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बाबा जरा सम्हल के ...सीधी की राह आसान नही ...?

सीधी (सचीन्द्र मिश्र ) बाबा......... जरा संभलकर चलना इन दिनो रास्ते कठिन दिख रहे हैं , बरसात का मौसम भी है फिसलन भी है , इन सब के बीच नेता जी भी फिसल रहे हैं। यह फिसलन किसी भी तरह की हो सकती है यह हम नही खुद यहां वहां रहने वाले नेता जी दबी जुबान कह रहे हैं जिस बात का नेताओं को हमेशा डर बना रहता है।

बता दें कि सीधी और सिगरौली जिले के कांगेस और भाजपा इन दिनो अपने नेताओं ,अधिकारी कर्मचारियों को सभलकर चलने की हिदायत दे रहे हैं। दरअसल चर्चा है कि कांग्रेस की सरकार में चेहरा देखकर भगवान का भोग प्रसाद दिया जा रहा है,यह प्रसाद किसी भी दल के नेता यह उनसे उपकृति लोगों को मिल सकता है । लेकिन यह चेहरा भी खास हो सकता है बाबा ............ चेहरा किसका है यह बाबा भी जानते है आप भी ..........नेताओं के साथ अधिकारी कर्मचारी वर्ग सहमें से रहते है जुबान तो तीखी चलती है पर अपनों के बीच...... दूसरों के सामने जुबान खोली तो बात पहुंच जाएगी और खमियाजा उठाना पडेगा। ऐसे मे एक ही बात समाने आती है कि बाबा जरा सभलकर चलना रास्ते कठिन दिख रहे हैं।

खैर ......... अब एक बात मै भी कह देता हूं यदि समय के रहते बाबा के दरबारी यही बने रहे तो बाबा किसी व्यक्ति बिशेष के बीच बन कर रह जाऐगे, जबकि बाबा जी मझे हुए नेता है ।

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