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सरकार अब तेरी खैर नही .....?

सीधी(ईन्यूज एमपी)- कहते है कि सरकार चाहे लाख प्रयास कर ले, लेकिन जबतक सम्बंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नही समझेगे तब तक सुधार नही किया जा सकता है, वंही हाल जिला चिकित्सालय का है कि कोई कुछ भी कर ले लेकिन यंहा बैठे जिम्मेदार अपनी करतूतों से बाज नही आयेंगे उन्हें यह तक ख्याल नही रहता कि जिस कुर्सी को पाने ले लिए इतने पापड़ बेले है, न जाने कितने मंदिरों की घंटिया बजाई है और चढ़ावे दिए है जब आज वो उनके पास है तो कुछ काम तो उसके लिए कर ले पर न इन्हे तो बस नाम में पद जोड़ना था और इसकी आड़ में अपना उल्लू सीधा करना था सो वो लगे है, जब कभी पड़ताल की तलवार लटकी तो लगा दी दौड़ सरकार ने भोपाल की दौड़ और बचा ली गर्दन बस यंही करते करते कुर्सी को थाम के रखा है सरकार ने ...?

लेकिन कुछ समय से सरकार के सितारे गर्दिश में चल रहे है, पहले तो पुराने साहब के निरिक्षण से परेशान थे और जब उनके जाने पर थोडा चैन आया तो नए साहब को भी निरिक्षण के कीड़े ने काट खाया, जिसके बाद साहब ने सरकार को जमकर बदतर हालातो के लिए चमकाया अब ये तो एक ही मुसीबत थी सरकार के लिए पर तब तक एक और समाचार आया कि सरकार की कुर्सी पर चढ़ाई करने कोई और भी सुरमा अब मैदान में आया है अब.....?

चैन की बंसी बजा रहे सरकार पर तो अब जैसे मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा हो, एक ओर काम छोड़ भोपाल जाये तो कुर्सी को खतरा और न जाये तो दुसरे सूरमा से खतरा अब करे तो क्या करे क्यूकि जब तक तो काम का समय था सरकार ने खुद के कामो में उसे व्यर्थ कर दिया, अब काम करने की सोचे भी तो समय इन्हे इजाजत नही दे रहा अब करे तो क्या करे....?

वहरहाल हम तो यही कहेंगे कि सूरमा इतना खतरनाक है कि सरकार को बकसेगा नही ... भला जूनियर के अधीन अधिनस्ता कैसे स्वीकार हो ... एनकेन प्रकारेण सरकार अब तेरी खैर नही ...?

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