सीधी(ईन्यूज एमपी)- जिले में मनरेगा का हाल बुरा है, मजदूरों की मजदूरी लम्बे समय से लंबित पड़ी है लेकिन उसका भुगतान आज तक नही हो सका है, जिम्मेदार अधिकारियो की लापरवाही कहे या सिस्टम की विफलता की कई सालो से एन मजदूरों की मजदूरी लंबित पड़ी है अधिकारियो कर्मचारियों को समय पर शासन से वेतन का भुगतान तो हो जाता है लेकिन जब एन गरीबो की बारी आती है तब ही सरकार का खजाना खाली हो जाता है | जिले के पांचो ब्लाको में करीब तीन हजार मजदूरों की 2166.46 लाख मजदूरी लंबित पड़ी हुई है, जिसकी पूछ परख करने वाला कोइ नहीं है, पंचायतो का चक्कर लगते लगते अब इनके द्वारा करीब करीब अपनी मजदूरी की आस छोड़ ही दी गई है, और गाँव में मजदूर न मिलने का सबसे बड़ा कारन ये ही है कि मजदूर को उसकी मजदूरी का भुगतान समय पर नही मिलता है, साल छह महीने में जब मजदूरी आती भी है तो बाजार दर से काफी कम होती है और उसपर भी दलालों की दलाली देने के बाद करीब न के बराबर ही राशि शेष बचती है| पंचायतो में होने वाले मंरेगा के अधिकांश काम मशीनों से कराये जाते है. और फर्जी मजदूरों के खाते में मजदूरी की राशि का स्थानातरण कर दिया जाता है, जो इन्ही सचिवो, सरपंचो या ठेकेदारों के कृपा पात्र होते है और महज इनके खातो का इस्तेमाल शासकीय राशि के बंदरबाट के लिए किया जाता है , तय कमीशन देने के बाद राशि को आहरित करा लिया जाता है | आखिर सीधी जिले के तीन हजार उन मजदूरों का क्या कसूर जो खुद के खून पसीने की कमाई से मिलने वाला मेहनताना के लिये तरसना पड़ रहा है । यह जिला हमेशा से हाई प्रोफाइल जिला रहा है फिर भी हालात वद से वदतर हैं । देखना होगा बेकसूरों के खून पसीने का पारिश्रमिक कब तक हांसिल होगा ...?