सीधी( सचीन्द्र मिश्र )- जिले में रेत की दलाली में फिर से खाखी दागदार हो गई है, बेहद ईमानदार,निडर व निष्पक्ष छवि वाले चेहरों से अब नकाब उतरने लगे है, साथ ही उनकी स्थिरता का भी राज खुलने लगा है कि कैसे कुर्सी पर चिपक कर इमानदारी के चोले के पीछे बेईमानी की रोटियां तोड़ी जा रही है । बतादें कि ताजा तरीन वायरल ऑडियो ने जिले में घटित पूर्व घटनाओं को ताजा कर दिया है जब रेत के खेल में जिला कुछ इस कदर मशगूल था कि जिन्हें पहरेदारी के लिए रखा गया था वो ही डांका डालने लगे थे और तो और इनके आका भी इसमे शामिल थे यंहा तक की रेत ने दो उच्च पदों पर आसीन अधिकारियो को भी आमने सामने लाकर खड़ा कर दिया था लेकिन बीच में कुछ हद तक इन सब पर लगाम लगी थी,ऐसा प्रतीत हो रहा था । लेकिन ताजा घटनाक्रम से लगता है की खेल तो वंही पुराना ही चल रहा था बस उस पर ईमानदारी की झूठी चादर डाल कर पर्दे के पीछे सब काम किये जा रहे थे । जी हाँ जब भी किसी के द्वारा जिले के कुछ बेअदब व मगरूर पुलिस अधिकारियो पर सवाल उठाया जाता है तो लोगो को लगता है कि ये बेवजह ही इन्हे परेशान और बदनाम कर रहे हैं । जबकि हकीकत ये है कि वो सब को सतर्क कर रहे होते है लेकिन सुने कौन हाँ जब इनकी करतूत के पैर चादर से बहार दिखने लगते है तब जाकर लोगो को यकीन होता है कि इन दो फूलो के कितनी चमक और खुशबू है, अरे ये चमक और खुशबू बस दिखाबे के लिए है जो जिले में रेत व दुसरे अवैध धंधो से कमाई गई है । और इसी का परिणाम है कि सीनियर आये और चले भी गए पर इन जूनियरो की न तो कुर्सी हिली और न ही इनकी अकड़.....? खैर अब देखना है कि ताजा ऑडियो मामले में इनके फूल मुरझाते है या फिर बड़ी मछली को बचाकर छोटी मछलियों की बली दी जाती है...?