सीधी(ईन्यूज एमपी)-जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सीधी सोन नदी (सोन घड़ियाल अभयारण्य) सीमा समीपस्थ सभी 93 ग्रामों एवं उनसे लगी हुई ग्रामीण एवं अन्य सड़कों को भी प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया है तथा यह निषेधाज्ञा प्रसारित की है कि कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित क्षेत्र अंतर्गत टेªक्टर, ट्राली, ट्रक, डम्पर, आदि से रेत का परिवहन रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक नहीं करेगा। यदि कोई वाहन या कोई व्यक्ति इस अवधि में रेत उत्खनन कर परिवहन में संलिप्त पाया जायेगा तो उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। प्रतिबंधित क्षेत्र में किसी टेªक्टर-ट्राली, ट्रक, डम्पर आदि की प्रतिबंधित समय में उपस्थिति को अवैध रेत उत्खनन के उद्देश्य हेतु माना जायेगा। जारी आदेशानुसार घोष विक्रय रेत खदान से रेत परिवहन हेतु जारी वैध अभिवहन पास की स्थिति में सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे की अवधि के भीतर प्रतिबंधित परिसीमा में परिवहन हेतु संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार की लिखित अनुमति अनिवार्य होगी एवं वैध अभिवहन पास की दशा में वाहन में खराबी या दुर्घटना की स्थिति में भी संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार को लिखित में सूचना देना अनिवार्य होगा। आदेश की अवहेलना करते हुए पाये जाने पर धारा 188 भा0द0वि0 के तहत प्रकरण तैयार कर सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया जायेगा। यह आदेश दिनांक 17 जुलाई 2019 से दिनांक 16 सितम्बर 2019 तक रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक निरंतर इस अवधि में प्रभावशील रहेगा। जिला मजिस्ट्रेट श्री सिंह ने बताया कि एन.जी.टी. द्वारा गठित कमेटी द्वारा सोन घड़ियाल अभयारण्य सीधी अंतर्गत आने वाले ग्रामों में अवैध उत्खनन रोके जाने हेतु धारा 144 लागू करना, राजस्व क्षेत्र में अवैध रूप से डंप की गई रेत को पुनः अभयारण्य क्षेत्र में डालना, संवेदनशील क्षेत्रों में अवरोध नाके बनाकर अवैध रेत परिवहन को रोंकना इत्यादि कार्यो की सराहना करते हुये उक्त कार्यो को समय-समय पर करने हेतु सुझाव दिया गया है तथा सोन घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्रामों में धारा 144 लागू किये जाने का अनुरोध किया गया है। सोन घड़ियाल अभयारण्य राज्य के जिला सीधी, सतना, सिंगरौली एवं शहडोल जिले में स्थित है। जिला सीधी में सोन घड़ियाल अभयारण्य का फैलाव क्षेत्र की लंबाई 209 किमी है। घड़ियाल एक लुप्तप्राय प्रजाति है जिनका विश्व में मात्र 5 स्थलों पर प्रजनन संभव हो पा रहा है, जिसमंे एक स्थल सीधी जिला भी है। सोन नदी में रेत माफियाओं के द्वारा रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन वृहद स्तर पर किया जा रहा है। दुलर्भ प्रजाति मगर, घड़ियाल एवं कछुआ का निवास रेत में रहता है, रेत के अवैध उत्खनन के कारण उक्त प्रजाति नष्ट हो रही है। सोन घड़ियाल अभयारण्य से रेत का अवैध उत्खनन, परिवहन करने वालों का एक मजबूत गठजोड़ विकसित हो चुका है। इनका मजबूत सूचनातंत्र होने के कारण इनके विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए जब भी कोई दल मौके पर पहुचता है तो प्रायः इन्हें सूचना हो जाती है एवं अधिकांश वाहनों में हाईड्रोलिक सिस्टम होने से वे तत्काल रेत अनलोड करके अन्यत्र भाग जाते हैं। इस कारण रेत माफियों के विरूद्ध प्रभावी नियंत्रण किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही रेत के अवैध परिवहन में संलग्न वाहनों में अत्याधिक ओव्हरलोडिंग के कारण प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना अन्तर्गत निर्मित ग्रामीण सड़कें भी लगातार क्षतिग्रस्त हो रही हैं। अस्तु यदि तत्काल कोई प्रतिबंधात्मक कार्यवाही नहीं की जाती है तो सोनघड़ियाल क्षेत्र के परिस्थितिक तंत्र को गंभीर क्षति होने का संकट विद्यमान है तथा अवैध रेत खनन से शासकीय सम्पदा का भारी नुकसान हो रहा है। इसके साथ ही सोन घड़ियाल सेन्चुरी होने से घड़ियालों का भी जीवन संकटमय हो गया है यदि रेत के अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में घड़ियाल, मगर, कछुआ की प्रजाति विलुप्त होने की संभावना परिलक्षित हो रही है। प्रायः यह देखने में आया है कि रेत माफियाओं द्वारा रात्रि में ही रेत का उत्खनन एवं परिवहन वृहद स्तर पर करते हैं जिस कारण दुर्घटना एवं लोक शान्ति भंग होने की संभावना बनी रहती है। शासन की सम्पत्ति का अवैध रूप से दोहन पर प्रतिबंध लगाने एवं सड़क दुर्घटना तथा लोक शान्ति भंग होने की संभावना व सुरक्षा की दृष्टिकोण से तत्काल प्रतिबंधात्मक कार्यवाही किया जाना अति आवश्यक है। जिला मजिस्ट्रेट श्री सिंह ने बताया कि उक्त परिस्थितियों के निवारणार्थ एवं उपचारार्थ धारा 144 दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानान्तर्गत प्रदत्त अधिकारिता का प्रयोग करते हुये निषेधात्मक आदेश प्रसारित किये गये जिसकी अवहेलना पर धारा 188 भा0द0वि0 के तहत कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।