सीधी(ईन्यूज एमपी)-पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सभी ग्राम पंचायतें जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिये जन सहयोग एवं भागीदारी से कार्य करें। प्रत्येक ग्राम पंचायत जल संरक्षण का कम से कम एक कार्य लेकर उसका बेहतर क्रियान्वयन करे। पंचायत मंत्री ने कहा कि जल है तो कल है। जल के बिना जीवन सम्भव नहीं है। हमने अपनी भौतिकवादी सोच के कारण अपने पर्यावरण विशेषकर जल-स्रोतों को बहुत हानि पहुँचायी है। अब समय आ गया है कि हम अपने पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये सामूहिक प्रयास करें। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री पटेल विगत दिवस जनपद पंचायत सिहावल अंतर्गत विभागीय कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। पंचायत मंत्री श्री पटेल ने उपस्थित जन प्रतिनिधियों, सचिवों तथा रोजगार सहायकों से कहा कि पानी के संकट को समाप्त करने के लिये ग्राम पंचायतों में जल सम्मेलन आयोजन किया जा रहा है। जल सम्मेलन के माध्यम से प्रत्येक ग्राम में जल-संरक्षण की रणनीति तैयार की जाये। ग्राम पंचायतें अपने कार्य-क्षेत्र में पेयजल और खेती के लिये पानी की आवश्यकता, उपलब्धता, परम्परागत जल-स्रोतों की स्थिति एवं जल-संग्रहण क्षमता का आकलन करें। जल-स्रोतों के संवर्धन के लिये जन-सहभागिता से श्रमदान करायें। किसानों को खेतों में मेड़-बँधान और चेकडेम जैसी संरचनाएँ बनाने तथा कम पानी की फसल बोने के लिये प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि उक्त क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले 3 सरपंचों को पुरस्कृत किया जायेगा। प्रथम पुरस्कार 1 लाख रुपये, द्वितीय 75 हजार तथा तृतीय 51 हजार रुपये के पुरस्कार से पुरस्कृत किया जायेगा। पंचायत मंत्री श्री पटेल ने सूखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिये जिला प्रशासन एवं जन सहयोग से किये जा रहे कार्य की सराहना करते हुये कहा कि यह प्रयास हम सब के लिये अनुकरणीय है। प्रदेश सरकार पानी के संकट को दूर करने के लिये प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार परम्परागत जल-स्रोतों के संरक्षण और नवीन संरचनाओं के निर्माण के लिये निरंतर कार्य कर रही हैं। प्रदेश के 36 जिलों में 40 ऐसी नदियाँ हैं, जिनका प्रवाह बंद हो गया है अथवा रुक गया है। इन्हें पुनर्जीवित करने की वृहद कार्य-योजना पर कार्य प्रारंभ किया गया है। इससे 3621 ग्रामों के सवा लाख से अधिक किसानों की 2 लाख 129 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित हो सकेगी।