प्रताप सिंह यादव, राहुल सिंह यादव, श्रीमती मिनी गुप्ता, सविता वर्मा श्रम प्रकरणों हेतु न्यायाधीश मुकेश गुप्ता, इसी प्रकार तहसील मुख्यालय चुरहट मे न्यायाधीशगण दीपनरायण सिंह, श्रीमती दिव्या सिंह तहसील मुख्यालय रामपुर नैकिन मे न्यायाधीशगण कमलेश कुमार कोल, शैलेन्द्र रैकवार तथा तहसील मुख्यालय मझौली मे न्यायाधीश मुनेन्द्र सिंह वर्मा की खण्डपीठों का गठन किया गया है। नेशनल लोक अदालत मे नगरीय निकाय से संबंधित जलकर एवं संपत्तिकर के निराकरण हेतु तदानुसार नगरीय निकायों की खण्डपीठों का गठन किया गया है। अपर जिला न्यायाधीश श्री श्रीवास्तव ने नगरीय निकायों के प्रकरणों एवं विद्युत प्रकरणों मे मिलने वाली छूटों की जानकारी देते हुये बताया कि संपत्ति कर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 50 हजार रूपये तक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 100 प्रतिशत तक की छूट। जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 10 हजार रूपये तक बकाया होने पर 100 प्रतिशत तक की छुट। संपत्तिकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 50 हजार रूपये से अधिक तथा 1 लाख रूपये तक बकाया होने तक मात्र अधिभार में 50 प्रतिशत तक की छूट। जलकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 10 हजार रूपये से अधिक तथा 50 हजार रूपये तक बकाया होने तक मात्र अधिभार में 75 प्रतिशत तक की छूट। 50 हजार रूपये से अधिक बकाया होने पर मात्र अधिभार मे 50 प्रतिशत की छूट। संपत्तिकर के ऐसे प्रकरण जिनमें कर तथा अधिभार की राशि 1 लाख रूपये से अधिक बकाया होने पर मात्र अधिभार में 25 प्रतिशत तक की छूट। छूट उपरांत राशि अधिकतम दो किश्तों में जमा कराई जावेगी, जिसमें कम से कम 50 प्रतिशत राशि लोक अदालत के दिन जमा कराया जाना अनिवार्य होगा। यह छूट मात्र वर्ष 2019 मे आयोजित होने वाले नेशनल लोक अदालतों के लिये ही मान्य होगी। विद्युत संबंधी प्रकरणों के अधिक से अधिक निराकरण हेतु विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135,138 एवं 126 के अन्तर्गत निम्न दाब श्रेणी के समस्त घरेलू, समस्त कृषि, 5 किलोवाट तक के गैर घरेलू एवं 10 अश्वशक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताआंे को छूट दी जा रही है। प्रीलिटिगेशन स्तर पर कम्पनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 40 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान मे चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी किये जाने की तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छमाही चकवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट दी जावेगी। न्यायालयांे मे लंबित प्रकरणों मे कम्पनी द्वारा आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 25 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान मे चूक किये जाने पर निर्धारण आदेश जारी किये जाने कि तिथि से 30 दिवस की अवधि समाप्त होने के पश्चात प्रत्येक छमाही चक्रवृद्धि दर अनुसार 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट दी जावेगी। सामान्य बिजली के बिलों के विरूद्व बकाया राशि पर कोई छूट नहीं दी जायेगी तथा यह छूट मात्र दिनांक 14.09.2019 को आयोजित नेशनल लोक अदालत मे समझौता करने के लिये ही लागू होगी। आवेदक को निर्धारित छूट के उपरांत शेष देय आंकलित सिविल दायित्व एवं ब्याज की राशि का एक मुस्त भुगतान करना होगा। अधिनियम के अनुसार अपराध शमन फीस वसूल की जावेगी। नेशनल लोक अदालत मे छूट आवेदक द्वारा विद्युत चोरी /अनाधिकृत उपयोग पहली वार करने पर ही दी जावेगी। विद्युत चोरी/अनाधिकृत उपयोग के प्रकरणो मे पूर्व की लोक अदालत/अदालतों मे छूट प्राप्त किये उपभोक्ता/उपयोगकर्ता छूट के पात्र नही होगें। नेशनल लोक अदालत मे नगरीय निकाय, श्रम, बैंक वसूली से संबंधित प्रीलिटिगेशन प्रकरणों के साथ न्यायालयों मे लंबित राजीनामा योग्य प्रकरणों का निराकरण किया जावेगा। नेशनल लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों का निराकरण होने पर पक्षकारांे को आर्थिक हानि से बचाव होता है तथा जटिल न्यायालयीन प्रकिया से छुटकारा प्राप्त होता है। जिला न्यायाधीश नरेन्द्र प्रताप सिंह ने जन सामान्य से नेशनल लोक अदालत के माध्यम से अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण कराने एवं न्यायिक प्रक्रिया मे सहयोग करने की अपील की है।