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Home सीधी दर्पण बारिस की बाट जोह रहा सीधी का सूखा , फिर सोहई या छरछरई....?

बारिस की बाट जोह रहा सीधी का सूखा , फिर सोहई या छरछरई....?

सीधी (सचीन्द्र मिश्र ) जिले के जनप्रिय कलेक्टर अभिषेक सिंह ने जिला मुख्यालय के भू गर्भ से प्रवाहित होने वाले सूखा नाला का काया कल्प कर दिया है । लेकिन जिस तरह से कार्य कराया गया है अगर बरसात में अपना सही रूप सूखा दिखाया तो ...सोहई या फिर छरछरई ...?

वहरहाल आगे जो कुछ भी हो मगर मौका परस्तो ने लोगो को भटकने के लिए नाले का उपयोग बखूबी कर लिया है, और रही बात नगरवासियों की तो भेड़ चल से चलती नजर आ रही है जिस कदर सैकड़ो भेडो को मोड़ने के लिए बस एक भेड़ को मोड़ना पड़ता है उसी की तर्ज पर चंद समाज के ठेकेदारों को वश में कर अपना उल्लू सीधा करने के लिए सूखा का सूखा मिटाने का दिखावा किया गया है । लेकिन कराये गए काम का नगर के निवासियो या फिर बताये गए उद्देश्य की पूर्ती करने या न करने का प्रमाणपत्र तो बारिस की गति व मात्रा ही दे सकती है, क्यूँकी नाले का नाम बेशक सूखा है लेकिन अपने तेवर बदलने पर सुखा का जो रौद्र रूप सामने आता है उससे सीधी वाले भली भाति परिचित है अब देखना ये है की सूखा के रौद्र रूप के सामने जिला कलेक्टर की नेक सोच और जिलेवासियो को दी गई भेट टिकती है या फिर सोन की ओर सरकती है अर्थात कराया गया कार्य रहता है या फिर पुरानी अवस्था में वापस पहुँच जाता है ...?

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