मझौली(ईन्यूज एमपी)- जनपद क्षेत्र मझौली अंतर्गत शिक्षा विभाग में भर्रेसाही का आलम चरम सीमा पर पहुंच गया है।जहां वरिष्ठ अध्यापकों को अपने ही विद्यालय के कनिष्ठ अध्यापकों के अधीन कार्य करना पड़ता है। जिससे वे स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं।क्योंकि कई विद्यालयों में नियम को दरकिनार करते हुए विद्यालय प्रभारी का दायित्व वरिष्ठ अध्यापक के बजाय कनिष्ठ अध्यापक को सौंपा गया है। उसमें भी ऐसे शिक्षकों को प्रभारी बनाया गया है जो कार्य के प्रति स्वतः लापरवाह रहे हैं और हैं भी। उदाहरण के तौर पर शासकीय हाई स्कूल नेबूहा में देखा जा सकता है।जहां की लगभग एक दशक से पदस्थ शिक्षिका सुधा पांडेय को प्रभारी प्राचार्य का दायित्व सौंपा गया है।जबकि उसी विद्यालय में उनसे वरिष्ठ अध्यापक पदस्थ हैं।नियमानुसार विद्यालय का प्रभार वरिष्ठ अध्यापक को दिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। ऐसे शिक्षक को दायित्व सौंपा गया है जो स्वतः अपने कार्य के प्रति हरदम उदासीन रही हैं।जैसे कि देरी से आना और समय से पहले विद्यालय से चले जाना। उनके रोजमर्रा की कार्यशैली में समाहित है। फिर भी विद्यालय का प्रभारी बनाया गया है। ऐसे में सोचा जा सकता है कि जब किसी संस्था का जिम्मेवार लापरवाह है तो उस संस्था का संचालन कितने सही तरीके से होता होगा। किया गया है सिविल सेवा अधिनियम का उल्लंघन :- इतना ही नहीं प्रभारी प्राचार्य सुधा पांडेय द्वारा मध्यप्रदेश सिविल सेवा अधिनियम 1966 का भी 9उल्लंघन किया गया है। जिसमें कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी सन 2001 के बाद तीसरी संतान पैदा करता है तो उसकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। इस मामले में भी उनके द्वारा विभाग को जानकारी छुपाई गई है जो गंभीर मामला है।अगर ऐसे गैर जिम्मेवार शिक्षकों को संस्था का प्रभार सौंपा जाएगा तो पठन-पाठन के साथ-साथ विद्यालय का स्तर भी घटते क्रम में चला जाएगा।यह तो एक मामला है। ऐसे कई मामले भी हैं जहां इसी तरह विद्यालय के प्रभारी नियम को दरकिनार करते हुए बनाए गए हैं। उक्ताशय की जानकारी जब प्रभारी BEO अरविंद से दूरभाष में सम्पर्क करके चाही गयी तो उन्होंने फ़ोन उठाना ही मुनासिब नही समझा। जिस पर क्षेत्रीय अविभावकों द्वारा जिला प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी का ध्यान आकृष्ट करते हुए उक्त मामले में त्वरित जांच कार्यवाही की मांग किए हैं।