सीधी(सचीन्द्र मिश्र)- देशभर में जहां आज गणेश प्रतिमा का विषर्जन किया गया वहीं गणेश जी का ही रूप माने जाने वाले हाथी की मौत हो गयी। हाथी की मौत संजय टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों की नाकामी का जीता जागता सबूत है, जिसे अब छुपाने की कोशिशें भी जरूर की जाएंगी। डेढ़ महीने पहले छत्तीसगढ़ की सीमा लांघकर जिले के कुसमी में आये हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया था।इन हाथियों की संख्या 5 थीं। लगातार नुकसान कर रहे हाथियों के विरोध में जब आदिवासियों ने आवाज उठाई तो , विरोध के बाद एक्शन में आये बिभागीय अमले ने बांधवगढ़ एवं कर्नाटक से रेस्क्यू टीम बुलाकर हाथियों को रेस्क्यू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। लेकिन संजय टाईगर रिज़र्व के अधिकारियों ने इस दौरान ऐसी लापरवाही की जिसका खामियाजा एक हाथी को भुगतना पड़ा और उसकी मौत हो गयी। ट्रेंक्यूलाइज किये गए 5 हाथियों को बाधवगढ़ के जंगलों में जाना था लेकिन केवल चार ही हाथी जा सके। आपको बता दें मझौली क्षेत्र के चफोन्दी के जंगलों से रेस्क्यू कर पकड़े गये 5 हाथियों में 4 को कैद कर बांधवगढ़ भेज दिया गया। लेकिन जंजीरो से जकड़े इस हाथी को संजय टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों की करनी का फल मौत के रूप में मिला। फिलहाल गलती जिसकी भी रही हो लेकिन इसका खामियाजा एक हाथी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है जो बहुत गंभीर मामला है। एक ओर जहां सरकार वन्य प्राणियों के संरक्षण के नाम पर अरबों खरबों खर्च कर रही है वहीं इस प्रकार से एक हाथी की मौत हो जाना वो भी बिभागीय लापरवाही से दुर्भाग्य पूर्ण है।