सीधी(ईन्यूज एमपी)- संसदीय इतिहास में पहलीबार राज्य सभा के शून्यकाल में सांसद अजय प्रताप सिंह ने बघेली में ही बघेली भाषा को संविधान की 52 वीं अनुसूची में शामिल करने की सरकार से मांग की। सदन में अपना प्रस्ताव रखते हुये श्री अजय प्रताप सिंह ने शून्यकाल में आसंदी पर विराजमान सभापति एम. वेंकैया नायडू से पहले बघेली में ही अपनी बात रखने की अनुमति ली। तत्पश्चात श्री सिंह ने विशुद्ध बघेली में अपना तर्क प्रस्तुत किया। अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने नवगठित लोक सभा के सदस्यों के शपथ विधि समारोह में रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा द्वारा बघेली में शपथ लेने पर रोक लगाये जाने से की। उन्होंने बताया कि बघेली भाषा में पहला हिन्दी नाटक ‘‘रघुनंदन’’ तथा गोस्वामी तुलसी दास रचित ‘‘राम चरित मानस’’ बघेली में लिखा गया है। बघेली भाषा बघेल खंड के अलावा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, इलाहाबाद व छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के आधे हिस्से में बोली जाती है।